Saturday, August 12, 2023

धर्म कर्म

 धर्म-कर्म को जान लो,

 वह मत मतांतर संप्रदाय/मजहब-सा

  संकीर्ण मार्ग नहीं जान, मान।

  सब की भलाई, 

  भेद रहित,

  वही धर्म कर्म।

  सूर्य की ,चंद्र की रोशनी समान।

  शीतल हवा समान, 

 पेय जल समान

 पशु, पक्षी, वनस्पति जगत, मानव

सब को भेद-भाव रहित ।

यही धर्म-कर्म।

शिशु का धर्म,रोना,पीना, सोना।

छात्र जीवन में विद्यार्जन,

 अनुशासन पालन, अच्छी चालचलन सीखना।

 मानव पशु से मानवता सीख 

मनीषी बनना।

गृहस्थ धर्म का पालन।

अमानुष्य का पहचान।।

सत्य का पालन, परोपकार,

दान -धर्म, निस्वार्थ जीवन,तटस्थता।

यही धर्म-कर्म जान।।

स्वरचित एस.अनंतकृष्णन।

तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।



आज़ादी

 आज़ादी आसानी से नहीं मिली।

हम स्वतंत्रता हवा की साँस लेते हैं।1947-2023.

मातृभाषाओं का विकास आज़ादी के पहले अधिक था। आज़ादी के बाद अंग्रेज़ी का ही महत्व है।

मैकाले की योजना सफल।

आज़ादी के बाद मेट्रिक सीबीएससी, ऐसी-ऐसी स्कूल ही गाँवों तक। तमिल माध्यम स्कूल बंद।गरीबी रेखा के नीचे तमिल माध्यम।

 स्वतंत्र भारत की प्रगति, इसमें कोई शक नहीं है।

लेकिन भारतीय भाषाओं में 

नौकरी नहीं मिलना ,

भारतीय भाषाओं की महत्व हीनता,वेदना देने के ही बात है।

स्वतंत्रता दिवस

 नमस्ते वणक्कम।

स्वतंत्रता दिवस।

टुकड़े टुकड़े देश।

अलग अलग है वंशज।

आपसी लड़ाई।

एक राजकुमारी अपनाने 

 हजारों वीरों की पत्नियाँ

 विधवाएँ  , बच्चे अनाथ।।

 अंतःपुर में रानियों की संख्या।

  न सबको मंदिर दर्शन,

 न सर्वशिक्षा अभियान।।

 पर देश  की अद्भुत उन्नति।।

 साहित्य ,कला, ज्योतिष शास्त्र,

 वास्तुकला,चित्रकला, संगीत कला

 सब अदाओं में पारंगत भारत।।

 आ सेतु हिमाचल की आध्यात्मिक एकता।

 समृद्धिशाली देश।

 रसोई विज्ञान में ही स्वास्थ्य प्रधानता।।

 भारतीय भोगी नहीं त्यागी।।

 मंदिरों में भगवान की शक्ति।

 सोने चांदी हीरे-जवाहरात का खान।।

दक्षिण के चेर,चोऴ,पांडियन देश।।

 आपस में लगते मरते।

 पर तमिल भाषा के विकास करते।।

उत्तर की भाषाएँ, बोलियाँ असंख्य।।

 ऐसे सर्वसंपन्न देश पर

 विदेशी आक्रमणकारी की कुदृष्टि पड़ी।।

चढ़ाई करते,लूटते ,चले जाते।।

वीर राजाओं की वीरता के सामने टिक न सके।।

 आपसी ईर्ष्या में  विदेशियों के साथ देने लगे।

 परिणाम मुगलों का शासन।

राणा प्रताप सिंह, वीर शिवाजी

मुगलों  को चैन से रहने न दिया।

मुगलों का पतन, अंग्रेज़ों का आगमन।

उनकी चालाकी, षड्यंत्र,प्यार भरा धोखा।

बुद्धि जीवी संस्कृत वेद मंत्र सब तज,

 अंग्रेज़ी सीख, वकील, गुमाश्ता बने।।

अंग्रेज़ी शासन की प्रशंसक आज भी विद्यमान।।

 स्वतंत्रता लड़ाई में जितने नेता थे,

सब के सब अंग्रेज़ी भाषा में पारंगत।।

 आज़ादी  के  बाद की बड़ी भूल,

 राष्ट्रीय शिक्षा न होकर प्रांतीय शिक्षा।

 भारतीय भाषाओं से अंग्रेज़ी की प्रधानता।।

 उच्च शिक्षा केवल अंग्रेज़ी में।

अमीरों का अंग्रेजी पाठशाला,

 गरीबों तक बढ़ी।।

अब अभिभावक अंग्रेज़ी माध्यम के चाहक।।

अंग्रेज़ी जीविकोपार्जन का साधन।।

 तन पालने धन की प्रधानता।

 तब  आज सर्वत्र अंग्रेज़ी ही अंग्रेज़ी।।

ऐ टी क्षेत्र की नौकरी,

बस, अंग्रेज़ी । हिंदी के सरकारी खर्च बेकार ही।।

 अनूदित किताबें गोदामों में।।

  जय भारत। अंग्रेज़ी माध्यम की सरकारी अनुमति क्यों?

