Monday, January 28, 2019

अज्ञानी!? (मु )



लिखो।  कुछ न कुछ।


नमस्ते। वणक्कम !
लिखो।  कुछ न कुछ।
वह कुछ का कुछ हो जाएगा।
  कुछ और    अर्थ निकलेगा ,
और और लोगों तक फैलेगा
कुछ और संदेश मिलेंगे।
और कुछ कल्पनाएँ  बढ़ेंगी।
कल्पना  सपना बनेंगी
सपना साकार होंगे।
और कुछ करेंगे
समाज हित राष्ट हित ,
पहुँचाएँगी उन सब में बाधाएँ
मज़हबी  नफरत और लड़ाइयाँ।
लड़ाई ईश्वर के नाम
कलह ,मानवता मर जाएंगी।
ईश्वर हैं ,पर   ईश्वर के नाम लेकर
लड़ाना भिड़ाना  बेचैनी का मार्ग।
ज्ञान चक्षु प्राप्त मनुष्य
ईश्वर को समझने में हो जाता
अज्ञानी अंधा।

        
             केंद्रीय शास्त्रीय तमिल संस्थान  
                                  (picture )

                  CENTRAL INSTITUTE OF CLASSICAL TAMIL

                             ----सूक्ष्म ज्ञान जानना ज्ञान -------


                                     वार्षिक प्रतिवेदन
                            २०१६ (2016 )----२०१७ (२०१७ )


     केंद्रीय शास्त्रीय तमिल संस्थान  
(मानव संस्थान  मंत्रालय , ,भारत सरकार के अंतर्गत के  विकास व उच्च शिक्षा विभाग का एक स्वायत्त संस्थान )
संख्या -४० ,(40 ),१०० (100 )फुट रोड ,तरमणि ,चेन्नई ,तमिलनाडु ,भारत -६०००१३ (600013 ). page -2 page -3 :-        केंद्रीय शास्त्रीय तमिल संस्थान
           वार्षिक प्रतिवेदन   २०१६ (2016 )----२०१७ (२०१७ ) दृष्टि :- शास्त्रीय तमिल के विकास की सभी संभावित खोज अनुसरण के मार्ग का सेवा केंद्र। उत्पत्ति :

    केंद्रीय शास्त्रीय तमिल संस्थान  मानव संस्थान  मंत्रालय ,भारत सरकार के अंतर्गत के  विकास व उच्च शिक्षा विभाग का एक स्वायत्त संस्थान है। भारत सरकार की निम्नलिखित प्रतिबद्धता के अधीन राष्ट्रीय न्यूनतम साझा कार्यक्रम के अंतर्गत तमिल को राष्ट्रीय मान्यता शास्त्रीय भाषा के नाम से भारत सरकार के गृह-मंत्रालय की संदर्भित सूचना सं. iv -१४०१४/७ /२००४-N १ -११ दिनांक १२-१०-२००४ द्वारा दी गयी है। शास्त्रीय तमिल को वृद्धि करने के लिए किये गए उत्तरोत्तर प्रयत्न के परिणाम स्वरुप मानव संसाधन विकास मंत्रालय के "केंद्रीय शास्त्रीय तमिल संस्थान ,चेन्नै में स्थापित करने के प्रस्ताव को केंद्रीय मंत्री मंडल ने ३०-१-१९ की बैठक में स्वीकृत दी है। तत्पश्चात मंत्री मंडल ने २० .२ .२००८ दिनांक को सन्देश -निर्णय की सूचना दी कि चेन्नै में केंद्रीय शास्त्रीय तमिल संस्थान की स्थापना की जाएँ। भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा पूरी तरह से वित्त पोषित स्वायत्त केंद्रीय शास्त्रीय तमिल संस्थान का चेन्नै कार्यालय कामकाज करने शरू किया गया है। केंद्रीय शास्त्रीय तमिल संस्थान का उद्देश्य केवल शास्त्रीय स्थिति ( शुरुआती समय से ६०० ई। पू। से ) पर ध्यान केंद्रित करना ,अत्यावश्यक मुद्दे उठाना ,पुरातन काल की विशिष्टता पर ध्यान केंद्रित करना आदि। शास्त्रीय तमिल और साहित्य पर अनुसंधान करने ,प्रमाण प्रस्तुत करने ,परिरक्षित करने ,शास्त्रीय तमिल के प्रलेखीकरण आदि के लिए सिवा चेन्नई के और कोई संस्था तमिलनाडु में या विश्व भर में नहीं है।

Sunday, January 27, 2019

भाषण (मु)



