Tuesday, May 14, 2019

नज्दीकियाँ दूर दुश्मन सा।

परिषद के सदस्यों, संयोजकों ,समन्वयकों,
और  पाठक  चाहकों
सब को मेरा विनम्र  नमस्कार.
 नजदीकियाँ  जैसे क्यों?
अति निकटता महत्व न देती.
एक चमार का बेटा जिलादेश बना तो
दूर के लोग करते प्रशंसा.
पास के लोग यही कहते वह तो
भाग्यवान, न कहते बुद्धिमान, होशियार.
परिश्रमी, मेहनत की कमाई,
बेटे को पढाया सिखाया.
अति निकट अरुचि,
चंदन वन का भीलनी
चंदन को चूल्हे  का ईंदन बनाती.
ज्योतिष  खुद अपना
भविष्य  न जानता.
 घर की घडी बूटी का उपयोग  नहीं  करता.
अडोस पडोस के लोग,
विदेशी तक उपयोग  करते.
हमारी भाषा, हमारे  र्रिषि  मुनियों 
की शिक्षा  उपदेश विदेशी के
 कहने पर मानते हम.
मेक्समुल्लर तो  संस्कृत सीखी.
हमारा चिकित्सा  की दवाएँ
वहाँ बनाई.
योगा का  महत्व  वहाँ.
हर अंग की रक्षा  के श्लोक.
वे जट्टू टट्टी तक शिव चित्र
उनकी दिल्लगी हम
पचास हजार की काली माँ ,
अति सुंदर गणेश,
विसर्जन  के नाम छिन्न भिन्न कर
अपमान करते,
नजदीकियाँ  दूर करते हम.
इच्छा  शक्ति ज्ञान  शक्ति क्रिया शक्ति हमारी देँन।
कहते हम विदेशी देन ।
नज्दीकियाँ  बन जाती दुश्मन ।
हमारे ज्ञान को विदेशी भाषा में कहें तो
कहते उनकी बात।

स्वरचित स्वचिंतक अनंतकृष्णन.

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