Sunday, July 28, 2019

भाग्य

विषय मुक्त रचनाएँ
विषय युक्त नमस्कार।
संचालक को नमस्कार।
प्यार ही जीवन,
प्यार ही भगवान।
प्यार,प्यार,प्यार,
लौ  किक  लौकिक  प्यार,
लात मारता,मनुष्य  बनता गेंद।
कैकेयी  से प्यार,वचन
राम का वन वास,
दशरथ का पुत्र शोक।
कुंती  का मंत्र प्रेस,
निर्दयी व्यवहार अपने
नवजात  शिशु से।
समाज से डर,कबीर  शिशु
तालाब किनारे।
अलौकिक प्रेम गीता,
पडोसिन  नहीं,
भगवद्गीता से।
जीवन मुक्त।
विषय मुक्त।
परमानंद, ब्रह्मानंद।
स्वरचित स्वचिंतक
 यस अनंत कृष्णन
पुरनानूरु 192  तमिल प्राचीन ग्रंथ।
तमिल संस्कृति  जीवन  का प्रतीक  है।
अनुवाद  अनंतकृष्णन

सुनिए
हर गाँव, हर शहर हमारे हैं, सब हमारे  रिश्ते भाईबंधु हैं।
जो भलाई और बुराई होती है,दूसरों  से नहीं, वे हमारे कर्म फल हैं।
दुख और सांत्वना भी दूसरे  नहीँ देते।
मृत्यु ताजी नहीं है,जीना सुख नहीं।
जीवन दुखमय होने पर भी नफरत नहीं करते

बाढ भरी नदी  पर बहने वाले नाव जैसे हैं, हमारी जिंदगी। प्रकृति जैसे  चलेगी। यह ज्ञान पाकर हम स्पष्ट हो गए।
बडों की स्तुति भीनहीं करते  और छोटों को निंदा भी नहीं करतै।

मुक्ति

विषय मुक्त रचनाएँ
विषय युक्त नमस्कार।
संचालक को नमस्कार।
प्यार ही जीवन,
प्यार ही भगवान।
प्यार,प्यार,प्यार,
लौ  किक  लौकिक  प्यार,
लात मारता,मनुष्य  बनता गेंद।
कैकेयी  से प्यार,वचन
राम का वन वास,
दशरथ का पुत्र शोक।
कुंती  का मंत्र प्रेस,
निर्दयी व्यवहार अपने
नवजात  शिशु से।
समाज से डर,कबीर  शिशु
तालाब किनारे।
अलौकिक प्रेम गीता,
पडोसिन  नहीं,
भगवद्गीता से।
जीवन मुक्त।
विषय मुक्त।
परमानंद, ब्रह्मानंद।
स्वरचित स्वचिंतक
 यस अनंत कृष्णन

Thursday, July 25, 2019

सिंदूर

नमस्ते।
अखिल  विश्व  में
भारत में  ही सिंदूर का महत्व।
सिंदूर  न माथे पर तो वह स्त्री  अमंगल।
उसको देखना
अशुभ लक्षण।
भारत में  हल्दी
हल्दी चूर्ण के बिना न शुभ कार्य।
कई बीमारियों  की दवा।
भारतीय  महिलाएं
सिंदूर  बिना न शोभती।
पति हीनता के लक्षण।
वर्षा में  भी
माथे का सिंदूर  मिट जाता  तो
नारियाँ  बेहद दुखी हो जाती।
हल्दी  नींबू रस के मिलन है सिंदूर।
स्नातक स्नातकोत्तर की महिलाएं  आजकल
पाश्चात्य देशों के मोह के कारण
 सिंदूर  के बदले
स्टिक्कर बिंदी  रखती।
सिंदूर  रसायन मिश्रित  माथे पर
सफेद  या काला धब्बा।
तलाक मुकद्दमें
अदालत  में  ज्यादा।
स्टिक्कर के समान बदलते आकार अनेक।
एक आकार की बिंदी  का अनेक आकार।
आहार की भिन्न रुचि  के अनुसार
जीवन  में  परिवर्तन।
 सिंदूर  शिखर पर,
शिव के त्रिनेत्र  की जगह  सिंदूर
शीतल विचार,
तन,मन की गर्मी
मिटाने  हल्दी का
सिंदूर  बिंदी अत्यंत  आवश्यक।
वह याद दिलाती
आत्म नियंत्रण।
जितेन्द्र की शक्ति  देती।
स्वरचित स्वचिंतक
यस अनंतकृष्णन।
 हिंदी प्रचारक,
तमिलनाडु, चेन्नै।

