Monday, May 27, 2019

एक न तो दूसरा मिल ही जाता है

नमस्ते ।
मैं  नहीं  तो दूसरा मिल जाएगा।
यह आशा न तो यह  चिंतन न तो
लै ला मजनूँ  ,अनार कली सा
जहां  पागलों  से भर जाता ।
आध्यात्मिक  जगत में  भी,
अड़तालीस  दिन दुर्गा की प्रार्थनाएं ।
इतने पडोसिन ,नाते रिश्ते  के इशारे  से
आश्रम के  आचार्य मिलन।
सद्य:फल के लिए तीर्थ यात्रा,
मजहबी परिवर्तन,
तीर्थ यात्राएँ ।
हिंदी  नौकरी न देती तो
अंग्रेज़ी, न तो तकनिकी ।
एक न तो दूसरा ।
पैसे हो पाँच नक्षत्र  खाद्यालय।
विचित्र  वीर्य नहीं  तो शुक्ल दानी।
मैं  नहीं तो दूसरा मिल ही जाता है ।
सभी क्षेत्रों  में। तभी जिंदगी  न तो पागल  इनसान ।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंत कृष्ण की प्रार्थनाएं

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