भाषण 
 सबको सादर  प्रणाम. 
 भगवान को धन्यवाद,
जिनकी कृपा से आज
आप के सामने बोलने का अवसर,
शब्द  शक्ति मिली है. 
जीवन तो  अर्थपूर्ण होना चाहिए.
अर्थ,यश,मान,अपमान,सम्मान तो
खोजकर जाने में जितना आनंद है,
 उससे सौगुनी आनंद अपने आप से मिलने में है.
 इस मंच पर आप  सब से मिलकर विचार प्रकट करने के मूल में
मोहनदास  करमचंद गांधी जी का  भविष्य वाणी है. 
उनके पहले राजाराम मोहनराय, दयानंद सरस्वती आदि
महानों ने भी हिंदी को  अपनाया. 
इनमें गाँधीजी  के पक्के अनुयायी 
आचार्य विनोबा ने हिंदी प्रचार के कार्य को
इतना महत्व दिया कि उनके सर्वोदय यज्ञ, भूदान यज्ञ
को लागू करने भारत भर के पद यात्रा में 
हिंदी को ही अपनाया. 
जहाँ भी वे भाषण देने जाते
हिंदी को  ही अपनाया.
उनके शिष्य भी पैदल यात्रा की आम सभाओं में
 हिंदी में ही भाषण देते.
दूरदर्शी   विनोबा ने   कहा कि  भारत की सभी भाषाओं की लिपि
एक होनी चाहिए.
वह देवनागरी लिपि होगी. 
लिपि ज्ञान एक हो तो पढना आ जाएगा.
सीखना आसान होगा.भारतीयों को एक करने में, 
आध्यात्मिक  साहित्य के आदान प्रदान में 
हजारों साल पहले संस्कृत ही संपर्क भाषा  रही. 
अतः कई हजार संस्कृत  शब्द  आ सेतु हिमाचल तक 
की भाषाओं में प्रचलित है. 
अतः भारतीय साहित्य के विकास  के मूल में 
संस्कृत  साहित्य  प्रधान रहा. 
तमिऴ साहित्य में  नीति ग्रंथ  की कई बातें 
संस्कृत के नीति ग्रंथ  के समान ही है. 
तमिळ के पंच महाकाव्य के नाम सब संस्कृत  शब्द हैं 
जैसे शिल्प+ अधिकार =शिलप्पधिकारम्, 
मणिमेखला मणिमेखलै जीवक चिंतामणि, कुंडल केशी, वळैयापति
 सब के सब संस्कृत. 
तिरुक्कुरळ के प्रथम कुरळ  में अकरम,  आदी  ,भगवान
तीन शब्द हिंदी में भी है. 
मैं इस चर्चा पर जाना नहीं चाहता
संस्कृत  या तमिल.
पर दोनों भाषाओं  में
समान अर्थ  में  हजारों  शब्द
 व्यवहार  में आज भी है. 
दिनकर, उदय सूर्य,  रवि, भास्कर, जय, विजय,  लता, ललिता, पंकज, सरोता, नीरजी, प्रेम, प्रेमा अजित
ऐसे ही संज्ञाएँ सब आ सेतु हिमाचल चल तक व्यवहार में है. 
बंद, घेरो,पताका,तोरण,विवाह,निर्वाह,निवारण, समाचार, 
यों ही हम कहते सोचते जाएंगे तो
मोहनदास करमचंद की दूरदर्शिता के समान अन्यत्र 
नेता नहीं है जिन्होंने भारतीय संपर्क  केलिए
हिंदी को माना, सुदृढ प्रचार  के लिए 
हिंदी विरोध प्रांत  की राजधानी  चेन्नई को चुना.
दक्षिण  भारत  हिंदी प्रचार  की स्थापना की. 
आज हम सब यहाँ एकत्रित हुए हैं तो
मूल में हिंदी, हिंदी  प्रचार में हमारी लगन. 
  यों ही मेरा भाषण होगा. 
  फरवरी महीने की सभा में  
 मुझे शीर्षक मुक्त भाषण  देने को बुलाया है. 
मन माना   शीर्षक,मनमानी बात नहीं करनी है. 
मौका दिया  ,धन्यवाद जी. 
ऐसी ही सोचते विचार करते
एक घंटे अपने  विचार  अभिव्यक्ति  करके
आप ने बुलाया है तो  अपना कर्तव्य  निभाऊँगा. 








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Wednesday, January 23, 2019

खलनायक न हो तो... (मु )

खलनायक   न हो तो...
हमारा जन्म  केवल धन कमाने,
जमा करने, मर जाने के उद्देश्य  से नहीं हुआ,
कुछ राष्ट्रीय -अंतर्राष्ट्रीय  विस्तृत काम के लिए  हुआ है.
 हम अपने नाते रिश्ते परिवार के लिए  ही जीना चाहते हैं.
परिवार  के लिए  जीना चाहते हैं.
कुछ लूटने के लिए  जीना चाहते  हैं.

 हमारा दिल संकीर्ण  हो जाता है.
   दुनिया की गतिविधियों  के देखने पर मुझे
 संसार में रहकर दूर एकांत में रहना अच्छा  लगता है.
 ईमानदारी  100प्रतिशत
ईमानदारी  केवल हरिश्चंद्र की

कहानी में हैं.
 रामावतार में नहीं, 
कृष्णावतार में नहीं,
कुरूक्षेत्र युद्ध धर्म युद्ध कहना
उचित है ही नहीं.

