Friday, November 30, 2018

भुर कुस निकालना (मु )

भुर कुस निकालना
तब होता है जब भृकुटि चढ़ता है
जब भृकुटि चढ़ता है ,तब भ्रष्ट होता है बुद्धि।
जब भ्रष्ट होता है बुद्धि ,तब बुरा समय आता है
तब हमारे पैर ही ठोकर खाता है
,जब बुरा समय आता है ,
जीभ से प्रकटी बात ,तीर सा चुभता है
तब क्रोधी पात्र भुरकुस निकालने लगता है।
आँखें लाल होती हैं
तब मज़हबी की गाली निकलती है या खानदान की।
वह इंसानियत को नष्ट कर ,
भुरकुस निकालकर
खानदानी ,जाति -संप्रदाय ,मजहबी
दलीय ,ग्रामीण महाभारत कुरुक्षेत्र।
भुरकुस निकालना स्थायी दुश्मनी मोल लेती है.
डा.रजनी कान्त द्वारा नए मुहावरा ,
इंसानियत की भूलें , नयी कल्पना ,
नया जागरण , मनुष्यता जगाना
तू तू मैं मैं से बचना ,
इतनी सीख ,
समझो ,सोचो ,जागो ,
भुरकुस निकालो कभी नहीं।

Thursday, November 29, 2018

pyar(मु )

मोहब्बत  मोह में हो तो
वह इश्क नहीं।
वह तन सुख।
धन से मुहब्बत हो तो
मन से प्यार नहीं
तो कभी न मिलेगा चैन।

Wednesday, November 28, 2018

जागो संकल्प करो (मु )

कुटुंब  दल
अगजग भारतीय  एक परिवार
 बनाने का दल.
फूल दल सा
हमें नहीं बिखरने देना.
हमें एकता चाहिए,

पैसे के या पद के या लोभ के या भयवश

देशद्रोही  के पक्ष न लेना.

देश की शक्ति जान
अगजग के लोग लूटे खूब.
फिर भी हम सिर ऊँचा कर
चल रहे हैं जान.

विदेशों को साथ देकर
विदेशों को सिंहासन पर
बिठाई विदेशी शक्ति को
कई स्वार्थी  देश द्रोही,
आंबी सा, वह तो लंबी सूची.

आज भी इत्र तत्र  कुछ द्रोही
देश को टुकडे करने में लगे हैं.

अंकुर से ही समूल
ऐसी द्रोही शक्तियों को
बढने न देना केवल सरकार को ही
नहीं हर देशभक्त  का अटल संकल्प.

जागना जगाना
हमारे फेमिली ग्रूप
कदम उठाना.
युवा शक्ति को जागना.
मिली विदेशी बहु शक्ति को
पनपने  न देना.
स्वरचित स्वचिंतक :यस.अनंतकृष्णन 

मज़हबी स्वार्थी तजो। (मु )

भगवान भगवान बोलते हैं ,
नहीं रखते भगवान पर विश्वास। 
प्रायश्चित करने मंदिर जाते हैं 
मंदिर की मूर्ती सजी 
सोने के कवच से ,
चमकी हीरे के मुकुट से। 
मंदिर बना लूट के पैसे से। 
कवच मुकुट दिए हैं 
भ्रष्टाचार के मंत्री। 
काले धन हुंडी में 
काले व्यापारी हाथ से 
मंदिर सजा है 
जैसे हिरण्य कश्यप जैसे 
सोचो समझो 
बनो प्रह्लाद। 
जागो जगाओ 
बनो भक्त ध्रुव। 
लौकिकता प्रायश्चित 
वे ही करते वे ही कराते 
जो धनी लालची हो 
धनी ही बच सकते हैं तो 
गरीबों पर भगवान की दया नहीं। 
सोचा विचारा अनुभूति मिली 
लुटेरे ही करते यज्ञ हवन। 
दशरत के यज्ञ फल 
उनको शोक मृत्यु। 
राम का अश्वमेध यज्ञ 
सीता का शोक -विरह।
ब्राह्मणो !यज्ञ करो ,
देखता हूँ भ्रष्टाचारियों के हार हो.
करोड़ों रूपये का खर्च करते 
सांसद -विधायक ,
पैसे लेकर खून करनेवाले 
मज़दूरी खूनी ,
मतदेनेवाले मतदाता ,
भ्रष्टाचारी नेता को 
आँखें मूँदकर उम्मीद करने वाले 
३०% दल के सेवक रहते 
कैसे हारते। 
जिन्होंने मंदिर तोड़े 
बगैर उनके कांग्रेस नहीं जीत सकता।