 एस.अनंतकृष्णन।

प्रकृति

 प्रकृति और हम शीर्षक पर

एस.अनंत कृष्णन, 

चेन्नई की रचना।

++++++ 

प्रकृति प्यार करेंगी तो

 हमारा जीवन शांति पूर्ण।।

 प्रकृति कुपित है तो अशांति ।।

 कारण है हम मानव।।

नदियों में, झीलों में 

 मोरों का पानी।

  पहाड़ों पर  इमारतों की संख्या।

झीलों में मिट्टी भरकर   इमारतें।

  कारखानों  में धुएँ,

 वाहनों में धूएँ।

वायु प्रदूषण।

चित्र पट के संवाद,

मोबाइल में  अश्लील चित्र गीत।

प्रकृति का प्रदूषण ,

 विचारों का प्रदूषण।

परिणाम  स्वरूप

 प्रकृति कुपित

सुनामी,कैराना,भूकंप,

संक्रामक कीटाणुओं का आक्रमण।

गंगा जल पवित्र है,

पर किनारे पर मिनरल वाटर बोतल।

 हर वस्तु में मिलावट।

प्रकृति बनाती हमें।

 प्रकृति बिगाडती हमें।।

 एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई।


स्वरचित स्वचिंतक अनुवादक तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक 





 

 






