Saturday, April 30, 2016

तिरक्कुरळ -काम- अंग थकना\ शिथिल -१२३१ से १२४०

  तिरुक्कुरल - काम-अंग का थकान - १२३१ से १२४०.

१. प्रेमी  के बहुत दिन के  न आने  से  विरह वेदना  में मेरी  आँखों    शोभा  खोकर

फूलों के  आगे  लज्जित हो  गईं .


२. आँखें  पीली  पडकर दूसरों  से  कह रही  हैं  कि मैं विरह. वेदना  से  पीडित. हूँ.

३. जो बाँहें  मेरे पति के संग में फूली थीं,  वे आज  विरह वेदना  के  कारण फीकी  पड गयी. मेरी विरह. वेदना प्रकट कर . रही  है.

४. विरह वेदना  में हाथ  इतने दुबले हो गये  कि चूडियाँ गिर रही  हैं.  ऐसा  लगता  है  कि  मेरी  विरह वेदना को
दूसरे लोगों को दिखा  रहे  हैं.

५. मेरी  सुंदरता पीली पड गई. हाथों . के  दुबले होने  से  चूडियाँ गिर गई . मेरी अपनी विरह वेदना दूसरों को बता  रही  हैं.

६. मेरे दुबले -पतले शरीर और हाथ. देखकर. दूसरे  बता  रहे  हैं  कि मेरे  प्रेमी निर्दयी हैं.
दूसरों  के  मुख. से  मेरे प्रेमी  क़ा  बेरहम. कहना मेरे  दुख बढा रहा  है.

७. मेरे दिल! उन. से मेरी दीनावस्था  प्रकट करके बताओ. कि लोग तुम. को क्रूर  कह. रहे  हैं. मैं अति दुखी  हूँ.

८. प्रेयसी  से आलिंगन के हाथ ढील होते ही उसके चौडी माथा  पीली पड गया. वह जरा  सी अलग  होना भी सह . नहीं  सकती.

९. कसकर गले  लगाते  समय. बीच. में  हवा  के  प्रवेश के कारण अलग होने के  विचार. से उसकी  आँखें  फीकी  पड गयी. लंबा  बिछुडन वह. कैसे  सहेगी


१०. सुंदर माथे के फीका  पडते  देख. प्रेयसी  की  आँखें  भी पीली पडकर शोभा  को चुक. वह कैसे  दीर्घ. कालीन. विरह सहेगी.

१०.

No comments:

Post a Comment