Saturday, January 23, 2021

स्वतंत्रता

 स्वतंत्र नमस्कार। वणक्कम।

  स्वतंत्र हम नहीं 

 जब तक 

प्रकृति को नहीं देते

स्वतंत्रता तब तक।।

 नदी नाले झील सागर 

सब में प्रदूषण।

एक गौरैया को भी जीने नहीं देते।

 मानव दिन ब दिन 

यांत्रिक।

 यंत्र का गुलाम।।

 पंखा बुझाने,

रिमोट। 

आजादी कैसे?

हर बात में चाहते आजाद।

बाह्याडंबर दिखाने 

 क्रेडिट कार्ड के गुलाम।

होम लोन,वाहन लोन गुलाम।

पुकार पुकार कर ऋण देते।

बैंक में फिक्स्ड डिपॉजिट अधिक।

विजय मल्लय्या नीरव जैसे 

कर्जा न चुकाने वाले आजाद।

मध्य वर्ग ईमानदारी से कर्जा चुकाते 

पर न स्वतंत्र कर्जा लेने।

धनियों की स्वतंत्रता गरीबों की नहीं।

कहते हैं सब स्वतंत्र,

पर आवेदन पत्र में 

जाति धर्म लिखना अनिवार्य।।

स्वतंत्र नाम सिर्फ भाग्यवानों के लिए।

स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन,चेन्नै।

प्रेम

 साजन 


 हमारे जमाने  में  प्रेम याने लव  शब्द  अश्लील ,

 दंडनीय ,बुरे शब्द।  

आधुनिक  काल में ऐ  लव यू  शब्द  

सामान्य शब्द। 

साजन  रहित महाविद्यालय जीवन

 शून्य ,अति शून्य ,अपमानित। 

कुछ मज़हबी  और जातिवाले 

प्रेम करने कराने करवाने के प्रशिक्षण में लगे हैं.

हमारे जमाने में शादी के  बाद ,

पति सेवा प्रधान। अंत तक जुड़े रहते हैं ,

अमीरों और जमींदारों को रखैल रखना गर्व की बात.

 अंतःपुर में सुंदरियों की भीड़.

आज  कल स्नातक स्नातकोत्तर 

साजन खोज लेते पर अदालत में तलाक मुकद्दमा 

बढ़ रहे हैं  कई कारणों से। 

कितने साजन से अति संतोषप्रद  जीवन पता नहीं।

मोह  तीस सिन ,चाह तीस दिन ,

बंधन रहित में प्यार ,बंधन के बाद मनमुटाव।

जवानों के अध्ययन से वे शादी के बाद दुखी। 

आर्थिक असमानता , अंतर्जाल में बढ़ा चढ़ाकर दृश्य। 

सुखी  नहीं ,यथार्थ की बात.

स्वरचित  स्वचिंतक अनंतकृष्णन।

पल

 नमस्ते वणक्कम।

 दिनांक 23-1-2021.

   शीर्षक : पल  

पल पल बूंदें मिलकर पला ।

बच्चा बना।तीन किलो का।

बालक बना पल-पल कर

वजन बारह किलो।

पलकर युवा बना पचास।

पलने माता ने खूब खिलाया।

पलकर नौकरी नहीं मिली।

वही माँ ने गाली दी 

पलकर भैंस बराबर बने हो।

पडोसिन का बेटा पल पल कमाता लाखों।

पल पल गाली खाते खाते

 मोटा ताजा जवान बना।

 न जाने भाग्य पलटा।

पल पल लाखों कमानेवाले की बहन से

 प्यार मिलन हो गई शादी।

अब भी पलता सुडौल बनता जा रहा हूँ।

पल पल कमानेवाला

 और कमाने की परेशानी में।

मैं हूँ निश्चिंत आवारा।

परावलंबित।

पल पल परिश्रमी स्वावलंबी।

भाग्य भला या परिश्रम पता नहीं।

स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन,चेन्नै हिंदी प्रेमी तमिलनाडु।

Friday, January 22, 2021

मेरी अभिव्यक्ति

 [19/01, 5:46 am] Ananthakrishnan: वक्त से डरो।

संगम संस्थान गुजरात इकाई।

नमस्ते वणक्कम।

शीर्षक वक्त वक्त से डरो।

 वक्त  से डरना क्यों?

