Wednesday, November 14, 2018

मानव अवलंबित(.मु )

फूल खिले तो
खुशबू .
मन मोहक
नेत्रानंद.
पर वह भी अस्थाई. 
पैसे अचल संपत्ति
पर प्राण ज़िंदा रहना
अनिश्चित.
पद, पदोन्नति , पर जवानी
अस्थाई.
अस्थाई जगत में
आनंद परमानंद से जीना है तो
सत्याचरण, कर्तव्य परायण
आत्मानंद अति आवश्यक.
सहज मिला तो दूध सम.
न पशु पक्षी माँगना किसी से
मानव तो जन्म से दूसरों पर निर्भर.
बछडा खडा है जन्म लेते ही
बच्चा लेटा है माँ की गोद में.
मानव को ज्ञान देकर भी
मानव अवलंबित.

Thursday, November 8, 2018

लक्ष्मी तू हार गयी (मु )

लक्ष्मी के नाम पत्र ,
देवी! चरण वंदन।
तेरी महिमा जन्म विदित है ,
सर्वत्र तेरे गुणगान।
चुनाव में जीतना ,
स्नातक -स्नातकोत्तर की उपाधियाँ पाना
व्यापार करना ,
रिश्ते-नाते दोस्तों के  भीड़ में मज़ा लेना ,
कारखाने ,माल के मालिक बनना
चित्र पट  के निर्माता - निदेशक बनना ,
चित्रपट -घर बनाना ,
संगणिक -अंतरजाल -यात्रा -सपर्क सब के मूल में
लक्ष्मी प्रधान।
जितना भी बल तुझमें हैं ,पर
तेरे अवहेलना करने का एक पल
हर एक के जीवन में अवश्य।
पहाड़ को चूर चूर भले करो।
धर्म -अधर्म कीजीत -हार तुम पर निर्भर।
अपार शक्ति तुझ में ,
तेरे वश में सब कुछ ,सभी प्रकार का आनंद सोच
न्याय -अन्याय तेरे अधीन।
भगवान की महिमा भी हीरे के मुकुट ,
सोने के कवच में.
इतना होने  पर भी न जाने
तुझ से दूर न करनेवाले
कई विषय है संसार  में.
करोड़पति के यहाँ असाध्य रोगी ,
डाक्टर  के यहाँ  पागल बच्चे,
करोड़पति के पुत्र का अकाल मृत्यु।
करोड़ों के खर्च कर चुनाव में हार.
गधे का स्वर संगीत प्रिय को।
जन्म से अंधे, निस्संतान दम्पति
कई विषय ऐसे संसार में
तुम्हारे अधीन  नहीं।
रेगिस्तान को उपजाऊँ  भूमि न बना सकती तू.
दक्षिण ध्रुव को गरम प्रदेश नहीं बना सकती तू.
जन्म से मंद बुद्धि को प्रतिभाशाली न बना सकती तू.
फिर   भी  यह पागल दुनिया ,
तेरे पीछे पागल।
हँसी  आती है ,मुझे कई करोड़पति की आत्महत्या देख.
लक्ष्मी तू हार गयी.



Tuesday, November 6, 2018

निर्भर जान.(मु )

बहुत हैं  दुनिया में सुख ,
बहुत है दुनिया के दुःख।
ज्ञानी मनुष्य के कर्म में
चुनने छोड़ने में ,सोचने में
पसंद करने में मदद करने में ठगने में
सुख दुःख निर्भर जान.

Monday, November 5, 2018

सब को दीपावली की शुभ-कामनाएँ

Saturday, November 3, 2018

साई राम महाराजाधिराज की जय

सत्य साई राम.
शाश्वत सत्य प्रमाण.
सांसारिक एकता का मूल.
मानवता के प्रचार में
न मज़हबी भेद

स्वार्थ मज़हबी यही सिखाते
अल्ला  बडा,ईसा बडा, हिंदु बडा,
सिक्ख बडा,बौद्ध बडा, जैन बडा.
साई राम  तो  यही कहते
मानव धर्म मनुष्यता बडा.
भजन में मिलाते
अल्ला साई  ईसा साई शिव साई विष्णु साई
सिक्ख साई, बौद्ध  साई जैन साई.
मानो सब मत-संप्रदाय  यही सिखाते
सत्य  पथ पर चल.
प्रेम मत पर चल.
नेक पथ पर चल.
कर्तव्य पथ  पर चल.
सेवा पथ पर चल.
मनुष्य मनुष्य भेद कर
अशांति हिंसा ठग निर्दयता,
अहंकार, क्रोध काम, लोभ स्वार्थ
सब तज, संसार है मिथ्या, अशाश्वत.
यही सब मजहब की सीख.
सोना एक, मिट्टी  एक ,चाँदी एक
बर्तन, आभूषण, रूप अनेक.
वैसे ही भगवान एक.
दीन दुखियों की सेवा में
बढती  संपत्ति.
भगवान रहेगा तेरा दिल में.
महान सत्य साई को नमन.

.

माँ माता अम्मा.

माँ, माता, अम्मा,
जगतजननी शक्ति स्वरूप,
देवी का नाम सुना है,
 पर न देखा ,अनुभूति मिली.
  माँ जिसके गर्भ में पला,
दिमाग, आँख, कान, हड्डियाँ, माँस,
हाथ, पैर, सर्वस्व  पूर्ण नर रूप
प्राप्त कर  पृथ्वी  पर आयी,
वह जननी जन्म भूमि,  मेरी.
दस महीने बिंदु  स्वरूप अति
सूक्ष्म रूप को अपना खून देकर
दर्द सहकर  पाला वह  देवी प्रत्यक्ष  शक्ति.
माँ रस  गो रस से श्रेष्ठ,
माँ, प्रत्यक्ष  ज़िंदा दिव्य रूप.
माँ गुरु आइन,  माँ सेविका, माँ मार्गदर्शिका,
माँ शक्ति  दात्री, ममता मयी,
दयामयी, त्याग  का प्रतिबिंब,
हैरान की बात है, सृजनहार ने
सब सृष्टियों में गुण अवगुण,
माँ में भी कई होती  निर्दयी,
कुंती सी,कैकेई सी,
काला धब्बा किसमेंनहीं.

माँ सम माँ न तो मैं नहीं, नरवर्ग नहीं
माँ को सविनय सादर नमस्कार.

Thursday, November 1, 2018

उपहार -उपकार

उपहार -उपकार 
उपहार देने से 
उप कार्य होता है 
उपहार  हार को जीत में बदलता है। 
उप कार्य  प्रधान कार्य बन जाता हैं 
उपहार कभी कभी लापरवाह बन जाता है 
मुफ़्त का उपहार लोभ बढ़ाता है। 
उपहार के बिना काम करना रुक जाता है.
उपहार के इंतज़ार ठगने का कारण। 
ऐसे भी देखा अमीरी गरीबी के लक्षण। 
उसने सस्ता दिया मैंने महँगा दिया ,
मानसिक कटुता और हीनता ग्रंथी के कारण 
मान -अपमान की सूचना भी.
भगवान को हीरे का उपहार देने से
 क्या सद्यःफल मिलता है.
अफसर को तो कठिनतम भी सरलतम