Monday, December 31, 2018

अलविदा 2018(मु )

सब को  नमस्कार!
आज 2018 साल का अंतिम दिन.
 हमारे देश में ही नहीं
विश्व भर मनाने तैयार
2019 का नव वर्ष.
 तैयारियाँ सितारे होटल में,
अनुशासन, चरित्र  निभाना है,
चरित्र निर्माण  करना है तो सही.
पर मधुशाला का लाभ  बढाना,
अर्द्ध  नग्न नाच, अश्लील गाने
बलात्कार नशामग्न इतना ताज़ी खबरें
नव साल नहीं नरक समाज का स्वागत करना.
मनाइए,पर  अनुशासन. चरित्र,
अभिभावक वंदना, बडों से आशीषें
ऐसी भारतीयकरण याद रखिए.
ईश्वरीय वंदना कीजिए.
बोतल से दूर रहना.

Saturday, December 29, 2018

आण्डाल रचित तिरुप्पावै --१५

  सबको  नमस्कार

आण्डाळ रचित तिरुप्पावै -१५,

मार्गशीर्ष महीने की सर्दी में तड़के उठकर नहाना ,
भगवान का यशोगान करना स्वाथ्य और ज्ञानार्जन का मुख्य नियम है.

आज पन्द्रहवाँ दिन.
तिरुप्पावै --१५.

सो रही सखी को जगाने आयी सखियाँ ,
आज कटु शब्दों से गाने लगी ------
उठो ! आज बहुत देर सो रही हो ,यह सही नहीं है.
सखी कहती है --अभी आयी .
अन्य सखियाँ चिढ चिढ़ाती है --
बिस्तर से उठती हुयी सखी कहती हैं कि
आप तो वाक्पटु रहिये ; मुझे ठगी ही मान लीजिये।
सखियों ने कहा--सब के सब आ गयीं ;तुम ही सो रही हो ;
ऐसी निद्र्रा क्यों ?हमें पहले ही जागकर तुम्हारी प्रतीक्षा में
खड़ी हैं ;तुम क्या बड़ी हो हम से ?ऐसी क्या विशेषता है तुममें ?
सखी ने अंदर से पूछा -क्या मैं ही सो रही हूँ ?
क्या सब के सब आ गयी हैं ?
सखियों ने जोर से कहा -उठो ,बाहर आओ ;
सब के सब आ गयीं ;
गिनकर देखो।
कुवलय पीठ हाथी के वधिक ,
दुष्ट -संहारक माया कृष्ण की प्रार्थना करने
यशो गान करने जल्दी आओ।

Friday, December 28, 2018

आंडाल तिरुप्पावै.. 14

आंडाल  रचित तिरुप्पावै.. 14.

 सखियाँ   तडकें जाग चुकीं.
आज जाने की बारी की सखी
मीठी नींद में हैं.
उनको जाती हुई गाती है:-
 तुमने अपना वादा पूरा नहीं किया.
हमारे जागने के पहले तुमको जागकर
हमें जगाने की बारी  है और वादा है.
तुम कोअपना  वादा न निभाने केलिए
शर्मिंदा होना चाहिए.  बेशरम सो रहे हो.  तुम्हारे घर के पीछे के तालाब में
फूल  खिल गए.
गेरुआ कपडे  पहने साधुसंत
नारायण का भजन करते करते जा रहे हैं.
तुम तो ऐसा सो रही हो.
अनसुनी नींद से जागो.
शंख चक्रधारी, कमल नयन भगवान को भूलकर
सोना सही नहीं है.