 वक्त तो चलता रहता है।

 वक्त की चिंता में

जीवन अपना बहूमूल्य या अमूल्य 

 या मूल्य रहित पता नहीं।।

 बुरे वक्त बुरे विचार के कारण।

सद्कर्म हमें बदमाश कर देता।

सुदर्शन जी ने अपनी कहानी में लिखा--

जब बुरा समय आता है,तब पहले 

बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है।

मौसमी वक्त में पतझड़ भी है।

कोशिश करनेवाले  सब के सब 

कामयाबी प्राप्त नहीं करते।।

सफलता प्राप्त करनेवाले सब 

कोशाश नहीं करतें।

काल चक्र काल तक।

वक्त पर अपने कर्तव्य निभाने वाले

 सिर्फ प्रकृति।

सूर्योदय होता है समय पर।

सूर्य सा वक्त निभाने वाले

 सूर्य सा चमकते अपने जीवन में।।

उनके जीवन में चाँदनी ही चाँदनी।

चंद्र के जीवन में घटा बढ़ का शाप।

वह भी करता वक्त पर।

सूर्य देता सबको चुस्ती।

जागने वाले जगमगाते।

सोने वाले के भाग्य में 

अमावाश्य अंधकार।।

वक्त  दशरथ को रुलाया।

वक्त जूते को गद्दी पर लिटाया।

वक्त राम को वनवास भेजा।

अग्नि प्रवेश फिर भी सांता वनवासिनी।।

 वक्त अपना काम करता है,

वह जीवन को

 वसंत या पतझड 

बना ही देता ।।

स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन,चेन्नै।

[23/01, 9:05 am] Ananthakrishnan: अपने को पहचानो।

आत्मविश्वास भर लो।

अन्यों का दोषारोपण पर 

अनंत ध्यान दो।

प्रशंसक तेरा कौन?

स्वार्थी या निस्वार्थी?

जानो गहराई से।

हम से ही काम लेकर मुफ्त में,

हमारी हंँसी उड़ायेंगे,कहेंगे 

"बेचारा भला आदमी".

कबीर,वाणी के डिक्टेटर ने कहा--

निंदक न्यारे राखिये,तभी मिलेंगे 

वास्तविक प्रशंसक।।

ईश्वर पर ही रखिए भरोसा--

जाको राखे साइयां मारी न सकै कोई।

बाल न बांका करि सकै जो जग वैरी होय।।

 कबीर सम कोई भक्त सुधारक नहीं,

 सरल वचन से गंभीर बात बताने।।

स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन,चेन्नै हिंदी प्रेमी।

[23/01, 9:28 am] Ananthakrishnan: कलम की यात्रा 

प्रकृति। 

प्रणाम। 

बगैर प्रकृति के 

मानव जीवन का जन्म दुर्लभ। 

प्राकृतिक  चेतना ,

प्राकृतिक  प्रेरणा ,

प्राकृतिक गुण ,

ऋतु  परिवर्तन। 

सूर्योदय चंद्रोदय। 

तारों की चमक.

खारा पानी भाप बनकर 

मीठा पानी की वर्षा। 

बिंदु ,शिशु ,बचपन ,

लड़कपन ,जवानी ,प्रौढ़ावस्था। 

बुढ़ापा ,झुर्रियाँ ,मृत्यु। 

प्राकृतिक शक्ति  अद्भुत। 

वैज्ञानिक मानव  बुद्धि अचंभित। 

अल्ला ,ईसा ,शिव ,विष्णु भेद भाव 

मानव कृत रक्षा नहीं करती 

भूकंप ,सुनामी ,ज्वालामुखी ,

नयी नयी दवाएँ ,

ताज़ी बीमारियाँ। 

ईश्वरीय  शक्ति  असली सोना ,

असली हीरा ,असली मिट्टी। 

बने बनायी आभूषण  मानव कृत। 

सोना ,हीरा ,पन्ना  प्राकुतिक शक्ति। 

मनुष्य शक्ति  प्राकृतिक शक्ति के प्रदूषण से 

फीकी ,अति दुर्बल। 


स्वरचित ,स्वचिंतक यस. अनंतकृष्णन।

मेरी रचनाएँ

 [15/01, 6:52 pm] Ananthakrishnan: नमस्ते।

 




शीर्षक.:- तन्हाइयाँ  தலைப்பு --தனிமை




 सब को सविनय அனைவருக்கும் பணிவான


 सादर  प्रणाम.  மரியாதை யான வணக்கம்.




