Thursday, July 13, 2023

திருவள்ளுவர் திருக்குறள்.तिरुक्कुरल

 ஈன்ற பொழுதில் பெரிதுவக்கும் தன் மகனைச் சான்றோன் எனக் கேட்ட தாய்.

 तमिऴ विच्छेद और हिंदी अर्थ _

ईन्र पोऴुतिल --जन्म लेते समय


पेरितुवक्कुम --अति प्रसन्न  होनेवाली  

तन मकनै --अपने बेटे को

 चान्रोन् -- पंडित, विद्वान,शिक्षित।

केट्ट --सुनी

ताय--माँ। திருவள்ளுவர் திருக்குறள்.

+++++++++++++++++

एक माँ अपने पुत्र को जन्म लेते समय अधिक खुश होती है।

 उस से तब अधिक खुश होती है,

जब लोग कहते हैं कि वह बहुत बड़ा विद्वान हैं।

 अनुवादक ----एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई।

Monday, July 10, 2023

दान तो गुप्त दान होना चाहिए।

 दान तो गुप्त दान होना चाहिए।

 यह दान किसके लिए उपयोगी होगा।

   कलियुग में बहुत बड़ा पाप निजी संस्थाओं को, निजी मंदिरों को  दान देना, भिखारियों को भीख देना एक भ्रष्टाचारी समाज का विकास करना है।

 राजनैतिक दलों को दान किसलिए देते हैं?

 जयललिता ने सोने का घड़ा दान दिया। 

क्या हुआ?

 चक्रवर्ती दशरथ ने बड़ा यज्ञ किया। चारों पुत्र उनके नहीं।

पुत्र शोक में मृत्यु। 

 तीन राजकुमारियों को जबर्दस्त ले आकर विचित्र वीर्य से शादी रचाया। उस भीष्म पितामह का अंत कैसे हुआ।

 एकलव्य का अंगूठा कटवाकर द्रोण ने गुरु धर्म  तोड़ा छोड़ा।

 जिस शिष्य की तरक्की के लिए 

अन्याय किया, वही शिष्य निहत्थे गुरु का वध किया। 

 एकलव्य को अंगूठा ही,

 अधर्मी गुरू का सिर अर्जुन द्वारा।

 कर्म के कारण देवताओं का नाम कलंक।

भिखारी करोड़पति ।

भिखारिन अचानक जगत प्रिय गायिका।


ईश्वरीय दंड व्यवस्था अति सूक्ष्म।

  एस.अनंतकृष्णन,

स्वरचनाकार स्वचिंतक अनुवादक तमिलनाडु का हिंदी प्रेमी प्रचारक।

 

मैं तो साधारण हिंदी अध्यापक।

 मालामाल व्यापारी या सांसद विधायक मंत्री नहीं।

 अम्मा जयललिता का हवन यज्ञ बेकार।

  यही व्यवहारिक बात।

मेरे विचार तरंगें


सादर।

 विनम्र।

सविनय।

नमस्ते।

 चरण कमल छूकर नमस्कार।

 इन नमस्कार में

 चम्मचागिरी नमस्कार।

 स्वार्थ के लिए।

 सार्वजनिक हित के लिए।

 आशीषों के लिए।

 इन सब में बड़ा नमस्कार

 मत के लिए।

 पैसे देकर चरण  छूकर।

इन राजनैतिक दलों के नमस्कार 

एक ही बात हर चुनाव में

 पर न  उस वचन का पालन।

 फिर नये रूप में पेय जल व्यवस्था।

 सड़क ,मोरे बनाना।

आज़ादी होकर १५ आम चुनाव।

 समस्या न हल।

 ऐसे राजनैतिक सलाम 

एक अद्भुत कला। 

 इस में जो पटू वहीं विधायक /सांसद।।

एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई।

स्वरचनाकार, स्वचिंतक, अनुवादक।

मानव मन चिंतित,

वह अवश्य भी, 

अनावश्य भी।

 पालतू कुत्ता मर गया,

पालनहार दुखी।

 पड़ोसी के लिए

 अनावश्यक।

 मेरे गुलाबी पौधा

 सूख गया।

 मेरे लिए वह सारे 

सुखों को  ले गया।

दुखी  था, 

मेरे परिवार के सदस्यों के लिए

अनावश्यक ही।

 सब को यह है

 अनावश्यक।

आवश्यक क्या?

