Sunday, August 25, 2024

भारतीय जन तंत्र

 धन प्रधान शासक,

 परिणाम कर्जा लेकर शिक्षा।

अंग्रेज़ी माध्यम, जीविकोपार्जन।

 उतना ही खर्च , स्वार्थ साधन है,

 ऋण प्रधान शिक्षा , स्वार्थ प्रधान।

 एक डाक्टर दोस्त का कहना है,

 दान के रूप में करोड़ों रुपए।

 पढ़ाई का खर्च,

 मेरे बेटे को अभी ऋण का बोझ।

 कार खरीदने सूद कम,

 पर शिक्षा ऋण के सूद अधिक।

 हर क्षेत्र में रिश्वत ही रिश्वत।

 कैसे करेंगे शिक्षित निस्वार्थ सेवा।

 अल्पसंख्यकों की सहूलियतें 

 बहुसंख्यकों को नहीं के बराबर।

 उम्र,अंक, शिक्षा शुल्क 

सब में कटौती।

 प्रतिभाशाली भले न हो,

 औसत बुद्धिमान बराबर।

 सेना में तो चाहिए सम बल।

 पर शिक्षा में सम प्रतिभा नहीं।

 खासकर चिकित्सा और शिक्षा,नीति के क्षेत्र में।

 जय भारत। चुनाव के लिए 

 हर साल सूचित अनुसूचित जातियों की संख्या बढ़ती,

 साथ ही चुनाव के खर्च 

 हर उम्मेदवार के लिए 

 सैकड़ों करोड़।।

  भले ही भ्रष्टाचार के पैसे।

 अल्पसंख्यक शासन।

 बुद्धि जीवी लापरवाही से 

30%वोट नहीं देते।

 40%वोट लेकर 

 अल्पसंख्यकों का शासन।

 जय लोकतंत्र।

एस. अनंत कृष्णन।



 


 


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