Thursday, August 23, 2018


4 mins

धैर्य लक्ष्मी धैर्य दें
विजय लक्ष्मी विजय दें , दिलाएँ , दिलवाएँ ,
वीर लक्ष्मी वीर बनाएँ।
संतानलक्ष्मी संतान दें.
धान्य लक्ष्मी धान्य दें।
भाग्य लक्ष्मी भाग्योदय करें।
सब मिली हुयी शक्ति महा लक्ष्मी
संसार को , सर्वजनों को ,
न्याय ,ईमानदार ,निस्वार्थ , लोभ रहित
ज्ञान देकर समृद्ध -संपन्न रखें

निर्दयी नाम लेता है ईश्वर।

भगवान एक बागवान ,
रंग बिरंग के फूल ,
रंगबिरंगे मनुष्य ,
रंग बिरंगे विचार ,
तरह तरह के रोग ,
सबको पालनहार भगवान
कुछ पौधोंको पानी देता है ,
कुछ को छोड़ देता है
अल्पायु ,मध्य आयु में ही
निराई कर देता है.
कुछ पर ध्यान ही नहीं देता।
वह जिम्मेदारी है प्रार्थना सुनने पर ,
गैर जिम्मेदारी खुद ध्यान न देने पर,
निर्दयी प्रार्थना न सुनने पर.
प्रार्थना वह सुनता ही है,
पर ध्यान में मन मानव का नहीं लगता।
चंचल ,अविश्वास ,ईश्वर और अपने बीच
दलाल की खोज
मनुष्य को बीच धार छोड़
निर्दयी नाम लेता है ईश्वर।

Tuesday, August 21, 2018

मानव और ईश्वर

नमस्कार. 
भगवान,
ईश्वर,
देव,
गणेश, कार्तिक, शिव, दुर्गा,
विष्णु, राम, कृष्ण, अल्ला, ईसा,
नाम ही है भिन्न.
कर्म है लोक रक्षा,
तटस्थ  दंड/पुरस्कार.
हर नाम के अनुयायी
सब के सब सुखी नहीं,
सब के सब दुखी नहीं,
सबके सब ज्ञानी  नहीं,
सब के सब बुद्धु  नहीं,
.सब के सब स्वस्थ नहीं,
सबके सब रोगी नहीं,
असीम भूभाग,
अनंत आसमान,
एक ही सूर्य,
एक ही चंद्र
पर
एक समान
रोशनी नहीं,
एक समान
गर्मी नहीं.
एक समान
शीतल नहीं,
 वनस्पति हरियाली,
छाया
भिन्न भिन्न.
गुण, स्वाद में भी भिन्न..
देखिए, मीठा फल मीठा ही है,
खट्टा खट्टा ही,
कडुआ कडुआ ही.
बदलना मुश्किल.
पर मानव के गुण में
प्रेम, दया, परोपकार,
स्वार्थ, लोभ,
डर, निडर,
कायर, ज्ञानी,
अज्ञानी,
चतुर ,
चालाक,
ईमान
बेईमानी
 संगति के अनुसार,
बदल सकते हैं,
अत्याचार  क्रूर शासक,
सुशासन बने,
 बनाया, बनवाया
देखा ,
गर्मी में स्वीडन की गर्मी
हिमाचल मेंकैसे?
दक्षिण के  सुखी मौसम,
पाश्चात्य देश में कहाँ?
धनी सुखी नहीं,
गरीबी दुखी नहीं,
कर्म फल ही प्रधान.
अमीर गरीब बनता
देखते हैं.
पापी सुखी,
पुण्यात्मा दुखी.
ईश्वरीय लीला अति सूक्ष्म..
ईश्वर के नाम में
पुण्य प्रचार,
ईश्वर के नाम लेकर
 अपहरण  ,लूट..
विचित्र  जग में,
सब को समान दंड मृत्यु.

