कवि मंच को मेरा नमस्ते, वणक्कम्।
विषय ---अपने पैरों पर खड़े होना।
विधा --अपनी हिंदी अपनी स्वतंत्र शैली
20--8-24.0अमेरिका समय 2-33दोपहर।
देश वही है,
जो अपनी माँगों को
स्वयं पूरी करता ।
भाषा वही है जो अपने आप
जीविकोपार्जन का समर्थक हो।
माता पिता वही जो अपने परिवार
अपने मेहनत से खुद संभाले।
अपने पैरों पर खड़े रहने
आत्म निर्भर रहने
मानव योग्य है क्या?
योग्यता पाने तकनीकी ज्ञान चाहिए।
धनोपार्जन की योग्यता चाहिए,
तब तक माता-पिता, गुरु, मालिक,
पूंजी चाहिए।
स्वाश्रित कौन है जगत में।
सब के सब ईश्वराश्रित।
भगवान भी है पुजारी, भक्त आश्रित।
सद्यःफल के लिए
ईश्वर, मजहब , देश बदलते मानव।
किसान आश्रित राव रंक।
अपने पैरों पर खड़े रहने की बात।
जहां में कैसे संभव।
आत्मनिर्भरता हासिल करने तक
अन्योन्याश्रित रहना ही पड़ता।
कवि हैं तो गायक संगीतक्ष।
विधायक सांसद के लिए मतदाता।
गुरु हो तो शिष्य।
इन सबको संभालने ,
अपने पैरों पर खड़े रहने ,
ईश्वरीय अनुकंपा चाहिए।
एस. अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक
No comments:
Post a Comment