Tuesday, May 21, 2019

लेटी नारी चित्र

संयोजक, समन्वयक और  संचालक को नमस्कार ।
 चित्र  लेखन।
 लेटी  महिला  अति चिंतित,
अति दुखित,अति विचलित ।
रूठी  है या क्रोधित या विरह पीडित
पता  नहीं,किसी तमिल कवि ने कहा,
समुद्र की गहराई  का
 पता चल सकता है,
नारी  हृदय के अन्तर्मन समझना
अति मुश्किल।
यह तो कैकेई  नहीँ,
वह तो रूठी जमीन पर लेटी।
यह तो सीता नहीं,वह तो अशोक वन में,
यह तो उर्मिला हो सकती,
कोई रानी हो सकती।
वह पीडिता के कारण  अनेक,
प्रेम से ठुकराई है या
प्रेमी ठगा दिया,
या पति विदेश में
न जाने पीडा के कारण अनेक।
प्यार में हार गई या
पुत्र वियोग में या
सास ससुर की गालियाँ  सुनी।
पति झूठ बोला या
 ननद  की झिडकियाँ,
कार्यालय व्यवस्थापक या कार्यालय
सम स्या,
वेदना तू है भली ,
कुछ सांत्वना  तो देँगे जो चाह्ती नारी।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंत कृष्ण की प्रार्थनाएं ।

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