अनावश्यक क्या?

अपनी अपनी चाहें।

चाह गयी चिंता मिटी मनुआ बेपरवाह।

जाको कछु न‌ चाहिए,

वही शाहँशाह।। कबीर।

यह जक्की वासुदेव के लिए 

पसंद नहीं,

उनका कहना सब को चाहो।।

अहं ब्रह्मास्मी शंकर का है तो

 आत्मा परमात्मा अलग अलग।

श्री रामानुजाचार्य का।।

जितेंद्रियता भारतीय संतों की बात।

  मिठाई खाना आवश्यक।

  एक के लिए लड्डू  अनावश्यक।

मैंने पूछा-लड्डू नहीं खाते?!!

लड्डू तो अति पसंद। 

क्या करूँ, काशी गया, 

पंडित ने कहा मन पसंद 

खाद्य पदार्थ तजना है।

 लड्डू अति मन पसंद।

खाना छोड़ दिया।

 यह आवश्यक त्याग या अनावश्यक।

 पंडित जी को  यही कहना 

कि काशी आये हो,

 भ्रष्टाचारी छोड़ देने का

 शपथ लो।।

 रिश्वतखोरी न लेने का शपथ लो।

  झूठ बोलना तज दो।


 यही मेरे लिए आवश्यक है कसमें।

 खाद्य-पदार्थ तजना अनावश्यक।

  आवश्यक अनावश्यक

 व्यक्ति व्यक्ति में भिन्न भिन्न।।

 मेरा लिखना आवश्यक या अनावश्यक

 बुद्धि पूर्ण या मूर्खता,

पाठकों को की अपनी अपनी मर्जी।

 आवश्यक अनावश्यक

  तमिल में अवसियम् अनावसियम् ।

बुद्धि और मूर्खता

तमिल में भी।

 यह तुलना आवश्यक या अनावश्यक।

भारतीय एकता समझाने आवश्यक।

भाषा भेद में एकता दिखाना आवश्यक।



एस.अनंतकृष्णन ,

स्वरचनाकार स्वचिंतक अनुवादक तमिलनाडु का हिंदी प्रेमी प्रचारक।

 दान तो गुप्त दान होना चाहिए।

 यह दान किसके लिए उपयोगी होगा।

   कलियुग में बहुत बड़ा पाप निजी संस्थाओं को, निजी मंदिरों को  दान देना, भिखारियों को भीख देना एक भ्रष्टाचारी समाज का विकास करना है।

 राजनैतिक दलों को दान किसलिए देते हैं?

 जयललिता ने सोने का घड़ा दान दिया। 

क्या हुआ?

 चक्रवर्ती दशरथ ने बड़ा यज्ञ किया। चारों पुत्र उनके नहीं।

पुत्र शोक में मृत्यु। 

 तीन राजकुमारियों को जबर्दस्त ले आकर विचित्र वीर्य से शादी रचाया। उस भीष्म पितामह का अंत कैसे हुआ।

 एकलव्य का अंगूठा कटवाकर द्रोण ने गुरु धर्म  तोड़ा छोड़ा।

 जिस शिष्य की तरक्की के लिए 

अन्याय किया, वही शिष्य निहत्थे गुरु का वध किया। 

 एकलव्य को अंगूठा ही,

 अधर्मी गुरू का सिर अर्जुन द्वारा।

 कर्म के कारण देवताओं का नाम कलंक।

भिखारी करोड़पति ।

भिखारिन अचानक जगत प्रिय गायिका।


ईश्वरीय दंड व्यवस्था अति सूक्ष्म।

  एस.अनंतकृष्णन,

स्वरचनाकार स्वचिंतक अनुवादक तमिलनाडु का हिंदी प्रेमी प्रचारक।

 

मैं तो साधारण हिंदी अध्यापक।

 मालामाल व्यापारी या सांसद विधायक मंत्री नहीं।

 अम्मा जयललिता का हवन यज्ञ बेकार।

  यही व्यवहारिक बात।

Saturday, July 8, 2023

अंग्रेजी माध्यम भारतीय भाषाओं को पनपने न देगी

 केवल हिंदी कैसे?

