एक बेजोड़ नागरिक बनने या बनाने के श्रेष्ठ गुण शिष्टता है।
दूसरा अपने कठोर मेहनत के धन को कृतज्ञता केलिए खर्च करना।
दूसरा अपने कठोर मेहनत के धन को कृतज्ञता केलिए खर्च करना।
G.U.POPE ---WEALTH WITHOUT BENEFACTION.
HOARDED WEALTH
ऐसे लोग भी संसार में है,,जो अपने बचत संपत्ति का खर्च करने का मन नहीं रखते।कृतज्ञता के बिना दौलत का मतलब ही नहीं है;
वे खुद भी नहीं खाते
वे खुद भी नहीं खाते
और दूसरों को भी नहीं खिलाते।
कवियरसर ने कहा --अगुणी अपनी संपत्ति को जोड़कर खुद न भोगता और
दूसरों को भी नहीं खिलाता। वह संपत्ति किसीका नहीं हो जाता।
यह भी एक अपराध है।
दूसरों को भी नहीं खिलाता। वह संपत्ति किसीका नहीं हो जाता।
यह भी एक अपराध है।
कृतज्ञता ज्ञानियों का गुण है।
वल्लुवर ने कहा --प्रसिद्ध व्यक्तियों की संपत्ति देते देते बढ़ेगी ही ;
घटेंगी नहीं।देते-देते दरिद्रता आने पर भी
घटेंगी नहीं।देते-देते दरिद्रता आने पर भी
जल्दी मिट जायेगी।
संसार की सम्पन्नता वर्षा पर निर्भर है।
पानी न बरसा तो भूमि सूख जायेगी।
पानी न बरसा तो भूमि सूख जायेगी।
फिर अति वर्षा होगी;समृद्धि बढ़ जायेगी।
नामी व्यक्ति की संपत्ति भी वर्षा के समान है।
चंद दिन कम होंगी ;फिर धन की अति वर्षा होगी।
कुरल:-
सीरुदैच चेल्वर सिरुतुनी मारी वरंग कूर्न्तनैया तुडैततु .
चंद दिन कम होंगी ;फिर धन की अति वर्षा होगी।
कुरल:-
सीरुदैच चेल्वर सिरुतुनी मारी वरंग कूर्न्तनैया तुडैततु .
G.U.POPE ===TIS AS WHEN RAIN CLOUD IN THE HEAVEN GROWS DAY ,WHEN GENEROUS WEALTHY MAN ENDURES BRIEF POVERTY.
THE SHORT LIVED POVERTY OF THOSE WHO ARE NOBLE AND RICH IS LIKE THE CLOUDS BECOMING POOR(FOR A WHILE)
ISEE KO S.RATNAKUMAAR -----'A TEMPORARY SET BACK' कहते हैं।
गुणी धनी की दरिद्रता थोड़े दिनों के लिए है।दरिद्रता के दूर होते ही वे पहले से ज्यादा दीन -दुखियों की
मदद करेंगे।
यह काम ऐसा ही होगा जैसे धनुष में तीर डोरी पर
पीछे जाकर एक दम आगे चलता है।
यह काम ऐसा ही होगा जैसे धनुष में तीर डोरी पर
पीछे जाकर एक दम आगे चलता है।
यह एक महावीर के सामान है।
सुनागरिक के और एक गुण है
धर्म ,अर्थ,काम में दूसरों की निंदा का पात्र न बनना
धर्म ,अर्थ,काम में दूसरों की निंदा का पात्र न बनना
अच्छे गुणवाले बुरे काम करने संकोच करेंगे।
यह लज्जा भी सुनागरिक का श्रेष्ठ गुण है।
यह लज्जा भी सुनागरिक का श्रेष्ठ गुण है।
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