Friday, May 25, 2012

naagarik++++

दूसरों से जो काम असंभव है,
जो करने में कठिन है,
उसे करने में मनुष्य को गौरव है।
उसमें उसकी बडाई है।
बडाई है तो वहां छोटापन भी होगा ही।
असंभव को संभव करके दिखाना
 एक सुनागरिक का कर्त्तव्य है।
मनुष्य का जीवन उज्ज्वल होना चाहिए।
यश भरा जीवन जीने में आत्मा को  संतोष होगा ही।
संपत्ति जोड़ने में जो आनंद है ,
वह अल्प काल केलिए ही।
संपत्ति का सुख स्थायी नहीं है।
कर्म फल और उससे मिलनेवाला यश स्थायी है।

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