Tuesday, April 19, 2016

अर्थ भाग --मित्रता -शास्त्र --वेश्या के लक्षण --९११ से ९२०

अर्थ भाग --मित्रता -शास्त्र --वेश्या के लक्षण --९११ से ९२०

१. बिना  प्रेम  के केवल अर्थ कमाने को  ही अपने उद्देश्य बनानेवाली

 वेश्या  के  मधुर  शब्द  पुरुष को सिर्फ  दुःख  ही पहुंचाएगा .

२. अपने को मिलने वाले  अर्थ लाभ  के अनुसार  मधुर वचन  बोलनेवाली  रंडी  से  दूर रहना ही सुकर्म होगा.

३. वेश्याएं केवल  धन  के लिए आलिंगन  करते हैं ,
उनका आलिंगन अँधेरे कमरे में लाश को आलिंगन करने  के  सामान  है.

४.   आर्थिक सुख को  ही श्रेष्ठ  माननेवाले  वेश्याओं  को,जो  ईश्वरीय  कृपा के  चाहक   हैं  ,वे   कभी  नहीं  चाहेगा.

५.   सहज  ज्ञानी  और   सहज धनी   जिनके  पास  हैं ,वे  सब को सुखदेनेवाली  रंडियों  को  कभी नहीं चाहेगा.

६. जो  सांसारिक  यश  चाहते  हैं  ,वे कभी  सुख देनेवाली वेश्यागमन  न  करेंगे.


७ . अर्थ  लाभ  के लिए शारीरिक दुःख दूसरों को देनेवाली  Aस्थिर  प्रेम रखनेवाली
 वेश्याओं   गमन   करनेवाले    कमज़ोर  और असंयमी  ही होंगे.

८. ठगनेवाली आम महिला  वेश्या   के मोह  में जो  रहते हैं
 उनको   लोग  ऐसे  ही  कहेंगे  कि  उसको  मोहिनी पिशाच पकड़   लिया  है.

९. वेश्यागमन और नरक के गड्डे  में   गिरना  दोनों में  कोई फरक  नहीं  हैं.

१० . वेश्यागमन ,मद्यपान  और जुआ खेलना  आदि दिनों  कर्म करनेवालों  से  लक्ष्मी दूर  होगी ; ज्येष्ठा देवी  आजयेगी.  अर्थात  दरिद्र  बन  जाएगा.

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