Thursday, July 19, 2012

पतित।

गुप्त्चर    के बाद   का अधिकारं है  वल्लुवर  का "कयमै " अर्थात  नीचता  या पतित।

पतितों के बारे में वल्लुवर कहते समय  पंचम -पातक अपराध के दंड-निर्णायक  हैं  राजा।

उस राजा को भी न डरनेवाला है  पतित व्यक्ति।

वह मनुष्यों में अंतिम जाती का व्यक्ति है।

अर्थ  भाग के अंतिम कोने में वल्ल्वर ने पतितों के बारे में बताया है।

वल्लुवर का कहना  है कि  वहीं पतित है जो अपनी सुनी बात को

सारे शहर  भर में ढिंढोरा पीटता रहता है।

 कुरल;-  अरे परे यन्नर   कयवर    तान  केट्ट   मारे पिरार्क्कुय्तुरैक्क लान।

रत्नकुमार: "THE DEGENERATE"

A DEGENERATE IS LIKE A DRUM-HE AMPLIFIES WHAT HE RECEIVES FOR HE CANNOT KEEP A SECRET.

G.U.POPE;- BASENESS;

THE  BASE ARE LIKE A DRUM THAT IS BEATEN FOR THEY UNBURDEN TO OTHERS THE SECRETS THEY HAVE HEARD.

पतितों के मुख  को किसीने नगाड़ा  कहा है तो किसीने  ढोल।

ऐसे लोगों को  दंड  देना   शासक का प्रथम -पेशा है।




RULER15

kural:-  काल  आल्कलरिल  नरी  अडुम  कण  अनजा  वेलाल मुकत्त  कलिरू।
 अंग्रजी  अनुवाद:- A  STRONG  AND COURAGEOUS  ELEPHANT  WILL BECOME AN EASY PREY TO A FOX  WHEN  IT IS IN A MARSHLAND.

सब से बड़ा,सब से अधिक बलवान नर-हाथी  छोटे सियार के लिए आहार  बन गया। इससे क्षेत्र -पहचान का मुख्यत्व  मालूम  होता है।
G.U.POPE;--A FOX CAN KILL A FEARLESS, WARRIOR  FACED ELEPHANT  IF IT GO IN TO MUD IN WHICH ITS LEGS IN DOWN.

आगे  राजा और शासक  के लिए अत्यंत  आवश्यक   है  जासूस;  जासूस का काम है  गुप्त रूप में किसी बात को जानकर -समझकर  कहनेवाला।(KNOWING SECRETLY BY ESPIONAGE).हिदी शब्द  गुप्तचर  है।
राजा  अपने देश में और विदेश  में  अपने दोस्त,दुश्मन और तटस्थ  (जो दुश्मन भी नहीं और दोस्त भी  नहीं)
सब के बारे में जान्ने-समझने के लिए  और वहां होनेवाली घटनाएँ ,वेदेष के सैनिक और आर्थिक बल का पता लगाने  गुत्चार की नियुक्ति करता है।गुप्त रूप में विषयों को चरकर बतानेवाला है वह।
वह छद्म  वेश में विदेशी राजा के दुर्ग  में भी प्रवेश कर भेद  जान्ने का कौशल  रखनेवाला है।उसकी चाल  किसीको किसी प्रकार का संदेह उत्पन्न  न करेगा।यदि वह  दुश्मन  के  हाथ पड  गया तो भी भूलकर भी सत्य  प्रकट नहीं करेगा। वह कठोर दंड भोगकर भी विदेशी खबरों को तुरंत  अपने राजा से गुप्त रूप में  कहता रहेगा।
इस काम को कौशल पूर्वक  करने में वह जासूस या गुप्तचर पटु  होता है।
जासूसी  एक शासन का अत्यंत आवश्यक  काम है।आज कल इसे "खुफिया पुलिस विभाग" कहते हैं।
जो गुत्चर   होते हैं ,उनको स्थान विशेष  की पहचान  अत्यंत महत्व पूर्ण  बात है। एक शासक को  सब कुछ ,सब कालों में तुरत  जानना  एक धंधा है।
तिरुक्कुरल :--

एल्लार्क्कुम  एल्लाम निकल्बवै  एग्यांरुम  वल्लारितल   वेन्दन  तोलिल।

अनुवाद: SECRET AGENT. ONE OF THE ESSENTIAL DUTIES OF A RULER IS TO GATHER TIMELY INFORMATION ON FRIENDS AS WELL AS FOES.