भगवान पर विशवास नहीं ,
बाह्याडम्बर पर विशवास ,
भगवान को छिन्न-भिन्न कर 
कहते हैं पुण्य मिलेगा। 
भक्त त्यागराज , भक्त रैदास ,
भक्त प्रह्लाद बनो ,
तजो -बाह्याडम्बर भक्ति .
तभी होगी देश की भलाई।
दान धर्म करो 
मजहबी स्वार्थी तजो.

Saturday, November 24, 2018

आध्यात्मिक बातें( मु )

सोचो ,समझो ,विचारो ,
संसार क्यों सुखी ?
संसार क्यों दुखी ?
गरीबी के कारण ?
बेकारी के कारण ?
जन्म के कारण ?
बचपन के कारण ?
जवानी के कारण ?
सम्भोग के कारण ?
प्रेम के कारण ?
नफरत के कारण ?
शिक्षा के कारण ?
अशिक्षा के कारण ?
साध्य रोग के कारण ?
असाध्य रोग के कारण ?
संतान के कारण ?
संतान भाग्य न होने के कारण ?
सत्य के कारण ?
असत्य के कारण ?
चाह के कारण ?
लोभ के कारण ?
क्रोध के कारण ?
अहंकार के कारण ?
हिंसा के कारण ?
अहिंसा के कारण ?
दुर्घटना के कारण ?
अल्प आयु की  मृत्यु के कारण ?
बुढ़ापे के कारण ?
पति के कारण ?
पत्नी के कारण ?
सालों के कारण ?
सालियों के कारण ?
ननद के कारण ?
ननदोई के कारण ?
भाई के कारण ?
बहनों के कारण ?
पिता के कारण ?
चाचा -चाची ,काका काकी के कारण ?
शासकों के कारण ?
शासितों के कारण ?
भक्ति के नाम ठगने के कारण ?
बाह्याडम्बर के कारण ?
दोस्तों के कारण ?
दोस्ती निभाने के कारन ?
कृतज्ञता के कारण ?
कृतघ्नता के कारण ?
भोग के कारण ?
त्याग के कारण ?
गृहस्थी के कारण ?
सन्यास के कारण ?
देश भक्ति के कारण ?
देश द्रोही के कारण ?
आतंकवादी के कारण ?
शान्ति वादियों के कारण ?
जंगली पशुओं के कारण ?
पालतू पशुओं के कारण ?
अकाल के कारण ?
अभाव  के कारण ?
परिवार के कारण ?
परंपरा के कारण ?
पाप कर्म के कारण ?
पुण्य कर्म के कारण ?
दान - धर्म के कारण ?
कंजूसी के कारण ?
हर अच्छे या बुरे कारण से
दुखियों की संख्या अधिक ?
या दुखियों की संख्या अधिक ?
सोचो ,विचारो ,समझो ,समझाओ ,
जागो ,जगाओ ,

भ्रष्टाचार -रिश्वत के कारण ?
प्राकृतिक कोप के कारण ?
आधुनिक कृत्रिम साधनों के कारण ?
कारण जो भी हो
उपर्युक्त कारणों में से
एक मानव को दुखी बना रहा है।
अस्थायी संसार ,
अस्थायी जीवन
अस्थायी नाते -रिश्ते ,
चंचल मन ,चंचल धन
सबहीं  नचावत राम गोसाई।
धन-लाभ की ओर  बढ़ते चरण
अपनी क्षमता जानने में भूल.
अपनी योग्यता जानने में भूल।
अपनी भूलों को पहचानने में भूल।
अपने को भूल ,
परायों के पीछे चलने की भूल।
अपने पर विचारो
अपनी योग्यता पर सोचो
अपनी शक्ति पर विचार करो।
हर कोई नाग नहीं बन सकता।
हर कोई बाघ न बन सकता।
हर कोई सिंह नहीं बन सकता ?
हर कोई सियार या भेड़िया बन नहीं सकता।
हर कोई खुशबूदार फूल नहीं बन सकता।
मिश्रित गुणी मानव के भाग्य में
जन्म के पहले ही भाग्य लिखित
विधि की विडम्बना कोई ताल नहीं सकता।
यह मानव बुद्धि धिक्कार।




