Thursday, April 28, 2016

तिरुक्कुरल -- काम शास्त्र भाग -सुंदरता की अतिशयोक्ति प्रशंसा -११११से११२०

तिरुक्कुरळ -काम शास्त्र -सुंदरता की अतिशयोक्ति प्रशंसा 
                                  -११११से ११२० 

१. अनिच्चम नामक फूल तो अत्यंत कोमल. है. मेरी प्रियतमा  उस फूल की तुल्ना में अत्यंत कोमल है.

२. सब कई फूलों की सुंदरता देख चकित होते  हैं. पर मैं अपनी प्रेयसी की नयन फूल को ही सुंदरतम मानकर देखता  हूँ.

३. मेरी प्रियतमा की बाँहें बाँस जैसे हैं, दाँत मोती  जैसे, प्राकृतिक सुगंध, कजरारी  आँखें अति सुंदर. है.

४.मेरी प्रेयसी की आँखों  को कमल  देखेगा तो लज्जित होगा  कि मैं तो उतना सुंदर नहीं हूँ.

५.  अनिच्चम नामक मृदुतम फूल से अति कोमल मेरी प्रेयसी फूल के डंठल  को तोडे बिना  रखने से शरीर दुखने लगा इसी  कारण से उसको सुंदर मंगल वाद्य भी रुचता नहीं है.

 ६.तारे   मेरी प्रेयसी के  चेहरे और  चंद्रमा   में  फरक  न. जानकर

भटक. रहे  हैं. 

७. घट-बढकर दीखनेवाला  शशी तो कलंकित. है  पर मेरी प्रेयसी के मुख -चंद्र  निष्कलंक और उज्ज्वल  है. 

८. शशी !   तुझे मेरी प्रेयसी  बनना  हो तो  मेरी प्रेयसी  के  मुख के  समान  उज्ज्वल होना  है.

९. चंद्रमा! पुष्प  जैसे मेरी प्रेयसी  के  समान तुझको  बनना है  तो  सब को देखने के समान न उदय होना  है. उदय. होने पर कलंकित ही दीखोगे.

१०. अनिच्चम नामक फूल कोमल  है, हंस पक्षी  के पंख कोमल है पर मेरी  प्रेयसी  के पैर. इतना  कोमल. है  कि  मृदुतम फूल -पंख भी चुभने लगेगा.



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