चारु चंद्रमा,साथ न संगीनि।
संगीनों चारुलता लेटी तो
न नीलाकाश न चाँद,
आँखें बंद,ऐक्य में ऐश्वर्य सुख।
निराकार की सृष्टि मिलन
आकार देने के बिंदु मिलन।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंत कृष्ण की प्रार्थनाएं ।
संगीनों चारुलता लेटी तो
न नीलाकाश न चाँद,
आँखें बंद,ऐक्य में ऐश्वर्य सुख।
निराकार की सृष्टि मिलन
आकार देने के बिंदु मिलन।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंत कृष्ण की प्रार्थनाएं ।
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