Monday, May 27, 2019

आँखें

आँखे
देखी,
नयन मिला,
नेत्र सुख,
आँखें  मारी।
पहला मार खाया।
नेत्र  अपमानित
नीचे झुके ।
चारों ओर  आँखें  घूमी।
पैर तेज।
दोहा  याद आयी
नेत्र स्नेह हीन तो
वहाँ न जाना,
भले ही स्वर्ण वर्षा  हो।
 स्वरचित स्वचिंतक
यस अनंत कृष्ण की प्रार्थनाएं ।
भगवान की कृपा कटाक्ष के लिए ।
ईश्वरीय चक्षु  मिलन में बडा आनंद।
परमानंद  ब्रह्मानंद,
आँखों  में अश्रु धारा,
परमानंद  की,वरणनातीत।
स्वरचित स्वचिंतक ।

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