मनुष्य मन में परम्परा और परिस्थिति के कारण
सद्भाव एक कोने में जमा रहता है।
फिर बरगद के पेड़ के समान विकसित होता है।
वही नागरिकता का बीज है।
तोल्काप्पियर ने कहा है--
"नाडुम ऊरुम इयलुम इयल्बुम कुडियुम पिरप्पुम सिरप्प नोक्की"।
"नाडुम ऊरुम इयलुम इयल्बुम कुडियुम पिरप्पुम सिरप्प नोक्की"।
देश- शहर का स्वभाव नागरिक के गुण - विशेषता के कारण बढ़ता है।
एक अच्छे नागरिक के तीन गुण हैं-----वे अनुशासन,सच्चाई ,लज्जाशीलता।
( बुराई करने से होनेवाला संकोच).
( बुराई करने से होनेवाला संकोच).
इन्हींको मन,भाषा और शारीरिक -व्यवस्था आदि का परिणाम कहते हैं।
इन तीनों को कोई जान लेगा तो वही नागरिक है।
इन तीनों को कोई जान लेगा तो वही नागरिक है।
जो नागरिक बन रहा हैं उनके गुण हैं-----
दूसरों का अपमानित न करना।
एक नागरिक बन गया है का मतलब है
दूसरों का अपमानित न करना।
एक नागरिक बन गया है का मतलब है
वह पद,धन-दौलत प्राप्त करने पर भी
अपने सदव्यवहारों से हटा नहीं।
अपने सदव्यवहारों से हटा नहीं।
ऐसे नागरिक अपने माता-पिता या अपने खानदान से
प्राप्त दानशीलता से न पीछे मुड़ने का गुणवाला होता है।
प्राप्त दानशीलता से न पीछे मुड़ने का गुणवाला होता है।
पुरप्पोरुल वेंबा मालै ग्रन्थ में कहा गया है---
प्राचीन नागरिकता का मतलब है---
पाषाण या रेत के उत्पन्न होने के पहले ही
तलवार सहित जन्मे प्रथम नागरिक तमिल नागरिक है।
तलवार सहित जन्मे प्रथम नागरिक तमिल नागरिक है।
शिलप्पधिकारम महाकाव्य में पुकार -खंड में
-पुकार शहर रंक रहित प्रसिद्ध नागरिक वाला शहर है; ऊँचे कुल के हैं।
"आट्रुप पेरुक्कट्रू अडि सुडुम अन्नालुम ऊत्रुप्पेरुक्काल उलकूट्रुम -एट्र तोरू
नल्ल कुडिप्पिरंथार आनालुम ,इल्लै येन माटटार इसैन्तु।"
( नाल्वली ग्रन्थ का तमिल पद्य)
-पुकार शहर रंक रहित प्रसिद्ध नागरिक वाला शहर है; ऊँचे कुल के हैं।
"आट्रुप पेरुक्कट्रू अडि सुडुम अन्नालुम ऊत्रुप्पेरुक्काल उलकूट्रुम -एट्र तोरू
नल्ल कुडिप्पिरंथार आनालुम ,इल्लै येन माटटार इसैन्तु।"
( नाल्वली ग्रन्थ का तमिल पद्य)
उस शहर के नागरिक बड़े
कार्य ही करते रहेंगे।
कार्य ही करते रहेंगे।
नदी में पानी सूख जानें पर भी,
रेत को जलाने की दशा होने पर भी
नदी के खोदने पर स्रोत का पानी मिलेगा ही।
नदी के खोदने पर स्रोत का पानी मिलेगा ही।
वैसे ही अच्छे उच्च कुल्वाला गरीब होने पर भी ,
अपनी दानशीलता नहीं खोएगा।
सुनागरिक अपने संस्कार से जरा फिसलने पर भी,
अपने और सार्वजनिक जीवन में निंदा का पात्र बन जाएगा।
अपने और सार्वजनिक जीवन में निंदा का पात्र बन जाएगा।
उसकी सफलता भी उसके पैर फिसलने पर
हार में बदल जायेंगी।
हार में बदल जायेंगी।
तिरुवल्लुवर ने आगे नागरिकों को सतर्कता से रहने का सन्देश देते हैं---
अयोग्य या दुःख भरे शब्दों को बोलकर
दूसरों की दृष्टी से गिरो मत।
अयोग्य या दुःख भरे शब्दों को बोलकर
दूसरों की दृष्टी से गिरो मत।
बोली तो खतरनाक है--- तमिल की एक लोकोक्ति है --बोलने जा रहे हो या मरने।
बोलने की ध्वनी या शब्द सुननेवाले पर तीखा बाण चलाएगा तो
जान का ख़तरा होना सुनिश्चित है।
जान का ख़तरा होना सुनिश्चित है।
खेत के गुण को बढनेवाला पौधा बता देगा मिट्टी;
वैसे ही एक व्यक्ति के मुख से निकलनेवाले शब्द
मनुष्य स्वभाव का परिचय करा देगा।
वैसे ही एक व्यक्ति के मुख से निकलनेवाले शब्द
मनुष्य स्वभाव का परिचय करा देगा।
कवयित्री अव्वैयार ने कहा है क़ि---कुल के अनुसार ही गुण होंगे
।होनहार बिरवान के होत चीकने पात।
।होनहार बिरवान के होत चीकने पात।
"a person's mannerisms will effect the enviorenment that nutured him like the quality of the crops which refkect the characteristic of the soil".
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