गाना है तमिल में.  பாட்டு தமிழில்


कया अकेले आनंद पा सकते हैं?  தனியாக ஆனந்தம் பெறமுடியுமா?


क्या अकेला पेड उद्यान हो सकता है? 


தனிமரம் தோப்பாகுமா?


हिंदी में अकेले चना भाड नहीं फोड सकता. 


தனி ஒருவன் பெரிய தாக சாதிக்க முடியுமா?


 आज का शीर्षक तन्हाई. இன்றைய தலைப்பு தனிமை


लौकिक अलौकिक जीवन में  லௌகீக அலௌகீக வாழ்க்கை யில்


  पहले समाज को  முதலில் சமுதாயம்


दूसरे में तन्हाई.   அடுத்தது தனிமை.


समाज में जीना சமுதாயத்தில் 


 कितना आनंद, வாழ்வதில் எவ்வளவு ஆனந்தம்.


 कितना दुख.  எவ்வளவு வருத்தம்.


पडोसी की सुविधाएँ  அண்டை வீட்டு வசதிகள்.


बढते बढते  அதிகரிக்க அதிகரிக்க


ईर्ष्या -जलन,. பொறாமை எரிச்சல்.


अपनी सुविधाएँ தன் வசதிகள்


 அதிகரிக்க அதிகரிக்க


 बढते बढते


अहंकार. ஆணவம்.




अपनी कमज़ोरी தன் பலஹீனம் 


  छिपाने  மறைக்க


क्रोध.  கோபம்.


अपनी शारीरिक தன் உடல்


 सुख में काम  சுகத்தில் ஆசை


इन सबको नियंत्रण  में  இவைகளை கட்டுப்பாட்டில்


रखने,   வைக்க


मनको चैन में लाने  மனதை அமைதியில் கொண்டு வர.


इन सब से बचने  இவைகள் அனைத்திலும் தப்பிக்க


एक साधन है तन्हाई.  ஒரு சாதனம் தனிமை.


तन्हाई पसंद लोग  தனிமையை விரும்புபவர்கள்


लौकिकता  तजकर  லௌகீகம் விட்டு விட்டு


अकेले ब्रह्मानंद  में लगे.  தனியாக பிரம்மானந்தத்


 தில் ஈடுபட்டனர்.


महावीर, बुद्ध, मुहम्मद नबी, மஹாவீரர்,புத்தர்,


 आदी  कवि वाल्मीकि, तुलसी,ஆதிகவி வால்மீகி,துளசி


 आदि परिवार तज, पत्नी तज 


முதலியோர் குடும்பத்தை விட்டு


ईश्वर का वर,  கடவுளின் வரம் 


अनुग्रह  प्राप्त कर அனுக்ரஹம் பெற்று


ईश्वर  तुल्य बने.  கடவுளுக்கு ஒப்பானார்கள்.


अगजग के आराधना के அகில உலக ஆராதனை


 ईश्वर तुल्य बने.  கடவுளுக்கு  இணையானார்கள்.


जग -अभिलाषा रहित, உலகப் பற்றின்றி


ईश्वरत्व अनुशासित  தெய்வீக ஒழுக்கம்


दान धर्म का  தான் தர்மத்திற்கு 


मार्ग दिखाया.  வழி காட்டி கார்கள்.


मैं सत्तर साल का  நான் எழுந்து வயதில் 


दूसरी तन्हाई के महत्व का  அடுத்த தனிமையின் மகத்துவம் 


महसूस कर உணர்ந்து,


तन्हाई को तनहाईतम मान தனிமையை தனித்தன்மையான ஏற்று 


युवकों को जगाने  के प्रयत्न में இளைஞர்கள் விழிப்புணர்வு பெற 


तन्हाई में आनंदमय  தனிமையில் ஆனந்தம் 


ब्रह्मानंद में जीने का  பிரம்மானந்தம் தில் வாழும் 


महत्व  पर सोचने का संदेशமகத்துவத்தைக் கூறும் நிலையில்.