Thursday, August 16, 2018

அடல் பிஹாரி வாஜ்பாய் கவிதை

முன்னாள் பாரதப் பிரதமர் இன்று இறைவன் அடி சேர்ந்து விட்டார். ஆனால் அவர் ஆத்மா
இங்குதான் இருக்கும். இறைவனுக்குள்
ஐக்கியம் ஆவதை விட அவர் ஆத்மா
பாரதத்தில் ஐக்கியமாகும் .
அவர் கவிதைகள் அனைத்தும் காஷ்மீர் முதல் 
கன்னியாகுமரிவரை ஐக்கியப்படுத்துவதே.
அதற்காக அவர் செய்த அரிய பெரிய சாதனை
தேசீய நெடுஞ்சாலை.
உண்மையான தேசத்தொண்டர் . அவரைப் பற்றி
நாம் சிந்திப்போம் .
அவர் அமரகவிதைகளில் ஒன்று.
ஆகஸ்ட் பதினைந்து சொல்கிறது :
அடையவில்லை சுதந்திரம்
இப்பொழுதும் முழுமை .
நமது கனவுகள் மெய்யாவது மீதம் இருக்கிறது.
ராவி ஆற்றங்கரை சபதம் இன்னும்
முழுமை யடையவில்லை.
அந்த தியாகிகளின் பிணங்கள் மேல்
கால் வைத்து விடுதலை
பாரதத்திற்கு வந்தது.
அவர்கள் இப்பொழுதும்
நாடோடிகள்.
துன்பத்தின் கருமேகங்கள்
சூழ்ந்துள்ளன.
கொல்கொத்தாவின்
நடைபாதையில் புயலை
சகிக்கிறார்கள் .
பதினைந்து ஆகஸ்ட் பற்றி
அவர்களிடம் கேளுங்கள் .
என்ன சொல்கிறார்கள் என?
ஹிந்துக்களாக அவர்கள்
சொல்வதைக்கேட்டு
நாணம் வரவில்லையா ?
எல்லையின் அப்பக்கம் செல்லுங்கள்
நாகரீகம் நசுக்கப்படுகிறது.
மனிதன் அங்கே விற்கப்படுகிறான் .
நேர்மை நாணயம் வாங்கப்படுகிறது .
இஸ்லாமியர்கள் தேம்பித்தேம்பி அழுகிறார்கள்.
புன்னகைக்கிறது
மனதிற்குள் டாலர் .
பசியில் வாடுபவர்களுக்கு
தோட்டா கொடுக்கப்படுகிறது .
ஆடையில்லாதவர்களுக்கு
ஆயுதங்கள் அணிவிக்க்கப் படுகின்றன.
தாக்கத்தால் தவிப்பவர்களிடம்
ஜகாத் முழக்கங்கள்
முழங்க வைக்கிறார்கள்.
டாக்க , கராச்சி , லாகூரில்
கேட்கிறது மரண ஓலம் .
பக்தன் ,கில்கித்த்தில்
துன்பப்படுவோரின்
அடிமைகளின் நிழல் .
அதனால் தான்
சுதந்திரம் முழுமையாக
கிட்டவில்லை என்கிறேன்.
நான் எப்படி சுதந்திரத்தைக்
கொண்டாடமுடியும் ?
துடுப்பாட்ட பாரதத்தை
மீண்டும் இணைப்போம்.
அகண்ட பாரதமாக்குவோம் .
கில்கித்த்தில் இருந்து காரோ மலை வரை
விடுதலை நாள் கொண்டாடுவோம்.
இன்றே தயாராவோம்.
அந்த பொன் நாளுக்காக .
பெற்றதை இழக்கக்கூடாது .
இழந்ததை நினைவில் கொள்வோம்.
(பாரதப்பிரதமர் ஸ்வர்கீய அடல் பிஹாரி வாஜ்பாய். )
தமிழாக்கம் : எஸ் .அனந்தகிருஷ்ணன்.

पंद्रह अगस्त का दिन कहता:
आज़ादी अभी अधूरी है।
सपने सच होने बाकी है,
रावी की शपथ न पूरी है॥
जिनकी लाशों पर पग धर कर
आज़ादी भारत में आई,
वे अब तक हैं खानाबदोश
ग़म की काली बदली छाई॥
कलकत्ते के फुटपाथों पर
जो आँधी-पानी सहते हैं।
उनसे पूछो, पंद्रह अगस्त के
बारे में क्या कहते हैं॥
हिंदू के नाते उनका दु:ख
सुनते यदि तुम्हें लाज आती।
तो सीमा के उस पार चलो
सभ्यता जहाँ कुचली जाती॥
इंसान जहाँ बेचा जाता,
ईमान ख़रीदा जाता है।
इस्लाम सिसकियाँ भरता है,
डालर मन में मुस्काता है॥
भूखों को गोली नंगों को
हथियार पिन्हाए जाते हैं।
सूखे कंठों से जेहादी
नारे लगवाए जाते हैं॥
लाहौर, कराची, ढाका पर
मातम की है काली छाया।
पख्तूनों पर, गिलगित पर है
ग़मगीन गुलामी का साया॥
बस इसीलिए तो कहता हूँ
आज़ादी अभी अधूरी है।
कैसे उल्लास मनाऊँ मैं?
थोड़े दिन की मजबूरी है॥
दिन दूर नहीं खंडित भारत को
पुन: अखंड बनाएँगे।
गिलगित से गारो पर्वत तक
आज़ादी पर्व मनाएँगे॥
उस स्वर्ण दिवस के लिए आज से
कमर कसें बलिदान करें।
जो पाया उसमें खो न जाएँ,
जो खोया उसका ध्यान करें॥

