Saturday, April 23, 2016

बडप्पन- नागररिक शास्त्र - अर्थ भाग- ९७१ से९८०.

 बडप्पन- नागरिकशास्त्र- अर्थ भाग - तिरुक्कुरल _-तिरुवल्लुवर ।
१.  किसी एक व्यक्ति के जीवन चमकने केलिए साहस और उत्साह  आवश्यक है।  साहस हीन जीवन अपमानित है।
२. सभी जीवों का जन्म एक ही तरह से होता है।  लेकिन जो काम करते हैं, वह ऊँच नीच के भेद उत्पन्न करता है।  अतः विशेषता एक समान नहीं रहती।
३.  जिसमें अच्छे गुण नहीं है, वह उच्च पद पर रहने पर भी बडा नहीं है। छोटे पद पर रहकर भी  अच्छे गुण  है तो बडे हैं। 
४.  जैसे पतिव्रता नारी का विशेष महत्व है, वैसे ही महत्व अच्छे गुणवालों को होगा।
५.  जिसमें बडप्पन है,वह असाध्य अपूर्व काम कर चुकने में समर्थ होता है।
६.बडों की विशेषता जान -समझकर सराहने के गुण 
उनकी विशेषता  छोटे गुणवालों को नहीं होगा।
७. निम्न लोगों को   पद मिलने पर वे अहंकारी  रहेंगे ।
८.  बडे लोग गुणी और नम्र  व्यवहार के होंगे। गुण हीन छोटे  लोग अात्म प्रशंसा करके अहंकारी बनेंगे।
९.  अहंकार रहित जीने के गुण  ही जीना है,  निम्न गुणी अहंकार की सीमा में उन्नतिहीन रह जाएँगे।
१०. दूसरों की कमियों को छिपाना बडप्पन है। दूसरों की कमियों को बताते रहना  छुटपन है।



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