नव वर्ष (मु )

आज  का विषय नव वर्ष.
नव वर्ष    की चर्चा
भारतीयों  के लिए
 नव वर्ष कब?
चैत महीना,
मुगल वर्ष
जनवरी
सनातन धर्म विश्वासी
वसुदेव कुटुंबकम्
 सर्वे जना सुखाने भवंतु
आदर्श सिद्धांतवादी,
अगजग को भाई बहन समझनेवाले
अहिंसा के महान बुद्ध,
विश्व के दिया प्रेम सेवा संदेश.
महावीर का अहिंसा
 कपडे तक त्यागा
मोर पुच्छ  से
  चींटी के प्राण तक
बचाकर चलना,
कितना  उदार भारतीय.
विदेशी आये मंदिर तोडे.
विदेशी आये, भाषा बदली.
विदेशी आये पहनावा बदली
विदेशी आये अभिवादन
शैलियाँ बदलीं.
मधुशाला बढी,
तलाक /डैवर्स शबद,
बहिरंग आलिंगन चुंबन
बहिरंग चुंबन के लिए
जुलुस-आंदोलन.
अर्द्ध  खुले अंग-वस्त्र.
शिक्षा  महाविद्यालय में
प्रेम प्रधान, संयम नहीं,
गुरु शिष्य के प्रेम लीला,
नव वर्ष के नाम अर्द्ध  रात्रि में
नशा चढाकर नाच.
ज़रा  विचार करके देखो,
भारतीय  चिंतन, विचार  बदले,
अनुशासन में भंग, चरित्रहीनता,
भारतीय बनो, नव वर्ष  सनातन भारतीय ढंग से मनाओ.
भारतीय बनो, भारतीय  भाषाओं  को
जीविकोपार्जन  का साधन बनाओ.
जितेंद्र  बनो,अजयी बनो.
 सोचो समझो,
भारतीय नव वर्ष मनाओ.
संयम सीखो,, अग जग का विजयी बनो.
 स्वचिंतक:यस.अनंतकृष्णन द्वारा  स्वरचित


Thursday, December 27, 2018

आण्डाल कृत तिरुप्पावै --१३

आण्डाल कृत  तिरुप्पावै -१३.

    आंडाल  दक्षिण की मीरा।

मार्गशीर्षः महीने की सर्दी में
अपनी सखी को जगाने ,
विष्णु भगवान के यशोगान करने
तड़के उठकर
 अपनी  सखियों सहित
  नहाने जाती हैं।
सोनेवाली सखियों को जगाने के लिए
 ये गीत गाती  हैं।
      आज के गीत में
 गोपियाँ कृष्ण को ही चाहती हैं ,
पर आज विवाद शुरू हो गया --
श्री कृष्ण बड़े हैं या राम ?
*****
 आइये !१३ वां  गीत के भाव पर ध्यान देंगी :-
     मनको मधुर श्री कृष्ण है  या राम
     सुनिए !आण्डाल  का विवाद :-
 कृष्ण के पक्ष में एक दल  :-
देखो! बगुले के आकार के
बगुलासुर के मुख फोड़कर
श्री कृष्ण ने  वध किया है.
राम के पक्ष में गाया --
  दुष्ट राक्षस रावण के सर को
घास की तरह उखाड़ फेंका  है   राम ।
     इनके बीच एक सखी सोती हुई  सखी को
जगाने अंदर गयी , और कहा , जागो !चन्द्रास्त होकर सूर्योदय के पहले ही  कुछ सखियाँ  उठकर व्रत रखने चली गयीं।
तब सोती सखी ने विवाद किया कि  इनको कैसे मालूम  ----
गुरु ,शुक्र ग्रहों का अस्त होना ?
तब सखी ने कहा -
क्या तुम्हें पक्षियों का कलरव्
सुनायी नहीं पड़ा?
फिर उसको छूकर जगाने अंदर जाती है।
सखी इसके आते देख
 और गहरी नींद का अभिनय करती हैं.
सखी उसको जगाती हुयी कहती हैं -
सखी !उठो!
अभी सूर्य नहीं निकला ;
 शीतल पानी में नहाना आनंद प्रद  है।
यही सुसमय है!
तेरी नींद का अभिनय छोडो।
यह तो नींद चोरी नींद।  जागो !
जगन्नाथ के यशोगान में
सखियों सहित लग जाओ।

आंडाल कृत तिरुप्पावै... 12

आज मार्गशीर्ष 
महीने का
12वाँ दिन.
सबेरे ओस कण  गिर रहे हैं!
एक सखी सो  रही है.
उसके घर की गाएँ
भूखे बछडों की आवाजें सुनकर
अपने आप स्तन से दूध निकाल रही है.
सखी को करके सामने दूध से भीगी कीचड.
सखियाँ  उसको भी नहाकर पूजा करने ले
जाने की चिंता में हैं.  अतः उसके जगाने गाती हैं.