Wednesday, August 15, 2018

मैं हूँ ईश्वर शरणार्थी

सब को प्रातःकालीन प्रणाम.
ईश्वर हमारे रक्षक हैं.
हमारे सुंदर असुंदर
रूप की सृष्टिकर्ता है.
हमारे गुण अवगुण  को
कार्यान्वित  करनेवाला है.
उनकी कृपा से ही
अत्याचारी  अशोक, घृणित अशोक
मन बोलकर जन सेवा में लगा.
महान अशोक सम्राट बना.
राम, कृष्ण ईश्वर का प्रतिबिंब होने पर भी
जनता में सीता के त्याग से राम और युद्ध  के षडयंत्र  से
कृष्ण  कलंकित हो गये.
हरिश्चंद्र  जैसे सत्यवान को
श्मशान घाट का पहरा देना पडा.
अब भारतीय प्रतिभावान  बन रहे हैं, पर
अपनी भाषा, अपनी संस्कृति  भूल रहे हैं.
भगवान से प्रार्थना  है वह सद्बुद्धि दें.
योग्यता के बल पर नौकरी मिलें
आरक्षण  के नाम, रुपयों  के बल, भ्रष्टाचार  के बल,
घूस के बल  प्रशासन  न चलकर ईमानदार और सत्य को महत्व दें
यह तो प्रार्थना  है, चाह है, आशा है,
पर सबको नचानेवाले ईश्वर से प्रार्थना  की क्या ज़रूरत.
फिर आज यह विचार लिखने की बुद्धि  ईश्वर ने दी है.
 मैंहूँ ईश्वर शरणार्थी.ऊ

Sunday, August 12, 2018

समाज कल्याण नहीं

सब दोस्तों को प्रातःकालीन प्रणाम।
वणक्कम।एल्लोरुक्कुम कालै वणक्कम।
सब को नचानेवाले ईश्वर का क्या रूप रंग है?
रूप -कुरूप की सृष्टि ईश्वर ने की है.
ईश्वर के रूप मानव ने दिए हैं।
इसीलिये मज़हबी और मत-मतान्तर की लड़ाइयाँ हैं.
निराकार ईश्वर में कोई भेद नहीं है.
वनस्पतियां ,चन्द्रमा , सूरज , वर्षा , सागर , हवा , एक मज़हब के नहीं ; तिलक भेद से इनका एक प्रकार के तिलक दारी का नहीं।
शक्कर खाते हैं तो विष्णु भक्तों को भी मीठा है ,शिव भक्तों को
भी मीठा है. अल्ला के इबादत करनेवालों को भी ,ईसा के अनुयायियों को भी मीठा ही होता है.
आग सब को एक ही प्रकार से जलाता है.
सर्वशक्तिमान ईश्वर है,प्रार्थना कीजिये।
भगवान के नाम भेद लेकर लड़ना ,लड़ाना , लड़वाना
सांसारिक शान्ति का भंग करना है.
समाज का कल्याण नहीं .

Friday, August 10, 2018

सबहीं नचावत राम गोसाई

हम प्रार्थना करते हैं,
क्या हमारी प्रार्थना
मानने अनुकूल फल देने
ईश्वर तैयार हैं?
समाचार पत्र, समाज, वैज्ञानिक आविष्कार
सब का लाभ सभी उठा सकते हैं?
भाग्यवान ही उठा सकते हैं.
पैसेवाले भी दुखी हैं.
रंक- राव भी दुखी है.
करोडपति भिखारी   का  समाचार ,
लखपति  भिखारी  का  समाचार।

अनाथ भिखारी जहाँ बैठता था,
  वहीं मर गया,
उसके शव   के  नीचे
लाखों रुपये। 
बडे बडे अमीरों के यहाँ,
बडे बडे वेद के पारंगत के यहाँ,
बडे बडे डाक्टर के यहाँ
पागल संतान,
गायक और वक्ता के यहाँ
गूंगा पुत्र।
पैसे पद अधिकार से बढ़कर
सुखी वही है
जो एकांत में बैठकर
सुख का अनुभव करता  है. 
ऐसा कोई भी नहीं है,
अगजग में,
वही ईश्वरीय सूक्ष्म लीला है.
सबहीं नचावत राम गोसाई।