 तिरंगा झंडा भारत ही का।

दिल से प्यारा, जान से  प्यारा।।

त्याग है केसरिया,

 स्वतंत्रता संग्राम के शहीद स्मारक।

तन,मन,धन,प्राण अपना सर्वस्व 

 तजकर  शहीदों ने  आज़ादी दिलायी।।

 सफेद है शांति का , 

समझौता का

 संधि का चिन्ह।

 चक्र है प्रगति का ,

 आगे बढ़ने का,

 विस्तृत मार्ग चलने का।

हरियाली का,समृद्धि का।

 झंडा है हमारा तिरंगा,

जान से प्यारा।।

 एस.अनंतकृष्णन।

तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।।

Friday, August 11, 2023

प्रकृति और हम

 प्रकृति और हम शीर्षक पर

एस.अनंत कृष्णन, 

चेन्नई की रचना।

++++++ 

प्रकृति प्यार करेंगी तो

 हमारा जीवन शांति पूर्ण।।

 प्रकृति कुपित है तो अशांति ।।

 कारण है हम मानव।।

नदियों में, झीलों में 

 मोरों का पानी।

  पहाड़ों पर  इमारतों की संख्या।

झीलों में मिट्टी भरकर   इमारतें।

  कारखानों  में धुएँ,

 वाहनों में धूएँ।

वायु प्रदूषण।

चित्र पट के संवाद,

मोबाइल में  अश्लील चित्र गीत।

प्रकृति का प्रदूषण ,

 विचारों का प्रदूषण।

परिणाम  स्वरूप

 प्रकृति कुपित

सुनामी,कैराना,भूकंप,

संक्रामक कीटाणुओं का आक्रमण।

गंगा जल पवित्र है,

पर किनारे पर मिनरल वाटर बोतल।

 हर वस्तु में मिलावट।

प्रकृति बनाती हमें।

 प्रकृति बिगाडती हमें।।

 एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई।


स्वरचित स्वचिंतक अनुवादक तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक 

कलम

 नमस्ते वणक्कम।

 विषय --कलम।


 विधा --अपने विचार, अपनी अभिव्यक्ति,अपनी शैली अपनी भाषा।

+++++++++++++++

 कलम,

 खबर लिखने,

 अपने विचारों को 

 स्थाई रूप देने,

अपनी सोच फ़ैलाने

 एक साधन कलम।।

कागज का पता लगा तो

 कलम का उपयोग अधिक।।

मोर पंख स्याही में छूकर लिखना।

कलम में स्याही भरकर लिखना।

 कलम में  पानी खींचकर लिखना।

कलम के विभिन्न रूप।।

 अब तो स्याही का उपयोग नहीं।

बाल प्रिंट पेना।

 हमारे काल में

अप्रैल पहली तारीख,

हम स्कूल को जाते

 गंदे कुर्ता पहनकर।

 एक दूसरे पर कलम से 

स्याही डालते।

 कलम विचार 

अभिव्यक्ति का साधन।

चित्र कला के साधन।।

कलम के सिपाही

 कलह पैदा कर सकते हैं।

 कलह शांत कर सकते हैं।।

क्रांति जगा सकते हैं।

  स्वतंत्रता संग्राम में 

कलम के सिपाही ने

 सुप्त जनता को जगाया।।

 अंग्रेज़ी थरथराने लगे।।

   देश भक्त कवियों को 

   जेल में डाला। 

 कलम की क्रांति का

 मूल्यांकन अधिक।

  स्वरचित स्वचिंतक अनुवादक तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक

एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई।

Thursday, August 10, 2023

भारतीय भाषा विचार धारा

 भारतीय भाषा विचारधारा।

नमस्ते ।वणक्कम्।
सोचो,समझो ,अपने को सुदृढ बनाओ ।
पहले हिंदुओं का बल केवल ईश्वरीय देन ,
भाग्य पर विश्वास ।
हिंदू भक्त त्यागी भोगी नहीं ।
नंगे भक्त,कौपीन धारी,अर्द्ध नग्न भक्त ।
अनासक्त,अलौकिक आध्यात्मिक विचार ।
राजपद तजकर तपमें लीन ।
अधिकार का कल्याण अस्थिर.
जगत्मिथ्या ब्रह्म सत्यम् ।
मृत्यु लोक जन्म अस्थाई जीवन मरण ।.
साधु संत ऋषि मुनि का जीवन
करतल भिक्षा करतल वासा ।
तरु तले तपस्या,लौकिक चाह रहित जीवन।
भारत तो भूलोक स्वर्ग।
जीव नदियाँ,झील,
हरियाली घाटियाँ.
एक बडी कमी,
आत्म निर्भरता कम्,
परावलंबि अधिक ।
तुलसीदास का कथन ---
आलसी ही देव देव पुकारा ।
कर्म मार्ग कर्तव्य मार्ग ।
मालिक बन जिम्मेदारियाँ उठाने से
नौकरी बन जीना अति पसंद।
अंग्रेजी आये प्रतिभा शाली पंडित
संस्कृत वेद मंत्र तज, संस्कृत छोड
सद्यः फल के लिए अपनी परंपागत
पोशाक,खान -पान छोड
वकील बन विलायत जाने लगे ।
खेद और अपमान की बात
भारतीय अंग्रेजों के सैनिक बन,
भारतीयों को ही मारने लगे।
साहित्य के वीरगाथा काल से
आज तक जिसका खाना,उसका गाना ।
नारायणय नमः तजकर, हिरण्याय नमः
केवल प्रह्लाद के सिवा बाकी डर रहे थे ।
आसुरी शक्ति बढी, देव काँप रहे थे ।
आज भी सांसद और विधान सभा में अपराधी अधिक ।
सौ करोड रुपये खर्च,
मतदता पाँच हजार रुपये लेते देते
भ्रष्टाचारी,रिश्त खोरी बन जाते सांसद विधायक ।
सरकारी अधिकारी बन जाते कठपुत्लियाँ ।
न सोचती जनता,
सब के सब ईश्वर की सूक्ष्म लीला ।
यों चलना सही नहीं,
चित्रपट गाना, जिसका अभिनेता युवकों के प्राण प्रिय नेता
पियक्कड बन गाता है,
शासक जो भी बने ,राम या रावण
मेरी कोई चिंता नहीं ।.
दूसरे कवि का गाना --
बच्चों को जन्म लेकर शादी करेंगे या साथ जीवन बगैर शादी के बिताएँगे.
अनुशासन भंग,संस्कार संस्कृति भंग ।
हिंदू ही परिवार नियोजन, हिंदू ही गर्भ विच्छेद.गर्भ पतन ।.
मुगल , ईसाई ग्रंथों में महा पाप।.
उनकी जन संख्या बढ रही है ।
उनकी क्रांति अपने मजहबी लोगों की संख्या बढाना ।
हमें जागना है, जगना है.जागृति आवश्यक है ।
साहित्याकारों को धन नहीं,
धनियों को साहित्यकारों के प्रोत्साह देने मन नहीं।
भारतीय भाषाओं के माध्यम नौकरी नहीं ।
बगैर भारतीय भाषा ज्ञान के जीना संभव.
बगैर अंग्रेजी के जीना असंभव।
एस. अनंतकृष्णन,
स्वचिंतक,स्वरचनाकार,अनुवादक,तमिलनडू का हिंदी प्रेमी प्रचारक ।