சுய சிந்தனையாளர் சுயபடைப்பு 


சே.அனந்தகிருஷ்ணன்.


देने की अवस्था  में.


स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई।

[17/01, 10:44 am] Ananthakrishnan: नमस्ते।  मैं अपने तमिल  साहित्य का हिंदी अनुवाद,  हिंदी का तमिल अनुवाद अपनी निजी विचार आदि ब्लाग द्वारा 

लिख रहा हूँ।सुना है किताब छपकर प्रकाशित करने पर ही 

पुरस्कार के लिए सरकार के यहाँ से सम्मान मिलेगा।

    आप जानते हैं कि किताब छापने और प्रकाशित करने अधिक खर्च होगा। युगानुकूल ब्लाग में लिखनेवाले लेखकों भी प्रोत्साहित करने का कदम उठाइये।

 मेरे ब्लाग है

 १.आ सेतु हिमाचल नवभारतटाइम्स अपनाब्लाग 

२.Tamil Hindi Sampark

anand gomu. blog spot.com

3sethukri.blogspot.com

4.Anbeandavan (Tamil

Knowledge sharing.

ananthako.blogspot.com

 v.p.poor.blogspot.com 

Speaking tree Timesof India 


 मेरी उम्र७२हैं।

SBM school my face book ID.

 s.anandakrishnan 

8610128658

[18/01, 9:06 am] Ananthakrishnan: दोष  देखना  गैरों  का   बंद  कीजिए --नूतन साहू  वाह। 

बुरा जो देखन मैं गया ,बुरा न  मिलिया कोय। जो दिल खोजा अपना मुझसे बुरा न कोय --कबीर। 

हर कोई अपने को सही रखें तो 

देश स्वर्ग तुल्य  मान। 

हमेशा यह याद रखना ,

बार बार जानी हुई  बात दोहराना 

सही या गलत।,

दोहराने में  मजबूर मनुष्य। 

धन  न रोक सकता जवानी। 

धन न रोक सकता श्वेत बाल। 

धन न रोक सकता बुढ़ापा। 

फिर भी भ्रष्टाचारी ,रिश्वतखोरी ,ठग 

आदि काल से पनपते जग  में। 

वाल्मीकि से पाठ न सीखा। 

तुलसी से  पाठ न सीखा। 

भर्तृ हरी से पाठ न सीखा। 

बुद्ध से पाठ न सीखा। 

अंगुलिमाल से  पाठ न सीखा। 

छत्रपति शिवाजी से पाठ न सीखा। 

इंदिरागांधी ,संचय , राजीव से पाठ न सीखा। 

खांन गांधी ठग से न सीखा। 

आज तमिलनाडु के पहाड़ 

हिन्दू मंदिर छिपाकर 

ईसाई  गिरिजा घर , मुग़ल दरगा। 

सहने तैयार ,पर वे तो भारतीय संस्कृति ,भाषा मिटाने तैयार। 

बगैर दोष देखे बताये ,समझाए जीना 

स्वाभिमान है क्या ?

जिओ जीने दो। 

हम हैं तो 

अन्यों का नाश करो ,जड़ मूल नष्ट करो 

खुद जीओ तब न सोचे मरना 

सार्थक कहाँ तक ?

