Monday, May 27, 2019

चंद्रमा और निराकाश

चारु चंद्रमा,साथ  न संगीनि।
संगीनों चारुलता लेटी तो
न नीलाकाश न चाँद,
आँखें  बंद,ऐक्य में  ऐश्वर्य सुख।
निराकार  की सृष्टि  मिलन
आकार देने के बिंदु मिलन।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंत कृष्ण की प्रार्थनाएं ।

No comments:

Post a Comment