आँखे
देखी,
नयन मिला,
नेत्र सुख,
आँखें मारी।
पहला मार खाया।
नेत्र अपमानित
नीचे झुके ।
चारों ओर आँखें घूमी।
पैर तेज।
दोहा याद आयी
नेत्र स्नेह हीन तो
वहाँ न जाना,
भले ही स्वर्ण वर्षा हो।
स्वरचित स्वचिंतक
यस अनंत कृष्ण की प्रार्थनाएं ।
भगवान की कृपा कटाक्ष के लिए ।
ईश्वरीय चक्षु मिलन में बडा आनंद।
परमानंद ब्रह्मानंद,
आँखों में अश्रु धारा,
परमानंद की,वरणनातीत।
स्वरचित स्वचिंतक ।
देखी,
नयन मिला,
नेत्र सुख,
आँखें मारी।
पहला मार खाया।
नेत्र अपमानित
नीचे झुके ।
चारों ओर आँखें घूमी।
पैर तेज।
दोहा याद आयी
नेत्र स्नेह हीन तो
वहाँ न जाना,
भले ही स्वर्ण वर्षा हो।
स्वरचित स्वचिंतक
यस अनंत कृष्ण की प्रार्थनाएं ।
भगवान की कृपा कटाक्ष के लिए ।
ईश्वरीय चक्षु मिलन में बडा आनंद।
परमानंद ब्रह्मानंद,
आँखों में अश्रु धारा,
परमानंद की,वरणनातीत।
स्वरचित स्वचिंतक ।
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