Saturday, September 15, 2018

तीन मिश्रित दवा --त्रि कटुकम

 
  तमिल भारत की प्राचीनतम भाषा है.
 इसमें शारीरिक रोग दूर करने  के सिद्ध वैद्य के ग्रन्थ हैं।
दूसरी ओर  मानसिक कमजोरी ,  अज्ञान  के रोग दूर करने
कई बातें  हैं.
उन प्राचीन ज्ञान के मार्गदर्शक  ग्रंथों में  "त्रिकटुकम"  एक हैं.
इस ग्रन्थ के कवि   हैं --नल्लातनार।
इस ग्रन्थ के महत्त्व जानने    इसका हिंदी अनुवाद सरल भाषा में कर रहा हूँ.
पाठकों से निवेदन है कि   इसकी कमियों को सूचित करें और खूब लिखने
के सुझाव दें.  अच्छा है तो प्रोत्साहन अपने दिलतल से करें।

       भारत देश के हर ग्रन्थ ईश्वर के प्रार्थना गीत से शुरू होता है.
कवि   नल्लातनार भी  विष्णु वंदना से इस ग्रन्थ का श्री गणेश किया है.
१, ईश्वर वंदना।
मूल-- कण अकल  ज्ञालं  अलंततुवुम  कामरु सीरत्तननुरूम
          पूंगुरुवं  सायंतततुवुम  -नन्निय
           मायाच्चकटम   उतैत्ततुवुम -इम्मूनृम
          पू वै पपूवणणन  अडि।
   
भावार्थ ;-- अखिल जग नापा,
              शीतल पुष्पों से भरे पुंग  गिराया,
                छल - वाहन  को लात मारा -
               इन तीनों  के कर्ता   विष्णु के
               चरण कमल की प्रार्थना से
                कर्म फल की अहित  होंगे  दूर.
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   ग्रन्थ ---१.   अरुन्दतिक  कर्पिनार   तोळुं ,तिरुंदिय
                       तोल  कुडियिल माण्डार  तोडर्च्चियूम ,चोल्लिन
                       अरिल  अकटरूम  केल्वियार  नटपुम -इवै  मुनरूम
                        त्रिकटुकम पॉलुम मरुंतु।
                   
                        अरुन्दति जैसे पतिव्रता  के कंधे ,
                         भद्रजनों  की मित्रता ,
                          शब्द -दोष  मिटाने वाले
                          प्रश्न करनेवालों की दोस्ती
                           ये  तीनों त्रिकटुक जैसे दवा समझ।
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३.    तन गुणं कुनरा  तकेमैयूम ,ता इल  शीर
       इन  गुणत्तार येविन  सेयतलुम ,नन गुणर्विन  
       नानमरैयाळर  वळिच्चेलवुम --इम्मूनृं
       मेल मुरैयाळर  तोलिल।
     
       अपने गुणों में अनुशासन रखना,
      श्रेष्ठ  लोगों की बात मानना -पालन करना
      वेदों के मार्ग पर चलना
      ये तीनों आचरण श्रेष्ठों का कर्म है.
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४.कल्लारक्कु  इन्ना  ओलुकलूम ,काळक्कोंडा
  इल्लालैक कोलाल  पुडैटत्तलूम ,इल्लम
 सिरियारैक कॉन्डु पुकलुम ,इम्मूनृं
अरियामै यान  वरुम  केडू।


   अशिक्षितों   की दोस्ती 
   पतिव्रता नारी को छड़ी से मारना-पीटना ,
  ज्ञान हीनों को अपने घर में रखना
 ये तीनों  अज्ञानतावश आनेवाले कष्ट हैं।
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जिंदगी है जोड़ना ,घटना ,गुणन करना ,विभाजन

दस साल की उम्र से पच्चीस साल की उम्र तक --ब्रह्मचर्य


बुरी आदतों को घटाना ,
अच्छी  आदतों  को  जोड़ना
कौशल बढ़ाने गुणन
अच्छे जीवन को विभाजित करना।

२.पच्चीस से  चालीस साल तक ----गृहस्थ
खर्च  कम   करना,
आमदनी बढ़ाना
बचत को गुणन करना
समृद्ध जीवन  विभाजित करना।
४१ से ५५ तक ------------------------
भोजन और इच्छाएँ   कम करना।
पैदल चलने को बढ़ा देना
हँसी  का गुणन
स्वास्थ्य जीवन  बना लेना
५६ से  मृत्यु तक --------------      
लालच , क्रोध ,दुश्मनी कम  कर लेना
प्यार बढ़ाना
आध्यात्मिक जीवन गुणन करना
नीरोग जीवन का मार्ग विभाजित करना

