चित्र लेखन -मजदूर ---कावड़ी उठाते मजदूर (मुक्तक )
नमस्कार।
अनंत कृष्ण की प्रार्थनाएं किस काम की
बडे बडे यज्ञ हों किस काम के।
जो होना है होगा ही।
यही पौराणिक वास्तविकता ।
राम न बचे कृष्ण न बचा।
न धर्म बचा, न अधर्म।
धनी न सुख।निर्धनी न दुख।
श्रवणकुमार की कथा बदल।
कावड मेँ आ गये बच्चे।
युगानुकूल चित्र।
सूक्ष्म सांसारिक नीति ।
पुरातनाता मिटना,फेंकना,
नवीनता मनाना
नन्हे मेहमान का चूमना।
मेहमान के कार्यकर्ता की
प्राथमिकता भंग होना।
यही नव चित्र लेखन।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंत कृष्णन।
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