नमस्ते ।
मैं नहीं तो दूसरा मिल जाएगा।
यह आशा न तो यह चिंतन न तो
लै ला मजनूँ ,अनार कली सा
जहां पागलों से भर जाता ।
आध्यात्मिक जगत में भी,
अड़तालीस दिन दुर्गा की प्रार्थनाएं ।
इतने पडोसिन ,नाते रिश्ते के इशारे से
आश्रम के आचार्य मिलन।
सद्य:फल के लिए तीर्थ यात्रा,
मजहबी परिवर्तन,
तीर्थ यात्राएँ ।
हिंदी नौकरी न देती तो
अंग्रेज़ी, न तो तकनिकी ।
एक न तो दूसरा ।
पैसे हो पाँच नक्षत्र खाद्यालय।
विचित्र वीर्य नहीं तो शुक्ल दानी।
मैं नहीं तो दूसरा मिल ही जाता है ।
सभी क्षेत्रों में। तभी जिंदगी न तो पागल इनसान ।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंत कृष्ण की प्रार्थनाएं
मैं नहीं तो दूसरा मिल जाएगा।
यह आशा न तो यह चिंतन न तो
लै ला मजनूँ ,अनार कली सा
जहां पागलों से भर जाता ।
आध्यात्मिक जगत में भी,
अड़तालीस दिन दुर्गा की प्रार्थनाएं ।
इतने पडोसिन ,नाते रिश्ते के इशारे से
आश्रम के आचार्य मिलन।
सद्य:फल के लिए तीर्थ यात्रा,
मजहबी परिवर्तन,
तीर्थ यात्राएँ ।
हिंदी नौकरी न देती तो
अंग्रेज़ी, न तो तकनिकी ।
एक न तो दूसरा ।
पैसे हो पाँच नक्षत्र खाद्यालय।
विचित्र वीर्य नहीं तो शुक्ल दानी।
मैं नहीं तो दूसरा मिल ही जाता है ।
सभी क्षेत्रों में। तभी जिंदगी न तो पागल इनसान ।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंत कृष्ण की प्रार्थनाएं
No comments:
Post a Comment