Thursday, November 22, 2018

समाज (मु )

समाज भारतीय समाज ,
स्वार्थमय या निस्वार्थ मय
विचित्र  व्यवहार समाज में
भ्रष्टाचार और रिश्वत
समर्थन ही करने तैयार।
न्यायालय  में मुकद्दमा
सालों चलके न्याय नहीं मिलते।
सब को मालूम है  सब रजिस्ट्ररर के
कार्यालय में ,घरबनवाने की योजना अनुमति में
मेट्रोवाटर ,बिजली कनेक्शन में
l .k .G  भर्ती में  हर क्षेत्र में
लेन -देन  की बात सर्वमान्य।
आदी  ऐसे हो गए ,आवेदन पत्र  के साथ
पैसे  देने की बात  मनपसंद।
पैसे लेकर वोट देना,
मनमाना लूटने भ्रष्टाचारियों को
पुनः पुनः चुनना आनंद विषय बन गया.
सड़कें नहीं ,फुटपात पर दुकानें ,
अवैध   तरीके अति सहज.
सिकंदर के आक्रमण से  आज तक
देश द्रोहियों  का विषैला प्रभाव
अभी  तक  कम  नहीं हुआ.

भक्ति ध्यान यह प्रेरित शक्ति (मु )

मन है तो यादों की बारात
स्मरण पटल पर
निकला करती है.
बचपन की यादें,
जवानी की यादें
मेरी यादें
गरीबी का आनंद
अमीरी की वेदनाएँ.
ईश्वरीय अनुभूतियाँ
दोस्तों की मदद.
मेंने उपकार किया या नहीं
अनेकों ने मेरी मदद की है.
धीरे धीरे मेरी तरक्की हुई.
हर स्नातक पत्राचार द्वारा.
29की उम्र में यम. ए.,
सस्ता विश्व विद्यालय.
एक सौ रुपये में स्नातकोत्तर।
श्री वेंकटेश्वर विश्वविद्यालय, तिरुप्पति.
ईश्वर के प्रत्यक्ष दर्शन और कृपा कटाक्ष।
परीक्षा प्रथम साल लिखकर
तिरुमलै पहाड पर पहली यात्रा.
बडी भीड, राजगोपुर गया तो
विश्व विद्यालय के प्रवेश पत्र
दिखाकर सीधे दर्शन बिना कतार पर खडे।
द्वितीय साल की परीक्षा देने गया
फिर दर्शन के लिए ऊपर गया तो
प्रवेश पत्र दिखाया तो न जाने दिया.
भीड में राजद्वार पर मैं
तभी किसने मुझसे कहा,
वी. ऐ. पी पास है,
आइए मेरे साथ.
सीधे दर्शन दिव्य दर्शन.
दर्शन के बाद उससे नाम पूछा
तो कहा,
नाम है वेंकटाचलपति.
सब का अन्न दाता.
मैं अवाक खडा रहा.
वह नदारद.
यह ब्रह्मानंद
केवल महसूस ही कर सकता.
गूँगा गुडखाइकै के समान।
यादें हमेशा हरी भरी।
हिंदी विरोध तमिलनाडु में
स्नातकोत्तर बनते ही
स्नातकोत्तर हिंदी अध्यापक.
यह ईश्वरानुभूति
अपूर्व आनंद की यादें
चिर स्मरणीय और अनुकरणीय.
भक्ति ध्यान यह प्रेरित शक्ति.