तिरुप्पावै.. 12
आंडाल दक्षिण  की मीरा कृत.


भूख से पीडित अपने   बछडो के

शोर से मज़बूर  गायों के स्तन से दूध
अपने आप  निकला,
दूध के निकलने से वहाँ की भूमि
कीचड़ से भर गई. 
अतः गेपिकाएँ जरा
दूर से खडे होकर 
अपनी  सोती हुई सखी को
जगाने ज़ोर से गाने लगी.
हे सखी! उठो!
 हम सिर पर गिरनेवाले ओस कणों पर बिना ध्यान दिये तुम्हारे  घर के द्वार पर खडी हैं.

सीता के अपहरण से दुखित
 क्रोधित रामवतार में आए

नारायण  के यशोगान  करने निकली हैं.
तुम तो निश्चिंत सो रही हो.
सब घरों  की अहीर गोपिकाएँ
  जाग चुकी है.
 केवल तुम सो रही हो. उठो.
सब .मिलकर भगवान के कीर्तन करेंगी.
अनुवाद. मतिनंत.

Wednesday, December 26, 2018

आण्डाल कृत तिरुप्पावै -११.

आण्डाल कृत तिरुप्पावै -११.
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सनातन धर्म का कटु सन्देश /उपदेश
जिनका पालन करना अति मुश्किल है ,
पर पालन करने से ज्ञानी बन सकते हैं.
वह है तड़के उठना।

आण्डाल के तीस पद्य सूर्योदय के पहले उठकर
वह भी मार्ग शीर्ष महीने की सर्दी में
ईश्वर का यशोगान करके उस जगन्नाथ को
मन में बिठाना सांसारिक जीवन को सुखी बनाना।
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आज आण्डाल का ग्यारहवाँ पद्य :
सभी गोपिकाएँ उठकर
भगवान का यशोगान करने निकलीं।
और मार्ग पर एक अहीर की बेटी गहरी नींद में मग्न थी.
उनको जगाने आण्डाल कृत यह पद्य।
यह सखी के घर में असंख्य गोधन ,
जिनको गिनकर इतना ही कहना मुश्किल है.
उनमें गाये बछड़े में ही दूध देने लगी है.
गायों के स्तन दर्द से बचाने उसके पिता जल्दी दूध दुह लेते।
वे श्री कृष्ण के इतने बड़े भक्त थे कि कृष्ण के शत्रुओं को
अपना ही शत्रु मानकर उनको मिटाने में लग जाते।
उन अहीरों को कोई चिंता नहीं , फिर भी
कृष्ण के वैरियों को अपना ही मानकर चलते।
ये गोपालक अपने कर्तव्य मार्ग से कभी नहीं हटते।
ये कायरों को छोड़कर शक्तिशाली शत्रुओं पर ही हथियार चलाते।
ऐसे कृष्ण भक्त अहीर के घर में जन्म लेकर
पूजा और कृष्ण के यशोगान के लिए न उठकर
सोनेवाली सखी को जगाती है.
हे स्वर्णलता!तुम्हारी कमर सर्प घुसने के बिल-सी पतली है।
तुम्हारे केश मयूर पुच्छ की तरह सुन्दर आभूषण की तरह है.
श्री कृष्ण की प्रिय बालिका हो.तुम्हारी भक्ति बड़ी है.
आज इस प्रकार सोना उचित है क्या ?
तुम्हारे सभी सखियाँ नाते रिश्ते सहित आँगन में
खड़ी होकर श्री कृष्ण का यशोगान कर रही हैं.
कृष्ण के यशोगान में कितना असीम आनंद!
तुम तो अनसुनी होकर चुपचाप सोना
भक्ता का लक्षण है क्या ?
तुम्हारी नींद का अर्थ क्या है ? तुम उठो ;
गोपियों की पुकार सुनकर वह उठी;
अन्य सखियों के साथ श्री कृष्ण के
यशोगान में तन्मय हो गयी.