Sunday, September 13, 2020

 करत करत अभ्यास करत


मैं भी हिंदी भाषी नहीं,

ईश्वर के अनुग्रह हिंदी विरोध 

वातावरण में बना हिंदी प्रचारक हिंदी अध्यापक तमिलनाडु में।

कुछ लिखता रहता 

हूं।

प्रयत्न / कोशिश/चेष्टा/प्रयास

फल/मेवा/प्रशंसा/तारिफ 

कौनसा शब्द बढ़िया उचित जानने समझने में देरी।

अलविदा अंतिम विदा समझने 

ईश्वर करुण चाहिए।

मैं मित्रों को भाई बहनों को अलविदा कहता कि  मैं बड़ा पंडित।

ईश्वर करुण जी ने समझाया 

जब उनको अलविदा कहा,

भाई अलविदा तो अंतिम विवदा

आप की हिंदी में सुधार चाहिए।

ऐसी बातें समझाने

 ईश्वर करुण सा  शुभ चिंतक चाहिए।

अब मैं नहीं  कहता अलविदा।

केवल विदा।

 नमस्ते वणक्कम

अगजग सत्यदेव की देखरेख में!

सीना तानकर चलते हैं सत्यपालक

सिर झुक छिप छिप छलते हैं असत्य पालक!

सत्यदेव की सज़ा अति सूक्ष्म!

समझकर भी मानव 

सद्यःफल के लिए

अधर्म अपनाकर 

अनंत सुख सागर में है मानव!!

स्वरचित अनंतकृष्णन

 भगवद्गीता  मान्य ग्रंथ

भारतीयों के लिए

 अनुशासन और कर्त्तव्य के

 मार्गदर्शक ईश्वरीय देन।

फिर भी देशोन्नति के साथ,

धन का ही प्रधानता,

दया तो अति कम।

श्मशान भूमि में भी

 निर्दय व्यवहार।

अस्पताल में ,

शिक्षालयों में

निष्काम कर्त्तव्य मार्ग

कितने पालन करते हैं?

आनंदपूर्ण , संतोषजनक

शांतिपूर्ण जीवन बिताते हैं

पता नहीं, पर हर कोई

ईश्वर का गुण करते हैं।

गीता का योगदान करते हैं

पर माया या शैतान के वशीभूत

मानव दुखांत में 

सुखांत की खोज में।


अनंत कृष्णन,(मतिनंत)चेन्नै।

    नारी  चित्रलेखन।

 बेगार गुलाम नारी।

नर सत्तात्मक प्रशासन से मुक्त।

नर नारी की अर्द्ध शक्ति।

अर्द्ध नारीश्वर सम शक्ति।

परावलंबित नारी नहीं,

स्वावलंबित नारियां।।

शिक्षा उन्नति सही।

पर युवक युवतियों में

संयम की कमी, जितेंद्र कोई नहीं।

देवेंद्र को भी शाप,

शरीर भर योनी।

संयम रहित अगजग में

नारी की हिफाजत नारी।

चालक नारी चतुर बन 

पर्दा फेंक कर बाहर आती

यह एक महिला संघ का साहस।

नारियां वीरांगनाएं,

नारियां विमान चालक।

नारी उत्थान मातृसत्तात्मक शासन।

जय हो नारी शक्ति और स्वावलंबन।

नारी 


 एक जमाना था,

केवल खाना ,

अरद्धनग्न कपड़ा

सोना काफ़ी मानव मानते।

शिक्षा के विकास,

वैज्ञानिक सुख सुविधाएं

मानव को धन प्रधान बना दिया

नर नारी को कमाना हो

 गया जरूरी।

सेना, विमान चालक और

अन्यान्य क्षेत्रों में

नारी  भी चमकने लगी।

राजनीति में न अधिक।।

नारी के उत्थान में

नर भी साथ देता जहां

धोबी की बात पर

राम ने सीता को भेजा था जंगल।।

वहां पर्दा घूंघट निकालकर 

गाड़ी चलाना सोच विचार परिवर्तन भारत समाज की प्रगति।

स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन।चेन्नै।

 म🤫😀🤭🤔 हास्य 

मैं हूं रंगीला ,

मैं हूं अपने को

हरा तमिलवाला कहता हूं।

अजब हममें वैज्ञानिक

 तमिल वाले  हैं,गैर वैज्ञानिक।

भ्रष्टाचार में भी वैज्ञानिक , अवैज्ञानिक।

हम हिंदी से चिढ़ते नहीं,

हिंदी से न घृणा।

भगवान नहीं कहा करते,पर

विवश मानना पड़ा।

हम मंदिर जाया नहीं करते।

पर अर्द्धांगिनी जाया करती

हमारे पापों को भी प्रायश्चित करती, मन में भय पर कहते

नारी स्वतंत्रता में धकल नहीं करते।

अब एक मात्र नारा 

हिंदी- संस्कृत को आने नहीं देंगे

पर मत वोट मांगने 

उदय सूर्य चिन्ह कहेंगे।

 हिंदी पढ़ने को रोका नहीं करते।

अतः दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा जिंदा है

चुनाव के सिद्धांत में

हिंदी विरोध नारा मात्र है।

कैसे छोड़ सकते?

हिंदी वालों से हम 

हिंदी में ही वोट के लिए

अनुनय विनय करते हैं।

हिंदी से चिढ़ते नहीं,पर

अवैध संबंध ही रखते।

चुनाव में मजबूर हम।

अपने लाभ के लिए

सत्यता के लिए विरोध करना पड़ता है,पर लोगों में जागरूकता आ गई,पर आशा है "|

हरा तमिल नारा काम आएगा।

स्वरचित स्वचिंतक

अनंत कृष्णन एस।

 वाह !असर!

नौकरी मिलीबढिया,

संपत्ति की कमी नहीं,

शांति नहीं मिली अब,

एलकेजी आरक्षण,

अभी से चैन नहीं मिली!

पति पत्नी दोनों की कमाई,

क्रेडिट कार्ड से दब गई

बेचैनी की सीमा नहीं,

पाँच प्रतिशत भरते रहे

बैंक तो संतोष

मूल धन  तो जैसे के वैसे!

यही आधुनिक जिंदगी!

स्वरचित एस.अनंतकृष्णन