G.U.POPE:-  IT IS THE DUTY OF A KING TO KNOW QUICKLY (BY A SPY) WHAT ALL HAPPENS DAILY AMONGST ALL MEN.

स्थान -पहचान अधिकार  में दुश्मनों को अप्रशंसक (निन्दक)कहनेवाले  वल्लुवर गुत्चार अधिकारं  में नापसंद वाले  का संबोधन किया है शत्रु को।गुप्तचर का काम है  पसंद-नापसंद  लोगों के बारे में तट स्थता  पूर्वक विषय या घटना जानकर   बताना।गुप्तचर के काम को वल्लुवर ने अनुसंधान  का काम  कहा है।दो कुरालों में अनुसंधान शब्द का ही प्रयोग किया है।

गुट चार का कर्तव्य  तीनों लोगों का अनुसंधान करना;---1.रिश्तेदार,2.दुश्मन 3.नौकर-चाकर।गुत्चार की खोज में कोई नहीं बच  सकता।
A SECRET AGENT IS ONE WHO CAN INVESTIGATE WITHOUT BIAS,FOES AS WELL AS FRIENDS  OF THE RULER.

G.U.POPE;--
HE IS A SPY WHO WATCHES  ALL MEN TO WIT THOSE WHO ARE IN THE KING'S EMPLOYMENT HIS RELATIVES AND HIS ENEMIES.

वल्लुवर ने इस कुरल  के अधिकारं  का शीर्षक  "ओट्रादल "रखा है।इसका मतलंब  अति सूक्ष्म है।ओट्रू  का अर्थ

है साथ देकर ; कभी-कभी गुत्चार शत्रु  का साथी बनकर गलत सन्देश दे सकता है।अतः एक ही गुत्चार की बात न स्वीकार करके कई गुप्तचरों के सन्देश को  अलह-अलग गुप्त रूप में  सुनकर,फिर वास्तविकता पहचानकर ही विशवास करना चाहिए। यही गुत्चरों पर का  प्रशासन   है।

कुरल:-"-ओट्रू   ओट्रित  ताँता पोरुलैयुम  मात्रुमोर ओट्रिनाल  ओत्रिक कोलल।"

अनुवाद:-
रत्नकुमार :-  THE INFORMATION PROVIDED BY A SECRET AGENT WILL BE GOOD ONLY IF IT CAN BE CONFIRMED BY A SECOND INDEPENDENT AGENT.
G.U.POPE;--

IN ALL THAT  A KING THINKS OF LET HIM THINK OF HIS GREATNESS;  AND SHOULD BE THRUST FROM HIM BY FATE IT WILL HAVE THE NATURE OF NOT BEING THRUST FROM HIM.






Wednesday, July 18, 2012

SHAASAK-14

उपर्युक्त  दोनों अनुवादक  "even" शब्द का जो प्रयोग किया है,वह ध्यान देने योग्य है।पोप ने अपने अनुवाद में "field " शब्द  का प्रयोग किया है।स्थान  के लिए "field " का प्रयोग दुश्मनों के विरुद्ध लड़ने की रण -भूमि के अर्थ में भी ले सकते है।

कोई हम से प्रश्न करता है  कि  क्या दुर्बल  सबल से लड़कर विजय प्राप्त कर सकता है?
तुरन हम कहेंगे  कि  नहीं जीत सकता।
यही सवाल वल्लुवर से करें तो वे कहते  जरूर जीत सकता है।कैसे?स्थान  देखकर लड़ने से जीत सकता है।केवल सैनिक बल से जीतना असंभव है।
सिरुपडैयान  सेल्लिडम   सेरिन  उरुपडैयान   ऊक्कम अलिन्तु  विडुम।