 केवल तमिल?

 यह तो कोलै वेरी.

ओय दिस कोलै वेरी?

 जब तक केवल तमिल या 

केवल हिंदी  जीविकोपार्जन का

आधार न बनेगी,

तब तक भारतीय भाषाओं का

 एक मात्र प्रयोग कैसे संभव।

 हिंदी प्रचार सभा का आजकल

 प्रमुख आय अंग्रेज़ी माध्यम स्कूल।।

पैंतालीस मिनट हिंदी,

बाकी सवा पाँच घंटे अंग्रेज़ी।

 मैं स्नातकोत्तर

 हिंदी अध्यापक था,

 चार हजार की छात्र संख्या,

केवल १०० हिंदी छात्र।।

यही आ सेतु हिमाचल की दशा।

 वह भी भारतीय आज़ादी के बाद।

 मैं केवल हिंदी प्रचार में 

 भूखा प्यासा रहा।

 अंग्रेज़ी माध्यम न तो

 हिंदी ही नहीं तमिलनाडु में।।

 दो हजार तमिल माध्यम स्कूल बंद।

 एक गाँव में एक तमिल माध्यम बंद।

वहाँ पाँच अंग्रेज़ी माध्यम स्कूल।

 अंग्रेज़ी में लगाव नहीं,

आमदनी से लगाव।

 भारतीय ब्राम्हण संस्कृत तजकर

 अंग्रेज़ी के वकील डाक्टर बने।

 आज़ादी के बाद उन्हीं का मंत्री मंडल।

 अंग्रेज़ी माध्यम के छात्रों को 

 मातृभाषा कठिन लगती है।

  ऐ,यूं,ही,शी,   इट, दे --गेव।

 Gave.

मैं ने दिया।नान कोडुत्तेन।

तुमने दिया। नई कोडुत्ताय।

उसने दिया। अवन कोडुत्तान।

अवळ कोडुत्ताळ।

अवर कोडुत्तार।

अवर्कळ कोडुत्तारकळ।

    क्रिया का  भूतकालिकक रूप।

 Gave one word for all pronouns.

 What a difficulty in Tamil.

मैं ने नहीं कहा! +२ के तमिल भाषी छात्र का कथन।

 वह तीन साल  की उम्र से  अंग्रेज़ी माध्यम।

 सरकार की नीति तमिल या हिंदी में तीस अंक। सी.बी.यस.सी स्कूल में।

बस शिक्षा नीति।

 सोचिए।

 मैं खुल्लमखुल्ला लिखता हूँ।

 एस. अनंत कृष्णन।

स्वरचनाकार, स्वचिंतक, 

मातृभाषा प्रेमी।

हिंदी और तमिलनाडु

 हिंदी में दिव्य शक्ति,

भारतेंदु काल की खड़ी बोली।

आज बन गयी हिंदी।

 संस्कृत की बेटी,

अब न रही तुलसी की भाषा।

 न रही सूर की,मीरा की व्रज माधुरी।

 दिल्ली,मेरठ,आख्या की डेढ़ लाख की बोली,

उसकी उम्र केवल 135.

