Thursday, May 24, 2012

naagariktaनागरिक+++

पाश्चात्य विदवान जी.यू.पोप ने 
सज्जनता को  ही
नागरिकता मानते है।
रत्नकुमार नामक  सज्जन ने अपने ग्रन्थ 
, " qualities of human race" में  नागरिकता  की व्याख्या की है।
 उच्च कुल में न जन्म लेने पर एक व्यक्ति दूसरों के साथ 
  सज्जनता का व्यवहार करने  में  असमर्थ  हो जाता  है।
 only  human beings  have the potential  to  develop  a sense  of justice  and guilt."
"नागरिकता का  गुण एक व्यक्ति को
माँ की गर्भावस्था में ही उत्पन्न होना है
तभी उस गुण को और भी उन्नत कर सकता है।
यह वल्लुवर का राय  है।
यह गुण ऐसे ही लोक के  व्यवहार में पाया जाता है।
प्राचीन काल में संसार एक परिवार-सा जीवन नहीं बिताया।
छोटे छोटे ग्रामों में छोटे-छोटे परिवार ही एक दूसरे से रिश्ता रख सका।

अतः एक व्यक्ति का गुण उसके माता-पिता  के गुणानुकूल होता है ।

पैतृक पौरुष ,बल,सहन शीलता,
दुश्मनी आदि गुण जन्मजात मिला।

आज संसार ही एक परिवार में सिमट गया।
आज एक परिवार में जन्म  लेकर दुसरे परिवार  में पलना,नयी परिस्थिति में शिक्षा,
खाना,खेलना  सहज  बात हो गई.
ग्राम्य जीवन शहरी बन गया।
पैतृक गुण में परिवर्तन आ  गया।
नयी सभ्यता और संस्कृति का संपर्क
पुरानी बातों  के विरुद्ध
 विचार उत्पन्न करने लगा।

 समाचार -पत्र,आकाशवाणी,दूरदर्शन आदि
जन-सम्पर्क के साधनों के बीच
 पुराने विचार दिल के  कोने में ही स्थान पाते हैं
या छिप जाते हैं।

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