भारत 1841 में पहले आफ्कान के युद्ध में  अपने सैनिक बल पर  विशवास रखकर लड़ा था।उसने स्थान पर अर्थात युद्ध क्षेत्र  पर  ध्यान नहीं दिया ;परिणामस्वरूप  हार गया।तमाम  भारतीय सेना कैबर दर्रे में बन्दूक  की गोलियों का शिकार होगई ;इतिहास के पन्नों को पलटने पर यह सत्य-कथा मालूम होगी।दुश्मन लोग स्थान -पहचान को जाते थे।हमने  तो केवल सैनिक बल पर भरोसा रखा;स्थान पर विशेष ध्यान नहीं दिया।हम हार गए।

एक विद्वान्  ने  स्थान-पहचान  को "right place 'कहा।
even the strongest army will be defeated  by the weakest if the place of confrontation is not to their advantage.

G.U.POPE:---THE POWER OF ONE WHO HAS A LARGE ARMY WILL PERISH IF HE GOES IN TO GROUND WHERE ONLY SMALL  ARMY CAN ACT.

वल्लुवर स्थान पहचान को अधिक महत्व्  समझाने के लिए दूसरा उदाहरण देते हैं।

मैदान में जिस हाथी ने सैनिकों को गेंद -जैसे उठाकर फेंका था,वाहे हाथी कीचड में फँस गया तो साधारण सियारों ने उसे मार गिराया।


Shasak 13

सूक्ष्म से सूक्ष्म  विषयों को भी देने वाले है तिरुवल्लुवर.  तिरुवल्लुवर के बारे मैं पेरुन्तोके   के लेखक ने कहा है कि धर्मं, अर्थ, काम आदि. तीन भाग को पढने के बाद और कोई   ग्रन्थ  पढने  की जरूरत नहीं हैं। वह तो ज्ञान -पुष्टि दे देता है।तमिल में जो लिखा गया है ,उसका अर्थ कोष्टक में दिया है।भाषानुवाद में मूल-भाषा जैसे रसास्वादन करना असंभव ही है।

(भाग  को तमिल में "पाल " कहते हैं।'पाल ' शब्द  का दूसरा  अर्थ  है दूध।तिरुक्कुरल के तीन भाग को तमिल में मुप्पाल  कहतेहैं;  यहाँ  कवि  कहते हैं कि  तिरुक्कुरल  के मुप्पाल  को पीने के बाद  माँ  के मुलैप्पाल (माँ के स्तन दूध)  पीने की जरूरत नहीं है।)माँ  का दूध निर्मल है।वही प्राण दाता है;कवि
के लिए उपमान के लिए स्तन दूध ही मिला है;क्या वे पागल हैं।ऐसी बात नहीं है।वे तिरुक्कुरल के अध्ययन  के बाद ,उस ग्रन्थ के गंभीर विषय  के बाद तुलना  या उपमान के लिए माँ का स्तन-दूध ही मिला है।


तिरुवल्लुवर ने   दुश्मन के लिए  एक  नए शब्द  दिया है।वह  शब्द  हैं  अप्रशंसक (निंदक).
 जो हमको  नहीं चाहते,वे हमको मानेंगे नहीं।अतः हमारे विरोधी  को वे  अति सुन्दरता से अप्रशंसक  कहते  हैं।
तिरुक्कुरल  के समय के अधिकांश  ग्रन्थ तिरुक्कुरल के आलोचनात्मक ग्रंथ ही रहे।वे मुक्तक भले ही हो या तिरुवल्लुवर माला हो।वे सब ग्रन्थ वल्लुवर की स्तुति ही कर रहे हैं।शहद  को मीठा  ही  कह सकते  हैं।

वल्लुवर ने  जो 'स्थान" शब्द का उल्लेख किया है ,उसे रत्नकुमार ने advantaged position  कहा है।
even the weak will defeat the powerful if they attach from an advantaged position.

g.u.pope;-
EVEN  THE POWERLESS WILL BECOME  POWERFUL AND CONQUER IF THEY SELECT A PROPER FIELD OF ACTION AND GUARD THEMSELVES,WHILE THEY MAKE WAR ON THEIR ENEMIES.