बन गयी विश्व की दूसरी भाषा।।

  तमिल कवि सम्राट कण्णदआसन ने

अपनी भारतीय भाषाओं की प्रशंसा में हिंदी के बारे में लिखा है--

हिंदी मोर  नाचो,नाचो।

 घमंड रहित नाचो।

भारत देश अपनाएगी।

  कवि की बातें सत्य होगी ही।।

जनता में जागृति आ गई।

 केंद्र सरकार उन्हीं है को प्राथमिकता देनी चाहिए जिसमें

 सामान्य योग्यता के साथ हिंदी का प्रमाण पत्र हो।

 जागना जगाना जगवाना हमारा काम है।

  आज़ादी है के बाद ही अंग्रेज़ी मोह बढ़ रहा है।

 यही चिंताजनक है।

जनता में जागृति आ गई।

 केंद्र सरकार उन्हीं है को प्राथमिकता देनी चाहिए जिसमें

 सामान्य योग्यता के साथ हिंदी का प्रमाण पत्र हो।

 जागना जगाना जगवाना हमारा काम है।

  आज़ादी है के बाद ही अंग्रेज़ी मोह बढ़ रहा है।

 यही चिंताजनक है।

बढ़िया है।पर हिंदी जीविकोपार्जन भाषा तमिलनाडु में नहीं है।

भारत भर में अंग्रेज़ी का ही महत्व है। ऐ.टि। क्षेत्र में हिंदी प्रधान नहीं है। निजी संस्थाओं में अंग्रेज़ी का ही महत्व है। अंग्रेज़ी माध्यम स्कूल में ही हिंदी है। वेतन घर का किराया भी नहीं दे सकते।

 तमिल की भी ऐसी ही गति हैं ,2000से ज्यादा तमिल माध्यम स्कूल बंद।

 शिक्षा का पहला उद्देश्य जीविकोपार्जन।

 इसीलिए अंग्रेज़ी सीखने लगे।

 आजकल ब्राह्मण भी संस्कृत नहीं सीखते।  अंग्रेज़ों के शासन काल में ही नौकरी के लिए  लोग संस्कृत छोड़कर वकील क्लर्क बने। यह परिस्थिति आजतक चालू हैं। बीस अन्य विषयों के अंग्रेज़ी पारंगत काम करते हैं।

 एक दो हिंदी अध्यापक।

 हिंदी का विरोध अब कर्नाटक में भी शुरू हो गया है।

उच्च शिक्षा उच्च क्षय नौकरी जब तक भारतीय भाषाओं को नहीं मिलेगी, हिंदी की प्रगति  नाम मात्र के लिए।

Friday, July 7, 2023

सुप्रभात ! ईश्वर सब की भला करें

 सुप्रभात ! ईश्वर सब की भला करें । हिंदी प्रचारक अपनी कल्पना से कोई कहानी,कविता,लिखिए। जितना हो सके अपने सह प्रचारकों से हिंदी में बोलिए ।

ऐसी हिंदी का व्यवहारिक ज्ञान मिलने पर साहित्य दलों में या ब्लाग बनाकर लिखिए. अपनी हिंदी,अपनी शैली,अपना विधा । अपने प्रयत्न में भगवान की कृपा साथ दें ।

अपने मार्ग की रुकावटें दूर होने अमानुष्य शक्ति पर विश्वास रखिए ।

कबीर का यह दोहा याद रखिए---

जाको राखै साइयाँ,मारी न सकै कोय। बाल न बांका करि सकै जो जग वैरी होय ।

अपना कर्तव्य निभाइए । सद्यःफल के लिए अधर्म से बचिए ।

अधर्मियों को भगवान देख लेगा । हर सृष्टि ईश्वर की है तो धर्म और अधर्म भी ईश्वर की लीला है ।ज्ञानी मनुष्य को यथासंभव धर्म मार्ग पर ही चलना है ।

एस. अनंतकृष्णन.