सोचो ,मीन मेख देखना सही 

आत्माभिमान और स्वरक्षा के लिए। 

स्वरचित स्वचिंतक एस। अनंतकृष्णन। चेन्नै  हिंदी प्रेमी

[19/01, 8:49 am] Ananthakrishnan: नमस्ते वणक्कम।

न अपनी गरीबी की चिंता।

न अपने भविष्य की चिंता।

हाथ में  राष्ट्रीय झंडे।

देश के नामोच्चारण।।

 भगवान की क्रूर लीला।।

धनलक्ष्मी देकर

 संतान लक्ष्मी से वंचित।

संतान भाग्य देकर,

 धन लक्ष्मी से वंचित।।

 सुंदर आँखों की चमक।।

स्वस्थ ह्रृष्टपृष्ठ शरीर की संतान।

 निर्मल हँसी,गरीबी में आनंद।।

 लक्ष्मी पुत्र अपनी आलीशान महल में।

संतान लक्ष्मी पुत्र फुटपाथ पर।।

ईश्वरीय लौकिक लीला,

 अगजग को पता नहीं।

 आदर्श देश भक्ति यहाँ।

 भ्रष्टाचारी रिश्वत खोरी 

  छल कपटी  दल 

सत्ता के लिए 

समाधियाँ,

मूर्तियाँ बनाते।

लाखों करोड़ों  की इमारतें।।

लाखों करोड़ों झोंपडियाँ,

मतदाता वे ही।

३५% मतदाता अमीरी शिक्षित

 नहीं देते ओट।

गरीबों के वोट में  

जीते संसद विधायक।

असुरों को  वर देकर 

देवों को कारावास ।

फिर वध के लिए अवतार।‌

यह लौकिक लीला समझ में न आती।

राजा महाराजा  के प्रेम मिलन में

हजारों विधवाएँ,

उन स्वार्थी कामांधकारी राजाओं की प्रशंसक कवि।

पद्मावत के शासकों को 

वीरों के अनाथ बच्चों पर दया नहीं।

उन अनाथ बच्चों का

 शाप राज परंपरा नहीं।

 विविध  विचार, 

ईश्वर की लौकिक लीलाएँ।

समझ में आती नहीं।

पाषाण युग से 

आधुनिक शिक्षित युग तक।

जिसकी लाठी उसकी भैंस।

 भस्मासुर को वर देकर

 शिव का भागना समझ में नहीं आता।

मोहिनी अवतार कामदहन  

 शिव के आकर्षण  

समझ में आता नहीं।।

स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन,चेन्नै

[21/01, 9:45 pm] Ananthakrishnan: मेरा नाम  अनंतकृष्णन  है.

मैं  आपको बोलचाल की हिंदी सिखाने   आया हूँ.


आप  अपना  नाम   बताइये।

 हिंदी  -तमिल  भाषा की समानता।


 हम अनजान में ही  हिंदी का  प्रयोग करते हैं। 


आप  जानते हैं ,हमारे नामों का तमिल अर्थ जानने  पर 

हिंदी  सरल होगा।


पहले  हम  "तामरै "  शब्द  के हिंदी शब्द  पर ध्यान देंगे। 


आप निम्नलिखित  नामों के दोस्त  जानते हैं। 


कमल,  सरोजा ,नीरजा,पद्मा ,पंकज ,जलजा --- अब छह नाम जानते  हैं.

इन सबका  एक  ही अर्थ है -तामरै। lotus 


 दूसरे   शब्द देखिये :--

सूर्य --सूरियन।  sun 

दिनकर ,दिवाकर ,प्रभाकर,रवि,  इन सबका अर्थ सूरज। =सूरियन। 


अब   आप   बारह शब्द सीख चुके हैं  जो  अपने परिचित नाम   है.


अब  तमिल अखबार में अक्सर उपयोग और प्रयोग करनेवाले शब्द :


कामम (காமம்),क्रोतम ,(குரோதம்)अहंकारं  (அஹங்காரம் ) ,निर्वाहम (நிர்வாகம் ),बंद பந்து ),घेरो ,கேரோ 


திருப்தி , निवारणं ,(நிவாரணம் ),गिरहप (கிரஹப்பிரவேசம் ),

गणितम(கணிதம் ) ,சேவை ,गिरामम  கிராமம் ,सुतंतिरम ,(சுதந்திரம் मुकाम, முகாம் सबै,சபை 

मासम,மாசம்   वरुसम , வருஷம்  सतम ,சதம் वसूल,வசூல்  कोटि கோடி ,कुडुम्बम , குடும்பம்  

वारम வாரம் ,परिवर्त्तने ,பரிவர்த்தனை बागपपरिविनै பாகப் பரிவர்த்தனை , भागम,,பாகம் 

समरप्पणम ,சமர்ப்பணம் अधिकारीஅதிகாரி 

   ये सब तमिल और हिंदी में प्रयोग करते  हैं।  இவை எல்லாம்  தமிழ்  ஹிந்தியில்   சமமாகும்.ஹிந்தியில் "  ம் "

  अंत के "म "  हटाने पर  हिंदी हो  जाएगा। 


இவ்வாறு    தமிழ் அறிந்தவர்கள்  ஹிந்தி  படிப்பது  மிக எளிது.