SHAASAK 12

संसार   के  लोग  कहाँ    ठहरेंगे?  इस सवाल  का  जवाब  वल्लुवर  महोदय  ने   दिया  है।

 जो हमेशा दूसरों   पर  इल्जाम  लगाते  रहते हैं,
उनकी  बातें   सहकर,
वे  अपने हद  से  ज्यादा कहने  पर

निर्भय बोलनेवाले  साहसी मंत्री  की बातें सुननेवाले

राजा के  शासन अधीन   संसार  ठहरेगा।

"सेविकैप्पच   चोर्पोरुक्कुम   पंणपुडै वेंदन   कविकैक  कील्त्तंगु  मुलकू।"

रत्नकुमार:--the people will respect a  ruler who tolerate critics.

G.U.POPE:  THE WHOLE WORLD WILL  DWELL UNDER  THE  UMBERELLA OF  THE  KING  ,WHO CAN BEAR  THAT EMBITTER  THE YEAR.

क्या  एक  राजा  के  लिए  राजा  के   गुण  मात्र   काफी  है?

 वल्लुवर  के  लिए  काफी  नहीं  है।

क्षेत्र  की  जानकारी  भी   आवश्यक  है।

 पक्के  स्थान को  पकड़ लें  तो समय  के  साथ

 अन्य   सब  बातों  को  पकड़  सकते  हैं।

 वह  क्षेत्र  भी  हो  सकता  है   या दुर्ग .

अपनी ताकत और दुशमन  की ताकत  जानना भी  आवश्यक  है।
  साथ  ही  समय  का  निर्धारण  भी  आवश्यक  है।

 इनके  जैसे  ही   स्थान  की  ज़रुरत  है।

"आट्रारुम   आट्री    अडुप  इडन   अरिन्तु     पोट्रार   कण  पोटरी   चेयीं।"

हम से   जो   भिन्न  हैं,उनको  हम दुश्मन  जानते  हैं;

और  अधिक सोचें  तो वह विरोधी  लगेगा।


SHAASAK11

इरैमाट्सी -तमिल  शब्द है,जिसका अर्थ है ,सर्वत्र विद्यमान  शासक की महत्ता। ईश्वर  ही सब  जगह  विद्यमान   होता  है।तमिल में  इरैमाटसी  क्रियात्मक  सज्ञा  है;यह नाम   ईश्वर -तुल्य  राजा  केलिए राजतन्त्र   शासन -काल   में  उपयोग  किया जाता था।

राजा   के लिए प्रथम  आवश्यक  गुण  विलम्ब  न  करना।  द्वितीय  गुण  है शिक्षा; उसके   बाद   साहस।
धर्म,अर्थ,काम  आदि तीनों   के रचयिता  वल्लुवर  ने राजा के आवश्यक  तीन  गुणों को शूल,धनुष और कवच बताये  हैं।

तून्गामै ,कलवी,  तुनिवुडमै  इम्मून्रुम  नींगा  निलन  आल्पवर्क्कू।(कुरल )

दूसरे   शब्दों  में  इन  तीनों  को  निरालासी ,शिक्षा  और  पौरुष   कह  सकते  हैं।

अंग्रेजी  में  इरैमाट सी   शब्द   को  "the ruler"  कहकर  अनुवाद  हुआ  है। तब इस कुरल का अंग्रेजी अनुवाद दिया  गया  है ---knowledge,courage and ability to do the  right things at  right  times are the three important qualities  that determine  the  greatness  of a ruler.

g.u. pope:-THESE  THREE  THINGS  VIZ  VIGILANCE,LEARNING  AND BRAVERY SHOULD NEVER BE WANTING IN THE RULER OF A COUNTRY.
यह  .जी।यू।पोप  का संक्षिप्त  अनुवाद  है। 

राजा  के शरीर  में  वीरता  का रक्त -संचार  होता रहता है।उसमें  कायरता  का प्रदूषण  मिलने  देने  से  बचना चाहिए।उसको भूलना  नहीं  चाहिए  कि  'शरीर 'वीर  है  तो "प्राण"मान  है।वल्लुवर का यह  कुरल  देखिये:-
अरन  इलुक्कातु  अल्लवै  नीक्की  मरन इलुक्का    मानम  उडैयतु   अरसु।

वल्लुवर के उपर्युक्त  राजा   के   गुणों  को  कवि  मरुतैलानागानार  ने  पांडियन  इलवंतिकै  पल्लित्तुन्जिय
नन्मारण  को नीति की हिक्षा देने के लिए  लिखा है। (
(पुरम 55 कविता।)

