Friday, May 17, 2019

युवको! भारतीय जागो

नमस्कार।
न कोई सोचा
उर्मिला की बात ।
न सोचा  पौराणिक बातें ।
एक सर्श्व त्यागी,एक भोगी,
एक अनुरागी,एक विरागी।
शहीद अपने सर्वश्व ,
तन मन धन तजकर
दिलाई आजादी।
आज कहते हैं
पूरी पूंजी भारत में
31-40अमीरों के हाथ।
आजादी के वंशज अति दुखी,
कई तो भूखों से तडप रहे,
मोहनदास गाँधी वंशज का पता नहीं।
पर आज लोकतंत्र परम्परागत हो गई ।
निस्वार्थ शहीदों को मेरा नमस्कार।
हो गये  भ्रस्टाचार सर्व मान्य।
युवकों ! जागो,जगाओ,
फिर न हो
भारत परतंत्र ।
अंकुर प्रान्तीय मोह फूट रहा है,
स्वार्थ्मय राजनैतिक दल
प्रान्तीय,मजहबी ,,जातीय,सम्प्रदाय मोह
बढ़ाकर मनुष्यता बिगाड़ रहे है,
एकता तोड रहे है।
जानी ,पहचानो,समझो,समझाओ,
फूट के अंकुर को अभी उखाडकर  फेंको ।

स्वरचित स्वचिंतक  अनंतकृष्णन जी।

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