[22/01, 5:15 pm] Ananthakrishnan: तमिल  हिन्दी में फर्क।

एकता।


अरुकतै   - अर्हता

योग्यतै  -  योग्यता

कतै    -  कथा

सिदै।   - चिता। 

शिलै  -  शिला।

ज्वाला -  ज्वालै।

शूलम्। -  शूल।

  गधै    -गदा 

 पातै  -  पाथ।

 वतै  -वध कर।


चिंतनै।  चिंता।

मालै     माला 


परिवर्तनै   परिवर्तन।

भ्रम्मै भ्रम।

चित्तम्   चित्त।

संग्रह  अनंतकृष्णन चेन्नै।

Sunday, January 3, 2021

மனித நேயம்इन्सानियत

 


தமிழும் நானே ஹிந்தியும் நானே.

तमिल भी मैं, हिंदी भी मैं।


नमस्ते। वणक्कम। வணக்கம்.

3-1-2021

दिनांक -३-१-२०२१

शीर्षक --आगाज़ -ए -नववर्ष. புத்தாண்டு வரவேற்பு.

२०२०   का  अलविदा , 2020க்குஇறுதிவிடை. 


नव  वर्ष  का  स्वागत।புத்தாண்டு வரவேற்பு.


पिछले वर्ष कोरना  का आगमन। சென்ற ஆண்டு கொரானா.

नव वर्ष      புத்தாண்டு 


अति तीव्र कोराना। அதி தீவிர கொரானா.


क्रीट विषाणु          மகுட விஷக்கிருமி


मेरा हिंदी अनुवाद।    என் தமிழ் மொழிபெயர்ப்பு


सम्राट असुर 

कोराना धारण कर , பேரரசன் அசுரன்  விஷம

 குடம் தரித்து


अगजग को डरा रहा है , அகில உலகை பயமுறுத்திக் கொண்டிருக்கிறான்.


नव वर्ष का  பத்தாண்டு

स्वागत गाना , வரவேற்பு பாட்டு.


प्रार्थना के साथ। இறைவணக்கத்துடன்.


अगजग.    அகில உலகம்


  समझ  गया , அறிந்துகொண்டு விட்டது.


कृत्रिम विज्ञान   செயற்கை அறிவியல்


काम का नहीं ,. பயன் படாது


प्रार्थना , பிரார்த்தனை


इबादत  தொழுகை


प्रधान।  பிரதானம்


प्राकृतिक  का कोप  இயற்கை ச் சீற்றங்கள்


 नहीं देखता.     பார்ப்பதில்லை--:--


हिन्दू ,मुस्लिम  ஹிந்து முஸ்லிம்


ईसाई ,सिक्ख , கிறிஸ்தவ ன் சீக்கியன்


जाति ,सम्प्रदाय नहीं देखता। ஜாதி சம்பிரதாயங்கள் ஆகியவை.


इंसानियत /मनुष्यता , மனித நேயம்


ईमानदारी ,सच्चा दिल , நாணயம் உண்மை மனம்


अचंचल मन              சஞ்சலமற்ற மனம்


,सफाई अति  தூய்மை அதிக அவசியம்.

आवश्यक।


अत्याचारी हिटलर नहीं , கொடுங்கோலன் ஹிட்லர் இல்லை.


जगत विजेता सिकंदर नहीं , உலகையே வென்ற அலெக்சாண்டர் இல்லை.


अत्याचारी हिरण्यकश्यप नहीं கொடுங்கோலன் ஹிரண்ய கஷ்யப் இல்லை.


ईसा नहीं ,मुहम्मद नहीं , ஏசு இல்லை முஹம்மது இல்லை.


व्यास नहीं वाल्मीकि नहीं , வியாசர் இல்லை. வால்மீகி இல்லை


पर वेद हैं ,कुरआन है ,बइबिल भी है ஆனால் வேதம் குரான் பைபிள் உள்ளன.


पर उन सब के  ஆனால் அந்த அனைத்தையும்


अच्छे अनुयायी नहीं। பின்பற்றுபவர் இல்லை.


