Friday, May 31, 2019

जुदाई बिदाई

जुदाई  समारोह के बाद
  बिदाई समारोह ।
एक के बगैर,
एक नहीं ।
फल की बिदाई पेड से,
बीज की बिदाई  फल से,
बीज की जुदाई  मिट्टी में ।
मकरंद  फूल से बिदाई,
मकरंद  की जुदाई   से बीज।
जन्म से जुदाई,
मृत्यु  से बिदाई ।
भूलोक का  नियम यही।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंत कृष्ण की प्रार्थनाएं.


Anandakrishnan Sethuraman जुदाई समारोह के बाद
बिदाई समारोह ।
एक के बगैर, 
एक नहीं ।
फल की बिदाई पेड से,
बीज की बिदाई फल से,
बीज की जुदाई मिट्टी में ।
मकरंद फूल से बिदाई, 
मकरंद की जुदाई से बीज।
जन्म से जुदाई, 
मृत्यु से बिदाई ।
भूलोक का नियम यही।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंत कृष्ण की प्रार्थनाएं
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Wednesday, May 29, 2019

कन्नदासन कवि सम्राट के गीत

तमिल कविता
कवि सम्राट
कण ण दासन की कविता।
मानव मन
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एक का मन एक नहीं रे नौ रे -उनमें
छिपकर रही बात अस्सी रे।
नर देखता रूप रे--उसमें
दिल को देखनेवाला ईश्वर रे।
प्रगति में जलता है तो
रे अवनति में हँसता है रे।
आनंदित जिंदगी में आते नाते रिश्ते ,
गरीबी में बिछुड़ते रे।
माता का बड़प्पन भूलता है रे।
स्वार्थ के कीचड में गिरता है रे।
भूत सा पैसे को करता रखवाली ;
बड़ों को करता है निंदा।
एक का मन एक नहीं रे नौ रे -उनमें
छिपकर रही बात अस्सी रे।
नर देखता रूप रे--उसमें
दिल को देखनेवाला ईश्वर रे।
ஒளிந்து கிடப்பது எண்பதடா
உருவத்தைப் பார்ப்பவன் மனிதனடா - அதில்
உள்ளத்தைக் காண்பவன் இறைவனடா
ஒருவன் மனது ஒன்பதடா - அதில்
ஒளிந்து கிடப்பது எண்பதடா
ஏறும் போது எரிகின்றான்
இறங்கும் போது சிரிக்கின்றான்
வாழும் நேரத்தில் வருகின்றான்
வறுமை வந்தால் பிரிகின்றான்
ஒருவன் மனது ஒன்பதடா - அதில்
ஒளிந்து கிடப்பது எண்பதடா
தாயின் பெருமை மறக்கின்றான்
தன்னலச் சேற்றில் விழுகின்றான்
பேய் போல் பணத்தைக் காக்கின்றான்
பெரியவர் தம்மைப் பழிக்கின்றான்
ஒருவன் மனது ஒன்பதடா - அதில்
ஒளிந்து கிடப்பது எண்பதடா
உருவத்தைப் பார்ப்பவன் மனிதனடா - அதில்
உள்ளத்தைக் காண்பவன் இறைவனடா
படம்: தர்மம் தலை காக்கும்
இசை: K.V.மகாதேவன்
பாடலாசிரியர்: கண்ணதாசன்

नाच/कृष्ण चित्रलेखन

 नमस्ते । 
मीरा,आंडाल, राधा,रुकमणि नहीं, 
फिर भी विट्ठल बन नाचूँ,

माँगूँ वर,मिलूँ, सूर,अष्टछाप बनूँ,
तेरा अनुग्रह चाहिए ।
जितना तेरा प्रेम मिले,
उतना अनंत आनंद ।
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ।
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे।
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Monday, May 27, 2019

एक न तो दूसरा मिल ही जाता है

नमस्ते ।
मैं  नहीं  तो दूसरा मिल जाएगा।
यह आशा न तो यह  चिंतन न तो
लै ला मजनूँ  ,अनार कली सा
जहां  पागलों  से भर जाता ।
आध्यात्मिक  जगत में  भी,
अड़तालीस  दिन दुर्गा की प्रार्थनाएं ।
इतने पडोसिन ,नाते रिश्ते  के इशारे  से
आश्रम के  आचार्य मिलन।
सद्य:फल के लिए तीर्थ यात्रा,
मजहबी परिवर्तन,
तीर्थ यात्राएँ ।
हिंदी  नौकरी न देती तो
अंग्रेज़ी, न तो तकनिकी ।
एक न तो दूसरा ।
पैसे हो पाँच नक्षत्र  खाद्यालय।
विचित्र  वीर्य नहीं  तो शुक्ल दानी।
मैं  नहीं तो दूसरा मिल ही जाता है ।
सभी क्षेत्रों  में। तभी जिंदगी  न तो पागल  इनसान ।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंत कृष्ण की प्रार्थनाएं

चंद्रमा और निराकाश

चारु चंद्रमा,साथ  न संगीनि।
संगीनों चारुलता लेटी तो
न नीलाकाश न चाँद,
आँखें  बंद,ऐक्य में  ऐश्वर्य सुख।
निराकार  की सृष्टि  मिलन
आकार देने के बिंदु मिलन।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंत कृष्ण की प्रार्थनाएं ।

आँखें

आँखे
देखी,
नयन मिला,
नेत्र सुख,
आँखें  मारी।
पहला मार खाया।
नेत्र  अपमानित
नीचे झुके ।
चारों ओर  आँखें  घूमी।
पैर तेज।
दोहा  याद आयी
नेत्र स्नेह हीन तो
वहाँ न जाना,
भले ही स्वर्ण वर्षा  हो।
 स्वरचित स्वचिंतक
यस अनंत कृष्ण की प्रार्थनाएं ।
भगवान की कृपा कटाक्ष के लिए ।
ईश्वरीय चक्षु  मिलन में बडा आनंद।
परमानंद  ब्रह्मानंद,
आँखों  में अश्रु धारा,
परमानंद  की,वरणनातीत।
स्वरचित स्वचिंतक ।

बगैर

हम जी रहे हैं
बिना किसी बहाने
किये  बगैर.
नगर नया विस्तार,
बैंकवाले  कर्जा  देते हैं,
महानगरपालिका अभियंता 
अनुमति दे देते हैं.
बिजली विभाग  बिजली दे दी.
पर न सडक, न मोरीजल धारा,
न पीने की पानी व्यवस्था,
न बस, टूवीलर में जाने पर हड्डियाँ टूट जाती.
   किसी बहाने किये बगैर जी रहे हैं.