१. उदार,दयालु और. दानियों से भी भीख न माँगना करोडों गुणाश्रेष्ठ गुण है.
२.सृजनकर्ता भीख माँगने की हालत. में पैदा किया है तो वह भी भिखमँगों की तरह भटकता रहें.
३. भीख माँगकर जीने की स्थिति के समान अत्याचार. या क्रूरता और कोई नहीं है.
४. गरीबी की हालत में भी दूसरों से न माँगकर जीने के श्रेष्ठ. गुण के समान संसार में और कोई गुण नहीं है.
५. रूखी सूखी रोटी भी अंपने परिश्रम से जीना ही सुखप्रद और. संतोषप्रद है,
६. गाय के प्यास बुझाने पानी की माँग. करना भी अपमान और हीनता है.
७. जो भीख देने तैयार नहीं है, कवि माँगनेवालों से निवेदन करते हैं कि उनसे भीख न माँगें.
जिसका दिल दयालू नहीं है ,पाषाण -सा कठोर है, उनसे भीख माँगने पर असुरक्षित भिखारी का नाव. टूट. जाएगी.
९. भीख माँगनेवालों को देखकर दिल पिघलेगा;जो सब कुछ होने पर भी नहीं देता उनको देखकर दिल टूट जाएगा.
१०. .भीख. माँगकर न देने पर भिखारी की जान चली जाती है. रखकर भी जो नहीं देता, उसकी जान कहाँ छिप जाती है.
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