अरनेरी  मुतट्रे   अरसिन  कोटरम    अतनाल   तम्रेनक कोल कोडातु
पिररेनक  गुणन्कोल्लातु   ग्नायित्रेन्न  वेंनिर लान्मै यूँ
तिन्गलेन्न   तन पेरुन्चायालुम
वानत्तन्न   वन्मैयु  मूंरुम
उडैयेयाकी --
इसका क अनुवाद है--JUSTICE,BRAVERY,OF PRIDE AND THE ABILITY  TO WEED OUT INJUSTICE   DESCRIBE A GOOD RULER.
G.U.POPE;--HE IS A KING  WHO WITH MANLY MODESTY,SWERVES NOT FROM VIRTUE
AND REFRAINS FROM VICE.




  
वल्लुवर  ने अध्यवसाय  के महत्व्  पर एक अधिकार  लिखा है।  क्यों?

कुछ  लोगों का  कहना है  कि मेरा भाग्य ठीक नहीं है;

मैं दुःख को ही   अपने  जीवन में भोग  रहा हूँ।

 लेकिन वे अपने दुःख दूर करने के प्रयत्न  में नहीं लगते।

उनसे कोई  पूछेंगे   तो यहीं कहेगा   कि  मैंने कोई प्रयत्न नहीं किया .

वैसे  लोगों के लिए ही  वल्लुवर ने   "लगातार प्रयत्न "नामक अधिकार  लिखा है।

सुअवसर न मिलने पर भी ,

हतोत्साहित होकर बैठना ठीक नहीं है;

 हमें अपने दुःख पहचानकर
  उसे दूर करने के प्रयत्न  में लगना चाहिए।

वैसा प्रयत्न  न करना ही व्यक्ति का दोष  होता है।

किस्मत या सिरों रेखा  कहकर आरोप लगाना उचित नहीं है।

सब कुछ प्रकृति  ही   दे देता है  तो मनुष्य जन्म की जरूरत ही  क्यों? 

किसलिए?

"पोरी इनमै  यार्क्कुम  पलियनरु  अरिवु अरिन्तु   आल्विने  इनमै  पली।"

अंग्रेजी  अनुवाद :a person's physical deformity is not the real flaw  unlike the lack of willingness to persevere in seeking knowledge.
 g.u.pope;- adverse fate.
ADVERSE FATE IS NO DISGRACE TO ANYONE;TO BE WITHOUT EXERTION AND WITHOUT KNOWING WHAT SHOULD BE KNOWN IS GRACE.

"ARISTOCRACY "  शरीफों  का सुशासन था;

वही  आज लोकतंत्र बन गया। 
एक राजनीति संस्था  या दल स्थायी रूप में रहना है तो 

उस सरकार के सभी भागों में 

सरकारी अधिकारों की सुरक्षा की चाह होनी चाहिए।

      प्लेटो का सिद्धांत  है   कि लोकतंत्र  सब से नीच   है; लेकिन नीचताओं    में बढ़िया है।  

इस लोकतंत्र  सरकार बनाकर ही  हम जी रहे हैं।

सिद्धांत  या अवधारणा  जो भी हो शासकों को देशवासियों की भलाई के लिए शासन करना चाहिए।

जो भी करें ,
सही ढंग से करना चाहिए।

यही तिरुवल्लुवर महाशय की  शुभेच्छा   थी।

तिरुवल्लुवर ने इसी उद्देश्य  को लेकर ही "अर्थ'भाग लिखा था।

 वही सरकार  है,जो धर्म ,काम ,उपभोग वस्तू जीने केलिए 

आवास  आदि प्रदान करें;

और सुखी जीवन बिताने सभी प्रकार से साथ दें।

सरकार का मतलब ही सुरक्षा  होता है।अच्छी  सरकार के लक्षण भी यही है.

वल्लुवर के कुरल का पहला अधिकारं राजनीति के सम्बन्ध में सुशासन-सम्बन्धी ही है।

शासन करनेवाले नेता की श्रेष्ठता  है, ज्ञान-कौशल,सद्गुण,सद्कर्म आदि.