Friday, September 7, 2018

शिक्षा है अधूरी

शिक्षा  है    अधूरी।

इनिय  कालै  वणक्कम।
मधुर सबेरे  प्रणाम।
काल परिवर्तन
विचारों का परिवर्तन
शिक्षा  प्रणाली  में   परिवर्तन।
भोजन पोशाक में परिवर्तन।
जीवन प्रणाली में परिवर्तन।
विवाहिक जीवन
संयुक्त परिवार में परिवर्तन।
तलाक  मुकद्दमा
गैर शादी के मिलकर रहना
सम लिंग   मिलना
आम जगह  पर   चूमना

पशु -तुल्य जीवन जीने की
अदालती अनुमति।
 फिर जा  रहे  हैं    मनुष्य

स्नातक -स्नातकोत्तर   नंगे  पाषाण युग   की ओर !
  हत्याएं  नादान  बच्चों    की ,
   वजह   है     कामान्धता।
प्यार करो   न   हत्या  या तेज़ाब फेंकना
शिक्षा  का विकास ,  विश्व विद्यालयों की बढ़ती।
  अध्यापक  का अपमान , हत्या ,
पुलिस  का धन लालच
पर  बढ़ रहे हैं स्नातक - स्नातकोत्तर।
 अनुशासन , संस्कृति ,विनम्रता , सब्रता   के बगैर
शिक्षा  है    अधूरी।

Thursday, September 6, 2018

शिक्षा है अधूरी।

शिक्षा है अधूरी। इनिय कालै वणक्कम।
मधुर सबेरे प्रणाम।
काल परिवर्तन
विचारों का परिवर्तन
शिक्षा प्रणाली में परिवर्तन।
भोजन पोशाक में परिवर्तन।
जीवन प्रणाली में परिवर्तन।
विवाहिक जीवन
संयुक्त परिवार में परिवर्तन।
तलाक मुकद्दमा
गैर शादी के मिलकर रहना
सम लिंग मिलना
आम जगह पर चूमना

पशु -तुल्य जीवन जीने की
अदालती अनुमति।
फिर जा रहे हैं मनुष्य

स्नातक -स्नातकोत्तर नंगे पाषाण युग की ओर !
हत्याएं नादान बच्चों की ,
वजह है कामान्धता।
प्यार करो न हत्या या तेज़ाब फेंकना
शिक्षा का विकास , विश्व विद्यालयों की बढ़ती।
अध्यापक का अपमान , हत्या ,
पुलिस का धन लालच
पर बढ़ रहे हैं स्नातक - स्नातकोत्तर।
अनुशासन , संस्कृति ,विनम्रता , सब्रता के बगैर
शिक्षा है अधूरी।

Tuesday, September 4, 2018

काले बिंदु पाकर वोट देने में

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सब दोस्तों को नाते रिश्तों को नमस्कार.
ईश्वर से मेरी नम्र प्रार्थना है.
जीना अति मुश्किल नहीं,
अति आसान.
भाग्यवानों के लिए .
अमीरों के यहाँ जन्म
राजकुमार सिद्धार्थ
भारतीय स्वतंत्रता प्रेमी नेता
आदि
राष्ट्र हित के लिए
अपना सर्वस्व न्योछावर कर
जनकल्याण की सेवा की.
आजादी के बाद भ्रष्टाचारियों को
चंद चाँद के टुकडों के लिए
नोट लेकर वोट देकर
पदाधिकारी बनाकर
दुखी है मतदाता.
सोचकर वोट देना
जीवन को आसान बनाना.
बिना विचारे पैसे लेकर वोट देना
मुश्किलों का न्योता देना.
जीना आसान जीना मुश्किल
काले बिंदु पाकर वोट देने में.

Monday, September 3, 2018

तभी देश का ,समाज का ,विश्व का भला होगा।


   क्या  भक्ति लौकिकता  के  साथ  कर सकते  हैं ?

आध्यात्मिक मार्ग  यह नहीं बताया कि  संन्यासी ही  ईश्वर भक्त हैं।

ईश्वर पत्नी ,मुनि पत्नी ,ऋषि पत्नी  पुराणों में  है.

मंदिरों  में गृहस्थ  जीवन को सुखी बनाने
 स्तम्भों में कामोत्तेजक मूर्तियाँ  हैं.

