Saturday, August 24, 2019

गुरु भक्ति

मुख्य संचालक, चित्रांकन, आयोजन संचालक  आदि सबको नमस्कार।
 गुरु  की आशीषें,
गुरु  के ठुकराने पर भी
गुरु  ध्यान  -भक्ति-अनंत अपार असीम आकाश ज्ञान देगा।
भले ही अंगूठा  दक्षिण में दे दे।
गुरु  के शाप कर्ण को  मिले पर
गुरु   शाप से बढकर नाम देगा ही।
गुरु  ब्रह्मा गुरू विष्णु
गुरु देवो माहेश्वरः।
साधु संत  की आशीषों  से
जन्मा संत कबीर।
 अकुशल जीने सदानंद परमानंद ब्रह्मानंद महसूस करने
गुरुवंदना का अपना
 विशिष्ट स्थान जान।
स्वरचित स्वचिंतक
यस।अनंतकृष्णन

Wednesday, August 21, 2019

भक्ति

मित्रोँ  को नमस्कार।
ईश्वरीय देन
 करुणा
 ईश्वर के इशारे से
जन्म नक्षत्र के फल से
बुद्धि  काम करती है।
दोस्ती  मित्रता
नफरत प्यार
आसक्त अनासक्त जीवन।
 यश अपयश।
सच्चे अच्छे  आदर्श  नाते रिश्ते
पुत्र सुपुत्र कुपुत्र।
सत्संग बदसंग
सदाचार  बदाचार
रूप कुरूप 
मधुर कठोर स्वर
सब के सब ईश्वरीय देन।
कीचड़ के कमल
काँटों के गुलाब।
जहरीले साँप।
अस्थाई  जगत।
गीताचार्य का यशोगान।

भूल गये

जिंदगी   
ईश्वर के ध्यान में बिताना
भारतीय  शिक्षा।
त्याग ही जीवन।
वस्त्र  शस्त्र के त्यागी संत।
शास्त्र रचकर
संयम का मार्ग सिखाये।
पश्चिम  के भोगी आए।
कब ?
जब भक्त  का मन
मनमाना भोग भर चला।
संयम तजा।
स्नातक स्नातकोत्तर
 पर मधुशाला  का व्यापार बढा।
 भक्त  संख्या  बढा
पर शांति  न मिली।
ईश्वर की मूर्ति  के दर्शन
पैसे पद के  बाह्याडंबर  द्वारा।
भूल गये भक्त  मन चंगा तो कटौती में गंगा।

किसान

प्रणाम।
  किसान
लालबहादुर शास्त्री  का नारा
देश की सुरक्षा  और
प्राण शक्ति प्रदान
"जय जवान जय किसान:।
 सैनिक  न तो चैन नहीं।
पेट खाली है तो बैचैनी ।
कृषि प्रधान भारत।
विश्व भर में  समृद्ध भूमि।
विश्व का खाद्यान्न खजाना।
आजकल औद्योगीकरण के जाल में  फँसकर फँसकर
शहरीकरण के नाम से
मेरे बचपन की हरी भरी भूमि
रेत हीन नदियाँ  भविष्य पीढी के
अकाल आतंक की सूचना।
गाँवों में  जवान कम।
बूढे ज्यादा।
ग्रामराज्य का सपना
सपना ही रह जाएँ तो
किसानों  की आत्महत्याएँ
ऋण भार से बढती जाएँ तो
भविष्य  की पीढी को
दाने दाने के लिए
तपना ही पढेगा।
   जय जवान!जय किसान!
स्वरचित स्वचिंतक ।
यस।अनंतकृष्णन।

Saturday, August 10, 2019

कण्णदासन की कविता

Daily one song blogspot today I took and publishing.
Think about the film

चित्र पट = मदुरै वीर
  कवि का नाम --तमिल चित्रपट कवि सम्राट
 कण्णदासन  साल =1956

  सोच सोच देख।
 ठगकर जीने का धंधा ।
 ठीक है क्या?
जी! सोचिएगा।
 सोच सोच देखिए।
ठगकर जीने का धंधा।
ठीक है क्या?
नट सुप्पा
आतंकवादी  बद्माश सुब्बा।
कृष्णा! ज़रा  सोचकर देखना।
ठगकर जीने का धंधा सही है क्या?
गहराई  से सोचना,
लूट डकैतियों से जीने पर
कोई  छोडेगा क्या?
डकैति के रईस सब
जेल केशहतीर  गिनना ही पडेगा।
ताला तोडने के चोरों ।
बाघों। इसे समझ लेना।
जिंदगी भर डकैती की जिंदगी।
छेद डालकर चोरी की जिंदगी।
उत्पात उपद्रव  का जीवन।
स्वप्न में  भी न चाहिए।
अच्छी बातें  खूब सोचिए।
शहर लूट कर जीना नहीं चाहिए।
डरडरकर जीना भी न चाहिए
  हल लेकर खेत जीतकर जीना ।
गौरव पूर्ण जिंदगी जीना श्रेष्ठ है।














ஏச்சுப் பிழைக்கும்

திரைப்படம்: மதுரை வீரன்
இயற்றியவர்: கவிஞர் கண்ணதாசன்
இசை: ஜி. ராமநாதன்
பாடியவர்: டி.எம். சௌந்தரராஜன், ஜிக்கி
ஆண்டு: 1956

ஏச்சுப் பிழைக்கும் தொழிலே சரிதானா? எண்ணிப் பாருங்க
ஏச்சுப் பிழைக்கும் 

शाश्वत काल

प्रार्थना  में  आज के विचार।
शाश्वत संसार।
भ्रष्टाचार और रिश्वत से
करोडों कमाओ।
विदेशी बैंकों में  जमा करो।
बेवकूफी प्रार्थना तीस हजार गणेश की
मूर्ति  बनाकर  बेकार भक्ति दिखाकर
आदी देव विनायक का अपमान  करो।
पद पाऔ।
बडे बडे विश्वविख्यात डाक्टरों को पास रखो।
सुरक्षा  दल रखो।
तेरी जवानी अपने आप बुढापा में बदलेगी।
काल आएगा तो कोई  बचा नहीं  सकता।
ईश्वरीय  विचार।

गड्ढे

नमस्ते।
 वणक्कम्।
   कोई  भी गड्ढे  में  गिरें तो
 हँसी  आती है।
बरसात  के गड्ढे
 अधिक  खतरनाक।
यह तो ठेकेदार का दोष।
स्थानीय  नगर पालिका का दोष।
विधायक  का लोटभ।
अधिकारी  का स्वार्थ।
वर्षा के गड्ढे में  कीचड़
कइयों को चोट मिली।
एकाध के प्राण पखेरू उड़ने लगा तो   सरकार  अपने मगरमच्छ
आँसू बहाने लगी।मंत्री  आये।
घायलों के नाते रिश्तेदारों से मिले।
बूढियों से  गले मिले।
पत्रिकाओं  में फोटो छपे।
मौसम समाप्त।
गड्ढे  ज्यों के त्यों  रहे।
चुनाव  वही  वही मंत्री।
उनको पता नहीं  वहाँ गड्ढे  हैं।
मतदाता भी भूल गये।
मंत्री  गड्ढे  भरने पक्की वादा।
कौन सी राजनीति  पता नहीं।
स्वरचित स्वचिंतक
 यस ।अनंतकृष्णन