Wednesday, July 5, 2023

नागरी लिपि परिषद

 महोदय,

  नागरी लिपि परिषद का आीवन सदस्य डाक्टर  श्रीमती राजलक्ष्मी कृष्णन की  प्रेरणा से बना। 
परिणाम स्वरूप   पहली बार श्री हरिपाल सिंह जी के प्रोत्साहन से  विशाखपट्टणम   की दो दिवसीय संगोष्ठी में पहली बार भाग लेने का स्वर्ण अवसर मिला । पहली बार विषयांतर रहित संगोषठी में भाग लेने का अवसर मिला। 
  अतिथिसत्कार  में आवास,खानपान,मंच सम्मान, प्रति भागियों के नाम लिखित  बोर्ड संयोजकों के श्रद्धा की प्रत्यक्ष झांकी देखी ।
  २६-६-२७ के दिन ठीक ९.३० बजे सबेरे  सबको श्री गोपालजी,राजभाषा प्रशासन सहायक ने आदर पूर्वक यथास्थान बिठाया। 
साढे दस बजे निर्धारित समय पर  स्वागताध्यक्ष श्री ललन कुमार ,राजभाषा महाप्रबंधक ने सरस्वति वंदना केबाद सबका स्वागत भाषण दिया । फिर मुख्य अतिथि श्री अतुल भट्टजी,अध्यक्ष ,सह प्रबंध निदेशक आर.ए.यन.यल ने नागरी लिपि   दो दिवसीय संगोष्ठियों के उद्देश्य और नागरी लिपि के महतव को समझाया।
मान्य अतिथि प्रो.पूर्ण सिंह डबास ,पूर्व आचार्य बीजिंग विश्व विद्यालय .चीन ने चित्रलिपि की तुलना में नागरी लिपि की वैज्ञानिकता बताकर विश्व की सारी भाषाओं को सही उच्चारण सहित लिखने का सामार्थ्य नागरी लिपि में ही है। विशेष अतिथि श्री सुरेश चंद्र पांडे निदेशक ,कार्मिक ने भी संगोषठी के लक्ष्य और राजभाषा के महत्व पर जोर दिया ।श्री हरिसिंह पालजी ,महामंत्री ,नागरी लिपि परिषद ,नई दिल्ली ने  
नागरि लिपि परिषद के उद्देश्य,अगजग में उस लिपि को अपनाने की संभानाओं की राहे बतायी ।  
नागरी लिपि परिषद द्वारा प्रकाशित किताब का लोकार्पण किया ।
 चाय विरम के बाद प्रो.शहाबुद्दीन शेख नियाज ,पूर्व आचार्य,पूणे  विश्व विद्यालय  की अध्यक्षता में डा. कृष्णबाबू ने भारतीय लेखन पद्धति के विककास पर कहा कि बौद्ध धर्म के प्रचार -प्रसार में ब्रह्मी, प्राकृत लिपि के शिलालेख मिलते हैं । कृष्ण बाबू  ने दर्शकों से  अंतर्क्रियाओं से दर्शकों से सवाल करके समझाया । ब्राह्मणों द्वारा नागरीी लिपि  का विकास हुआ ।डा.सी.एच. निर्मला नेवी चिल्ड्रन स्कूल  ब्रह्मी लिपि ,खरोष्टि,प्राकृत ,कुटिल लिपियों का परिचय देकर  नागरी लिपि का महत्व समझाया।
भोजन विराम के बाद   श्री हरिराम पंसारी ,सेवा निवृत्ति राजभाषा अधिकारी,भुवनेश्वर,प्रो.नागनाथ शंकर राव,कर्नाटक,श्री चवाकुल रामकृष्ण राव,दराबद करनाटक नागरी लिपि और तेलंगाना नागरी लिपि के विकास की संभावना पर प्रकाश डाले ।
तीसरा सत्र डाॅ. पूर्ण् सिंह डडबास ,दिल्ली की अध्यक्षता में काव्य गोष्ठी और सांस्कृतिक सध्या  अति रचक ढग से हुई ।इसमें कविगण डा. पुष्पा पालल ,दिल्ली, श्री मोहन द्वि वेदी ,गजियाबाद,श्री जे.एस. यादव,श्रीमती सुधाकुमारी जुही ,विशाखपटटणम ,आदि ने अपने मधुर स्वर में कविता सुनाई ।