क्यों?   रामायण  की कहानी कैसी है?
 राम का व्यक्तिगत जीवन  में अशांति  के काले बादल.
कृष्ण को अपने प्राण बचाने की चिंता.
कुरु क्षेत्र  युद्ध  कर्ण   को कुंती
 प्रथम मिलन में ही

अपना परिचय  कर्ण को देती तो
महाभारत  कथा है ही नहीं  .
लडकियों को उठा  लाना  लाकर   शादी,

अवैध  संबंध,
बच्चे फेंकना,
नवजात शिशु  के साथ

निर्दय व्यवहार, 
कबीर तालाब के किनारे तो सीता भूमि के अंदर,
तुलसी की अशुभ नक्षत्र,
सीता का त्याग,
रावण का सीता मोह
संसार में खलनायकों का प्रभाव.

हिरण्य कश्यप का 
अपने पुत्र के साथ की गई क्रूरता..

खलनायक न तो संसार नहीं.
 आज मन में कई बातें.
..मुझे संसार  से बहुत दूर एकांत ही ओर ले जा रही है.

समाज के व्यवहार  देखना ही नाटक है.
चित्रपट  है.

अंत में यही निष्कर्ष 
सबहीं नचावत राम गोसाई.

तूफान (मु )

तूफान (मु )
तूफान केवल तेज वायु,
अति वर्षा  ही नहीं,बल्कि
विचारों की क्रांति भी
तूफान है,
हमारे मत,
हमारे कारण पद
हमारो कारण कर,
हमारे प्रतिनिधि  सांसद
हमारे प्रतिनिधि  वैधानिक
जब वादा पूरा नहीं करते,
पिछले चुनाव की वचन न पालन करते
वही वादा  फिर करते हैं नयी सी
उनके वाग्जाल  में न फँसना, फँसाना की क्रांति भी तूफान.
भारतीय  जब चुनाव के बाह्याडंबर
रिश्वत, काले धन, भ्रष्टाचार  को
जडमूल नष्ट करने की
क्रांति का तूफान न करते,  करवाते
तब तक दस लोगों के यहाँ
खोज  फल खबर के अनुसार
भारत की गरीबी  दूर होती.
सोचो विचारो गरीब, मध्य वर्ग के
वोट ही शासक का निर्णय करते.
विचारों का तूफान की जरूरत है.
स्वरचित स्वचिंचक यस. अनंतकृष्णन जी.

Tuesday, January 22, 2019

भक्ति के कारण (मु )

भक्ति के कारण (मु )

भक्ति तो अमीरों को लिए
बाह्याडंबर.
नास्तिकों के लिए
प्रदर्शनी.
भक्तों के लिए   अलौकिकता.
दुखियों के लिए आशा.
 भिखारियों के लिए पेशा.
चलते फिरते फेरी वालों के लिए
जीविकोपार्जन  .
आश्रम आचार्यों  के लिए  स्वरण सिंहासन.
राजनीतिज्ञों के लिए  मनोरंजन.
आदर्श  विज्ञान  ग्ञानियों के लिए
निस्पृह  जीवन.
आशा, शांति, संतोष के केंद्र.
स्वरचित स्वचिंतक:यस.अनंतकृष्णन 

Sunday, January 20, 2019

नई ज़िंदगी (मु )


नई ज़िंदगी (मु )
नई सी जिंदगी घुलना लगी,
हाँ, प्यार, सेवा, जन कल्याण.
हिंसा का अवतार अशोक,
कलिंग के निर्दय युद्ध  के बाद
क्रूर अशोक  की जिंदगी में
 नई सी जिंदगी घुलना लगी.
 सिद्धार्थ  सुखी सिद्धार्थ
रोगी, शव, कोढी देख
दुखी   त्यागी संन्यासी  राजकुमार,
जिंदगी में इक नई-सी
जिंदगी घने लगी.
सिद्धार्थ  बुद्ध  बन
भारत के चार चाँद बन
जिंदगी में इक ऩई. सी जिंदगी
अगजग में चमककर घुलना लगी.
 थप्पड पडा दक्षिण  ईपत्रिका में
वह मोहनदास की जिंदगी में इक
नई सी जिंदगी  घुलने लगी.
बना विश्ववंद्य  महात्मा.
गांधी बनिया भूल
सब अपने नाम के साथ
खान  हो या ब्राह्मण  गांधी जोड
गांधी वंश को  छिपा जिंदगी में
 इक नई सी ज़िंदगी घुलना लगी .
नश्वर जग में रत्नाकर वाल्मीकि  बन
जिंदगी में इक नई सी रामायण
जिंदगी घुलना लगी.
जिंदगी नहीं हाडमाँस के तनसे
लिपटकर रहना, वह तो नश्वर
आँखें  लाल हुई पत्नी को वचन
तुससीदास को अवधि के शशि बनाया.
 महानों की  जिंदगी के अध्ययन  से
कइयों की जिंदगी  में
इक नई जिंदगी घुलना लगी.
स्वरचित स्वचिंतक:यस.अनंतकृष्णन