एक नागरिक का बुरा गुण है--दुर्जनता।
मनोंमनीयम के लेखक पे.सुन्दरम्पिल्लाई
अपने नाटक के खलनायक
पात्र कुटिलन को अति घृणित रूप में वर्णन किया है।
मनोंमनीयम के लेखक पे.सुन्दरम्पिल्लाई
अपने नाटक के खलनायक
पात्र कुटिलन को अति घृणित रूप में वर्णन किया है।
वह पात्र जोंक के सामान रक्त चूसनेवाला पात्र है।
वल्लुवर ने महिलाओं के दुर्व्यवहारों को बताकर सतर्क रहने का सन्देश दिया हैं।केवल दुर्गुण का मात्र वल्लुवर इस में चित्रित करते हैं।
दुर्व्यवहार सभी नीच लोगों में है|
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दुर्व्यवहार सभी नीच लोगों में है|
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संसार की भलाई के विचार से दुर्व्यवहार और दुर्जनों की निंदा करते है।
वल्लुवर के शब्दों में दुर्जनों के प्रति उनका पूरा क्रोध प्रकट होता है।
दुर्जन या खलनायक भी समाज का एक अंग है।
उनको सुधारना पहला कर्त्तव्य है।
उनको सुधारना पहला कर्त्तव्य है।
नहीं तो पूरा समाज बिगड़ जाएगा।
यही वल्लुवर के क्रोध का मूल है।
उनको तो दुर्जनों के प्रति क्रोध नहीं है।
यही वल्लुवर के क्रोध का मूल है।
उनको तो दुर्जनों के प्रति क्रोध नहीं है।
एक खलनायक अपने से छोटे खलनायक को देखकर
अपने को बड़ा मानता है।
कुरल: अकप्पट्टी आवारैक कानिन अवरिन मिकप्पट्टू सेम्माक्कू कील।
अपने को बड़ा मानता है।
कुरल: अकप्पट्टी आवारैक कानिन अवरिन मिकप्पट्टू सेम्माक्कू कील।
अहंकार के कारण और अधिक अत्याचार करने लगता है।
ऐसे दुर्जनों को सुमार्ग पर लाना संत कवि वल्लुवर का ध्येय हो जाना सहज बात है।
ऐसे दुर्जनों को सुमार्ग पर लाना संत कवि वल्लुवर का ध्येय हो जाना सहज बात है।
दुर्जनों को सुधारना आसान नहीं है।
उसके लिए युद्ध करना पडेगा।
उसके लिए युद्ध करना पडेगा।
उनको ईख के सामान पीसकर रस निकालना चाहिए।ईर्ष्यालु को सुधारना अत्यंत कठिन है।अपने छोटी -सी बात केलिए अपने को ही बेचनेवाली होती है।
यह दुर्जनता नागरिकता का दुश्मन है।
इनके मन में सद्भावना लायेंगे तो संसार सर्वनाश हो जाएगा।
इनके मन में सद्भावना लायेंगे तो संसार सर्वनाश हो जाएगा।
इन खल नायिकाओं को सुनागरिक बनाने के लिए वल्लुवर के दिखाए मार्ग पर जाना चाहिए।
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