धन कमाने के तरीके ---धन ---अर्थ भाग --तिरुक्कुरल ---७५० से ७६० तक.
१. समाज में अनादर तुच्छ व्यक्ति भी धनी होने पर आदर पाता है.
( संसार रईसों को बुद्धू होने पर भी आदर देगा. )
२. धनियों की प्रशंसा और निर्धनियों की निंदा ही संसार के व्यवहार में चालू है.
३. धन -दीप सभी स्थानों में पहुंचकर बाधाओं के अन्धकार मिटा देगा.
४. बुरे मार्ग पर धन न कमाकर सुमार्ग पर धन कमाने से ही धर्म के सुख प्रदान करेगा.
५. धर्म या प्यार के बिना जो धन मिलता है ,भले ही वह बहुत हो ,ठुकराना ही धर्म है.
६. राजा की संपत्ति वे ही है जो लावारिश ,कर और हारे शत्रुवों के लगान आदि.
७. प्यार रुपी माँ जो कृपा रुपी बच्चा पैदा करता है ,उसे पालन -पोषण करनेवाली ताई धन ही है.
८. अपनी संपत्ति से कोई महान काम करना ऐसा है कि
पहाड़ की चोटी पर खड़े होकर हाथियों की लड़ाई निर्भय होकर देखना.
९. धन ही शत्रुवों के अहंकार को काटनेवाली तलवार है. अतः धन कमाना आवश्यक है.
१०. जो सुमार्ग और धर्म पथ पर अधिक धन कमाते हैं ,उनको धर्म और सुख आसानी से मिलेगा.
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