धर्म कर्म में मजहबी भेद , அறம் செயல்களில் மத வேற்றுமைகள்


मनुष्य मनुष्य में नफरत , மனித ர்களுக்குள் வெறுப்பு.


स्वार्थ आश्रम , சுய நல ஆஸ்ரமங்கள்


तिलक भेद।  திலக வேறுபாடுகள்


खुदा के नाम.  குதா வின் பெயரால்


भगवान के नाम பகவானின் பெயரால்


ईसा के नाम.   ஏசுவின் பெயரால்


लेकर भेद।      வேறுபாடுகள்


कोराना   கொரானா


भेद न देखा जान।  வேற்றுமை 

பார்க்காது என அறிந்து கொள்.


मनुष्यता

 निभाएंगे हम। நாம் மனிதநேயம் கடைப்பிடிப்போம்.


मजहबी भेद  तो மதவேறுபாடுகள்


नहीं पवन  के  लिए। காற்றுக்கில்லை.


नहीं समीर  के  लिए। தென்றலுக்கு இல்லை


नहीं गंगा पानी के लिए। கங்கை தண்ணீருக்கு இல்லை

समुद्र का.  கடலின்

 खारापन सब के लिए। உவர்ப்பு அனைவருக்கும்


सोचो विचारो   சிந்தித்து எண்ணுங்கள்.


मानव एक होंगे. மனிதர்கள் ஒன்றாவோம்


मानवता निभाएँगे।  மனித நேயம் கடைபிடிப்போம்.


यह शपथ लेकर   இந்த சபதம் ஏற்று 


आगे बढ़ेंगे।  முன்னேறுவோம்.


नव वर्ष का   புத்தாண்டை வரவேற்போம்.

सुस्वागत करेंगे।

स्वरचित ,स्वचिंतक ,से। अनंतकृष्णन ,चेन्नई तमिलनाडु

आगाज ए नव वर्ष

 नमस्ते। वणक्कम

दिनांक -३-१-२०२१
शीर्षक --आगाज़ -ए -नववर्ष
२०२० का अलविदा ,
नव वर्ष का स्वागत।
पिछले वर्ष कोरना का आगमन।
नव वर्ष अति तीव्र कोराना।
क्रीट विषाणु मेरा हिंदी अनुवाद।
सम्राट असुर सम्राट बन ,
अगजग को डरा रहा है ,
नव वर्ष का स्वागत गाना ,
प्राथना के साथ।
अगजग समझ गया ,
कृत्रिम विज्ञान काम का नहीं ,
प्रार्थना ,प्रेयर ,इबादत प्रधान।
प्राकृतिक का कोप नहीं देखता
हिन्दू ,मुस्लिम ईसाई ,सिक्ख ,
जाति ,सम्प्रदाय नहीं देखता।
इंसानियत /मनुष्यता ,
ईमानदारी ,सच्चा दिल ,
अचंचल मन ,सफाई अति
आवश्यक।
अत्याचारी हिटलर नहीं ,
जगत विजेता सिकंदर नहीं ,
अत्याचारी हिरण्यकश्यप नहीं
ईसा नहीं ,मुहम्मद नहीं ,
व्यास नहीं वाल्मीकि नहीं ,
पर वेद हैं ,कुरआन है ,बइबिल भी है
पर उन सब की अच्छे अनुयायी नहीं।
धर्म कर्म में मजहबी भेद ,
मनुष्य मनुष्य में नफरत ,
स्वार्थ आश्रम ,तिलक भेद।
खुदा के नाम
भगवान के नाम
ईसा के नाम
लेकर भेद।
कराना भेद न देखा जान।
मनुष्यता निभाएंगे हम।
मजहबी भेद तो
नहीं पवन के लिए।
नहीं समीर के लिए।
नहीं गंगा पानी के लिए।
समुद्र का खारापन सब के लिए।
सोचो विचारो मानव एक होंगे
मानवता निभाएँगे।
यह शपथ लेकर आगे बढ़ेंगे।
नव वर्ष का सुस्वागत करेंगे।
स्वरचित ,स्वचिंतक ,से। अनंतकृष्णन ,चेन्नई तमिलनाडु