इंटर पास,गाँववाले उदासी, जेब भरा है तो सब सकारात्मक मोहन द्विवेदी    की कविताएँ शिक्षा प्रद रही।
२८-६-२३ के द्वितीय दिवस केकार्य-क्रम डाॅ. हरिपाल सिंह,महासचिव,नागरी लिपि परिषद की अध्यक्षता में ठीक नौ बजे प्रारंभ हुआ । अध्यक्षीय भाषण में श्री हरिसिंह पाल ने कहा कि  नागरी लिपि विश्व मान्य लिपि में  परिणत हो रही है। अध्यक्ष  भाषण के बाद श्री प्रभाकर मनोहर दिवेचा जी ,आरईयनयल  ने यूनिकोड के महत्व और प्रयोग की विधियाँ बताई और कहा  ज्ञात भाषा हो या अज्ञात भाषा अंग्रेजी में टंकण करने पर वह उसी भाषा के रूप में  प्रकट होगा ।  यह यूनिकोड की विशेषता है।
फिर श्री गोपालजी ने   अपने वक्तृत्व में कहा कि  हिंदी के विकास में प्रांतीय भाषाओं के तत्सम और तद्भव शब्दों का योगदान है । तमिलनाडु में जो भी आते हैं ,वे तमिल भाषी बन जाते हैं । तिरुक्कुल, तिरिकटुकम्,विवेक चिंतामणि और कई ग्रंथ  जैन मुनियों की देन है । तेलुगु और कन्नड भाषियों के शासन काल में भी तमिल साहित्य समृद्ध बनी । संस्कृत के विरोध दिखानेवाले शासक दल का चिन्ह उदय सूर्य है।
तमिलनाडु  की राजनीति स्वार्थ  है,पर जनता हिंदी पढना चाहती  है।
 चाय विराम के बाद  श्री ललन कुमार ,राजभाषा महाप्रबंधक की अध्यक्षता में पंचम सत्र शुरु हुआ ।प्रशासनिक क्षेत्र में हिंदी प्रयोग, हिंदी पत्रों के जवाब हिंदी में ही देने की अनिवार्यता का उल्लेख किया गया ।
श्री हरिराम पंसारी ,राजभाषा अधिकरी (सेवा निवृतत)ने कहा कि देवनगी लिपि का  उपयोग दिन दूनी रात चौगुनी   गति से  जटिलता से सरलता की ओर बढ रहा है।     श्री रिजवान पाशा  ,राजभाषा वरिष्ट प्रबंधक 
ने कहा कि राजभाषा कार्यान्वयन अपनी अपनी मानसिकता पर निर्भर है ।
चवाकुल नरसिंह मूर्ति राष्ट्रीय नागरी सम्मान और नकद एक हजार  से नागरी लिपि के सेवक और कविगणोको सम्मानित किया गया ।

अंत में खुला मंच श्री परन डबास की अध्यक्षता में कविगण  डाँ.श्वेतारानी, दिल्ली पब्लिक स्कूल,उक्कुनगरम्, श्रीमती अपराजिता शर्मा ,कवि मोहन द्विवेदी के संगीत महफिल के हर्षोल्लास  और प्रतिभागी प्रमाण पत्र विसर्जन के साथ सभा विसर्जित हुई।
दो दिवसीय कार्यक्रम मे  आन लयन में १३५ प्रतिभागियों ने  भाग  लेकर अपने वक्तव्य  और सेवा निष्ठा का परिचय दिया । 
डाॅ. अनिल शर्मा जोशी ,उपाध्यक्ष हिंदी शिक्षण संस्था,आग्रा ने  अपने व्यस्त कार्य क्रमों के बीच आनलयन में अपने विचारों की अभिव्यक्ति करके  नागरी लिपि और राजभाषा विकास पर प्रकाश डाला।डाॅ.Knlv .श्री कृष्णवेणी जी ,राजभाषा प्रशासन सहायक ने सब को धन्यवाद ज्ञापन प्रकट किया।