Sunday, December 21, 2014

दो मिनट सोचो!आगे ऐसा मत करो.


सुनो हिन्दू भाइयों बहनों 
,

यदि तू हिन्दू शक्ति चाहते हो तो 

निम्न चित्रांकित अपानित ईश्वर 

छिन्न-भिन्न अंक मत दर्शाओ.

यदि हिदू शक्ति एकता चाहते हो तो 

ईश्वर का सम्मान करो;

इन बेकार फेंके रुपयों को
दीन -दुखी गरीबों के उद्धार में 

दिल से लगाओ.

सोचो!निम्न दृश्य की दुर्दशा के लिए 

लाखों रूपये  करते हो बेकार.

यह तो दिली की बात.

समझो!वास्तव में तेरे इस 

अपमानित ईश्वर करेंगे क्या कृपा.

दो मिनट सोचो!आगे ऐसा मत करो.

दिल की बात



Discussion  -  21:27
दिल की बात कहूँ ,

सहमी सी बात ,
शर्मीली बात 
गूढ़ बात या ,
मूढ़ बात  या 
लुटी बात  या 
लूटी बात या 
छूटी बात या 
छूती बात या 
अछूती बात या 
इच्छित बात या 
अनिच्छित बात 
उडी बात या
उठी बात  या 
सही बात  या 
सजी बात .
जो भी कहूँ 
is बूढ़े की बात 
सुनता कौन.?
फिर भी सुनायी आदर्श बात 
दोहराना हो गया आवश्यक.
निर्ममता से काम मत कर.
ममता भरी मानवता भरी 
कर्म कर ;बात कर.
माया छोड़ ;
धन जोड़ ;
निर्धनी की बात 
दरबार में शोभित होती नहीं;
गुणी की बात उसके अंत के बाद.
नैतिक पथ  की बात 
मानसिक शाति देती.
दिल की बात मेरी ,
वर्षों पुरानी;
फिर भी अवाश्यक है 
जीवन निराली.

Saturday, December 13, 2014

तरंगित मन


तरंगित  मन



सुंदरता में  मन है तरंगित.


तरंगों में लय  भी हैं ,
जवार -भाटा  भी.

कोई उतरता है   तो

किनारे पर लग जाता है.

कोई -कोई  लहरों  की खींच में
एक दम  डूब  जाता है तो
कोई कहीं फेंका जाता है.
फेंके जाने  की जगह के मुताबिक़
उसका सर ऊंचा होता है  नहीं तो
झुक  जाता है.


prem. प्रेम भरी दुनिया ,


  प्रेम भरी दुनिया ,
प्रेम में प्रेरित ,
प्रेम में पुलकित 
प्रेम में प्रमाणित 
प्रेम में मिश्रित 
पल्लवित दुनिया. 
पर ये प्रेम व्यक्तिगत हो तो 
संसार है सनकी. 
सार्वजनिक हो तो मानकी /
दृष्टिगत हो तो वैयक्ति,
शारीरिक हो तो कामुकता। 
ईश्वरगत हो तो आध्यात्मिकता। 
स्वार्थ होतो  भोगी ;
परार्थ हो साधू ;

Thursday, December 11, 2014

क्या वास्तव में धर्म निरपेक्षता है भारत में ?

जन्म हुआ  मेरा आजादी के बाद.
संविधान का ज्ञात हुआ 
आजादी के चौदह साल के बाद .
नौकरी मिली ,तो क्या देखता हूँ 
पच्चीस साल की उम्र में 
अर्थात आजादी के पच्चीस साल बाद ,
हर तीन महीने छात्र सूची -अध्यापक सूची 
कितने  हरिजन ,कितने दलित ,
कितने पिछड़े ,कितने बहुत पिछड़े 
कितनी परिवर्तित ईस्सायी हरिजन 
भर्ती -नियुक्ति.
किसी की माँग  नहीं वह आमीर  या गरीब.
एक डाक्टर ,एकीन्जनीयर , सब जातियों की 
प्राथमिकता के आधार पर  पाते 
छात्रवृति-सहूलियतें.
भले ही वह पुत्र हो सांसद -विधायक का.
उच्च जातियों के गरीब 
जिनको खाना तक नसीब नहीं 
उनको नहीं सहूलियत या नौकरी की प्राथमिकता.
दुखी  है वे ,इसकी चिंता  नहीं किसीकी !
धन पर धन ,गरीबी पर गरीबी यही है 
क्या धार्मिक समानता.?
मिनोरिटी   अधिकार है ,
मेजारिटी  का  नहीं अधिकार.
कांग्रस और अन्य दल
मिलकर खाते रमजान दावत ,
हिंदू ही हिंदू का अपमान.
तमिलनाडु में गीता का विरोध.
मसलमानों  का समर्थन .
हिंदू भगवानों का जूता मार.
चौराहों  पर ये वाक्य -
नहीं भगवान ,भगवान के नाम लेनेवाला बेवकूफ .
वे  ही खाते  रमजान दावत.
क्या  यही  कांग्रस अन्य दलों का धर्म निरपेक्ष 
ज़रा सोचिये !दिल नहीं खौलता तो 
ये धर्म निरपेक्षता  है 
एक धोखे बाज.
अर्थ है  तो अर्थ है, अर्थ नहीं तो अर्थ नहीं,

धर्मार्थ ,मोक्षार्थ में तो अर्थ है,
सर्थाक्जीवन में अर्थ है,
सबके मूल में अर्थशास्त्र है.

Tuesday, December 9, 2014

क्रान्तियाँ .उच्च विचार.

भारत में आजादी के ६७ साल के बाद भी ,

प्रांतीयता के मोह नहीं घटे.

एक ओर राष्ट्रीयता ,देश भक्ति 

तो 

दूसरी ओर इधर -उधर  प्रांतीयता के

विषैले पौधे पल्लवित करने में 

स्वार्थता   बढ़ रही हैं ,

नदियों को लेकर ,

शहरों को  लेकर ,

भाषा को लेकर ,

इन सब से बड़ी 

 अजब  की   बात 

तमिलनाडु में 

और  एकाध देश -परदेश में 

ईश्वर है  हमारा का नारा लगाते हैं,
तमिलनाडु में मुरुगन ,
दक्षिण के शिव ,
उत्तर के राम -कृष्ण 
 इसी नफरत में एकाध 
रावण के भक्त ,
विभीषण से नफरत ,
वहाँ राम लीला हो तो 
यहाँ  रावण लीला.
 इन सब मिटाकर 
देश भक्ति  राष्ट्रीय धारा बहाने की 
क्रांति करनी हैं.
स्वच्छ भारत तो 
सफई केवल कूड़ों की नहीं ,
दिल की भी चाहिए.

संकीर्ण विचारों के 
प्रांतीय दलों को अंकुर में 
ही उखाड़ फ़ेंक  अत्यंत है आवश्यक.

देश को स्वार्थ वश ,

टुकड़े की भावना -जोश 

भटकाने में लगायेंगे तो 
 आजादी के पहले के भारत ,
सोचिये  भारतीयों!
पटेल की ऊंची मूर्ति से बढ़कर आवश्यक है 

उच्च विचार.