तिरुवल्लुवर मान मर्यादा को इतना महत्व देते हैं कि मान ही जान से श्रेष्ठ है। कवरी मान एक तरह का हिरन है।
वह अपने बाल के गिर जाने पर प्राण छोड़ देगा।
वैसे ही मर्यादा की रक्षा के लिए
लोग प्राण देंगे।
अज्ञान लोगों को समझाने के लिए
वल्लुवर ने बाल शब्द का प्रयोग किया है।
वल्लुवर ने एक नागरिक के लिए मान को ही सर्वश्रेष्ठ माना है।
जन्म से कोई ऊँच -नीच नहीं हो सकता।
मनुष्य अपने कर्म से ही बड़ा बनता है।
हर नागरिक केलिए बड़प्पन की अत्यावश्यक है।
वह अपने बाल के गिर जाने पर प्राण छोड़ देगा।
वैसे ही मर्यादा की रक्षा के लिए
लोग प्राण देंगे।
अज्ञान लोगों को समझाने के लिए
वल्लुवर ने बाल शब्द का प्रयोग किया है।
वल्लुवर ने एक नागरिक के लिए मान को ही सर्वश्रेष्ठ माना है।
जन्म से कोई ऊँच -नीच नहीं हो सकता।
मनुष्य अपने कर्म से ही बड़ा बनता है।
हर नागरिक केलिए बड़प्पन की अत्यावश्यक है।
No comments:
Post a Comment