डाकिया

मुख्य
 सह
संचालकों को प्रणाम।
डाकिया
जब मैं  बच्चा था
तब मेरे माँबाप,
दादा-दादी
डाकिये की राह देखते।
मैं  भी देखता।
आज के संचार क्रांति  डाकिये का महत्व कम कर दिया।
मोबाइल के आगमन तुरत खबर विश्व भर
ईमेल,वाट्साप,
फेस बुक, कूरियर,
डाकिये को
नौ दो ग्यारह बना दिया।
आगे राजा-रानी कहानी बन जाएगी।
डाकिया  परीक्षा फल  लाया,
आज अंतर-जाल।
 गाँवों  में, छोटे शहरों  में  उसका ज़रा महत्व है ,
चेहरे  देख,
बोलने के जमाने में,
डाकिये की यादों की बारात कलम की यात्रा निकाली।
तार शब्द
कंपाता,रुलाता,
केवल मृत्यु संदेश ही लाता।
बधाई तार
बदला वह मनोविकार।
डाकिये  मेरा
साक्षात्कार पत्रलाया।
डाकिये  मेरा नियुक्ति पत्र लाया।मेरा प्रेम पत्र लाया।
मनीआर्डर लाया।
 धन्य है डाकिया।
धन्यवाद के पात्र हैं  आज के कलम की यात्रा के संचालक ।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंतकृष्णन।

निकल पडे।

नमस्ते।
निकल पडे
सूर्य  देव।
अंधकार
 निकल पडा।
काले बादल   छाये,
सूखापन
निकल पडा।
हरियाली छायी।
 फूल खिले,
फल निकले,
निकल पडी ज्येष्ठ
आ गई  लक्ष्मी  ।
आनंद  छा गया।
निकल पडे  वीर,
शत्रु भाग निकल पडे।
 निकल पडे,
निकालने
साधु वचन,
मन से बद  विचार  निकल पडे।
सिद्धार्थ राजमहल से निकल पडे,
एशिया  के ज्योति बने।
एक बूंद पानी आ समान से निकल पडी,सी पी में गिर  मोती  बनी।
एक तिनका निकल पडी,
कवि की आँख में  गिरी,अहंकार कवि का निकल पडा।
आज निकल पडे
अनेक  विचार।
 धन्यवाद निकल पडे, वाह, वाह  सुनकर।
स्वरचित स्वचिंतक  यस.अनंतकृष्णन
  (मतिनंत)

Tuesday, July 23, 2019

आदी मुद्रा योगाभ्यास

परिषद  को प्रणाम।
आदी मुद्रा  के चित्रण।
योगाभ्यास  में  सीखा।
अंगूठा  पंजे में  दबाकर,
चार उंगलियों  से
 बंद कर  देखो।
यह आदी मुद्रा।
बच्चा जब कोख में
रहता तभी ऐसी मुद्रा।
अतः नाम पडा आदी मुद्रा।
सहज प्राणायाम/ नियंत्रण  प्राणायम में,
दोनों  मुट्ठी  ना भी पर रखो।
साँस खींचने में  नियंत्रण  रखो।
लाभ तो अधिक, पर यह भारतीय  कला,विदेश में प्रचलित।
 अच्छाइयों को भारत से चलने दीजिएगा। पर भूलना तो अति मूर्खता।
आदी मुद्रा योगाभ्यास करें।
अपनी,तोंद, चर्बी  चढना
साँस  घुटने सब से बचिए।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंत कृष्ण की प्रार्थनाएं। ,