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Tuesday, May 7, 2019

प्यार

प्यार  ढाई  अक्षर ।
न जानते समझते मह्सूस न करते तो
पण्डित विद्वान पटु  भी
  बुद्धु बेवकूफ समान ।
कबीर।
कबीर जैसे जुलाहा तिरुवल्लुवर  का कहना है कि
हड्डीहीन जन्तुवों को धूप कैसे भूनेगा
वैसे ही प्रेम रहित लोगों को
धर्म देवता सतायेगी।
प्रेम तो नर नारी  प्रेम
यों ही पागल होना ,
आत्महत्या करना,
भटकना  प्रेम नहीं।
प्रेम मार्ग भक्ति मार्ग होना ही अच्छा  है।
प्यार प्यार न रहा,
वह प्यार सताता है,
जो न प्यार करते
उनके  पीछे   जाने के बदले
चरित्र  हीन नाम लेने के बदले
ईश्वरिय  प्रेम चरित्र गढ्ता  है।
संयम  बनाता  है।
अनुशासित रखता है।
तुलसी से सीखो,
हाड मज्जा प्रेम तज
ध्यान करो भगवान का।
 स्वरचित स्वचिंतक यस अनंत कृष्ण की प्रार्थनाएं

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