संसार देखो, प्रेम के गीत गाता है।
लेन - देन सच्चे प्रेम नहीं।
देना ही प्रेम है सही कहते हैं।
कबीर तो हठयोगी , कहा -- चाह नहीं , चिंता मिटी।
वे ही प्रार्थना करते हैं --
साई इतना दीजिए, जामें कुटुंब समाय।
कम से कम दैने के लिए ,
लेना ही पडता है।
रूप - माधुर्य देख ही प्रेम।
नयनाभिराम लेकर प्रेमाभिराम
देन - लेन न हौ तो प्रेम नहीं।
ईश्वरीय| प्रेम में कम से कम बिन माँगे
मुक्ति की चाह। प्नर्जन्म की न चाह।
कहना प्रेम में न लेन केवल देेन ।
वह केवल धन नाटक।
राम राम कह बैठा तो रामायण फूट पडी।
ढाई अक्षर प्रेम मिल जाती पंडिताई।
स्वार्थ प्रेम में परमार्थ नहीं,
परमार्थ प्रेम में स्वार्थ नहीं।
सबको प्रातःकालीन प्रणाम.
भगवान सबको सद्बुद्धि दें.
अंकुर भाषण आतंकवादी का फूटते ही,
जड़ मूल उखाड़ देना.
भारत में सब मजहबी अपनी राह पर,
अपने अपने राग, अपनीअपनी ढोल बजा रहे हैं.
मजहबी की कट्टरता तोड़- मरोड़ करनेवाले
स्वार्थ ,मजहबी वैरी-द्रोही,
शीरडी साईं के भक्त भजन करते हैं
अल्ला साई,येसु साई, कृष्ण -साई, राम साई, दुर्गा साई.
राष्ट्र पिता के भजन में यही प्रधान रहा--
ईश्वर अल्ला तेरे नाम , सब को सन्मति दे भगवान.
स्वार्थ राजनीति एकता तोड़ रही है,
सब दल घोटाले, जनता भोली-भाली.
सत्तर साल के शासन में मजहबी लड़ाई,
जातियों के,सम्प्रदायों की लड़ाई,
राष्ट्रीय जोश कम,प्रांतीय जोश ज्यादा,
इन सब स्वार्थियों के बीच , देश की प्रगति.
ईश्वर की देन. हमारे वीर सैनिकों को सलाम.
सद्यः फल रक्षक वीर, उनको सलाम.
देश को सर्वोच्च बनाना,बनवाना युवकों के जागरण में.
चुनाव चिन्ह बंद करना, उम्मीदवारों का चेहरा ही चिन्ह बनाना.
चेहरा दिखा देगा , अंतर्मन कीशोभा.
न हाथ, न कमल, नआम, न हाथी, न सिंह.
मतदाता समझेंगे कौन हमारा विधायक, कौनहमारा सांसद.
स्वार्थ धार्मिकलूटते,
मजहबी सम्प्रदाय कीदुश्मनी से.
स्वार्थ राजनीती चलती हैं ,
जातियां ,मजहबी सम्प्रदाय से.
जानो, पहचानो युवकों, जागो, बनो देश-भक्त.
बोलो वन्देमातरम. बोलो भारतमाता कीजय, बोलो जय हिन्द.
देश ही है प्रधान, जातियाँ, मजहब, सम्प्रदाय अपना राग.
एक हीराग-आलाप-----जय भारत. जय हिन्द.