स्त्रियों की लज्जा और पुरुषों की लज्जा में बड़ा फरक होता है।
महिलाएं अपनी शारीरिक बनावट और सुन्दरता के कारण लज्जित होती है तो
पुरुष अपने नीच कर्म के कारण।
अपने अयोग्य नालायक क्रिया से पुरुषों को समाज में बदनाम होता है।पुरुष को शर्मिन्दा होना पड़ता है।
फिर वह हमेशा के लिए कलंकित होता है।मनुष्य अपने कर्मों से जीता है;उम्र से नहीं।
कुरल:
कर्मत्ताल नानुतल नानुत तिरुनुतल नल्लवर नानुप्पिर.
कुरल:
कर्मत्ताल नानुतल नानुत तिरुनुतल नल्लवर नानुप्पिर.
G.U.POPE----TRUE MODESTY IS THE FEAR OF EVIL DEEDS,ALL OTHER MODESTY IS
SIMPLY THE LASHFULNESS OF VIRTUNOUS MAIDS.
IT IS CONSCIENCE ,AND NOT TIMIDITY THAT DETERS ONE FROM COMMITTING WRONG;TIMIDITY IS AN INNATE QUALITY WHILE CONSCIENCE HAS TO BE DEVELOPED.
पुरुष जो आदर्श नागरिक है,वह बुराई करने से कांपता है;डरता है;भय-भीत होता है।
पुरुष के लिए बड़ी मानसिक असहनीय पीड़ा है दरिद्रता।
कवयित्री अव्वैयार ने कहा है---दरिद्र से बड़ा दुःख और कोई नहीं है। गरीबी एक क्रूर है;अति क्रूर
जवानी की गरीबी है; असहनीय पीडादायक है।
खेत और बल जब है,तब खेती करनी है;नहीं तो गरीबी के गड्ढे में गिरना पडेगा।---संत वल्लुवर।