Friday, May 25, 2012

naagarikनागरिक ++++का

नालाडियार  में  भी  वल्लुवर   की विचार धारा की झलक मिलती है। 
बिना खाए,  यशोत्पन्न काम बिना किये,
  दुश्मनों से दुःख दूर न करनेवाला 
निष्फल धन दान न देनेवाला ,
अर्थ छिपाकर रखनेवाला 
संसार में सबकुछ खोयेगा  ही।।.


तमिल नालादियार :-

उन्नन ओली निरान  ओंगु  पुकल  सेयान
तुन्नरुंग केलीर  तुयर्कलैयान  -कोन्ने
वलन्गान  पोरुल  कात्तिरुप्पानेल  अ ,आ 
इलन्तान  एन्रेंनप्पड़ुम। 

दुसरे तिरुक्कुरल में वल्लुवर ने कहा है ---
  
जन्म से कोई बड़ा नहीं होगा।
 जन्म के आधार पर मनुष्य-मनुष्य में कोई अंतर नहीं।
अपने महत्वपूर्ण कर्म से ही मनुष्य बड़ा बनेगा।

kural:
"पिरप्पोक्कुम    एल्ला  उयिर्क्कुम   सिराप्पोव्वा   सेय  तोलिल वेट्रु मियान ."


people are born alike but their self esteem
varous because of the jobs they do for a living.

अपराध के पेशा करके जीनेवालों से
अच्छे धंधा करके जीनेवाला ही श्रेष्ठ है।
जन्म से सब बराबर ही है।
काम के अनुसार ही बड़े छोटे का भेद
मनुष्यों में हो जाता है।
तिरुवल्लुवर ने अपने कुरल में कहा है,
बड़े लोग कठिनतम असंभव काम  करेंगे;
छोटे लोग काम कर नहीं पाते।

छोटे   लोग  बड़ों  के संघ में रहकर भी छोटे ही रहेंगे ;
बड़े लोग छोटों के संग  में  रहकर भी  बड़े  ही रहेंगे।
कुरल:

सेयर्करिय  सेय्वर  पेरियर  ;
 सिरियर  सेयर्करिय सेय्कलातार।

  मेलिरुन्तुम मेलल्लार  मेलल्लर
  कीलिरुन्तुंग   कीलललार  कीलल्ल्रर.

स्त्री अपनी इच्छाओं को दबा लेती है।
अपने  दुर्वासनाओं को दबाकर अपने को बचा लेती है।
वैसे ही चाल पुरुष 
करेगा तो बड़ा आदमी हो जाएगा।

वल्लुवर ने वेश्याओं को दो मनवाली कहा है।
भ द्र कुल की  महिलाओं को एक दिलवाली बतायी है।
एक स्त्री को मन और शरीर को अपने काबू में रखना चाहिए।
पतिव्रता के समान पत्नी व्रत  पुरुषों का भी जरूरत है।
 सांसारिक ग्रन्थ और धार्मिक ग्रन्थ लिखनेवालों में 
यही फरक है।


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