सिद्धार्थ ,शंकराचार्य ,रामानुजाचार्य,महावीर,ईसा मसीह ,मुहम्मद नबी आदि
दिव्य पुरुष हैं

  समाज में अत्याचार  जब चरम सीमा पर  पहुँचता  है,
हिंसा बढ़ जाता हैं ,मनुष्य रहम /दया रहित खूंख्वार  बनता है,
 तब दिव्य पुरुष  विश्व शान्ति के लिए ,
सामाजिक जागरण  के लिए ,
मानवता निभाने  के लिए
अहिंसा ,शान्ति ,परोपकार, दान -धर्म आदि  के  लिए   जन्म लेते  हैं.
ईश्वरीय  शक्ति  उनमें  जन्म  से  निहित रहती है.
ये लोग   मज़हबी भेद ,जाति  भेद ,संप्रदाय भेद ,ऊँच -नीच के भेद ,
रंग भेद  आदि मिटाकर मानव एकता के लिए ,
इंसानियत /मानवता जगाने के लिए प्रचार -प्रसार कार्य में लग  जाते  हैं.
मानव -मानव में समानता ,समान अधिकार ,समरस भावना जगाना ही उनका लक्ष्य हैं.

     लेकिन स्वार्थ के कारण  शासक और धार्मिक या मज़हबी
     गुरु या मार्गदर्शक  मानव -मानव में भेद उत्पन्न करके
  भगवान के आकार बनाकर ,
 निराकार  सर्व शक्तिमान
ईश्वर को  अलग अलग दिखाकर
मानव समाज को लूटकर सुखी जीवन बिता रहें हैं.
 मंदिर ,मस्जिद ,गिरजा के तहखानों में  छिपे रुपयों को
भ्रष्टाचारी शासक, धार्मिक नेता  भोग रहे हैं.
ये धन न विश्व हित के लिए ,न देश हित  के लिए ,न समाज हित  के लिए.

गरीबों के कल्याण के लिए उपयोग नहीं हो रहा  है.

भारत में पुराने मंदिर खंडहर हो रहे हैं.
 नए मंदिर वाणिज्य केंद्र बन रहे हैं.
 मंदिरों में  धनियों   का जितना महत्त्व हैं,
उतना गरीबों को नहीं है.

  अधिकारी ,पुजारी ,शासक , देवालयों  के ट्रष्टी
 जितना न्यायविरुद्ध अपहरण करते हैं ,
उतना ही देश  का सर्वनाश होता है ।
 प्रमाण हैं  पुराणों में वर्णित मंदिर
विधर्मियों से लुटे गए.
हमारे ही देश के द्रोही और स्वार्थ लोग
 विदेशों के साथ रहे.
 विदेशों को निमंत्रण भेजा।

  युवकों ! जागिये ! पहले आध्यात्मिक क्षेत्र के भ्रष्टाचार, अपहरण ,लूट दूर कीजिये।
तभी देश का ,समाज  का ,विश्व का भला होगा।












Sunday, September 2, 2018

भरतीय भोले भाले


   भारतीय इतिहास    में    भारतीय   राजा  को ईश्वर  मानकर  उसके लिए मरना
अपना आदर्श त्याग  मानते  थे.  राजा एक राजकुमारी के अपहरण के लिए
हज़ारों सिपाहियों की पत्नियों को विधवा बनाता था. बच्चे अनाथ होते थे. इसकी चिंता राजा को नहीं था.

आधुनिक  काल    में वही प्रभाव युवकों पर पड़ा है. मुझसे प्रेम करो नहीं तो तेज़ाब फ़ेंक तेरे चेहरे को कुरूप बनाऊंगा।   मेरी बीबी न बनोगी तो किसीकी बीबी बनने न दूंगा। हत्या  कर दूंगा। आज एक राक्षसी महिला ने अपनी शारीरिक इच्छा पूरी करने
अवैध सम्बन्ध रखने में अपनी बच्चियों को बाधा समझ मार डाली। और अवैध पुरुष की मदद से   बच  निकली।
यह माँ   कितनी निर्दयी होगी ,कुंती के बाद अब क्रूर महिलाओं की आँखों देखी खबरे
बहुत दुःख दे रही है. प्रेम , न प्रेम तो मारना विदेशी शासन का प्रभाव नहीं ,देवेंद्र भी अहल्या के साथ ऐसा व्यवहार किया।अहल्या को शाप देनेवाले गौतम ऋषि
देवेंद्र को शाप नहीं दे सका.