Tuesday, August 27, 2024

मन चंचल

 नमस्ते वणक्कम्।

 मन चंचल।

 धन के कारण,

   पदोन्नति के कारण,

लोभ के कारण,

 नारी सुख के कारण,

 नाते-रिश्तेदार अड़ोस पड़ोस

 भ्रष्टाचारी घूसखोरियों  के

 बाह्याडंबर बाह्य सुख देखकर।

  आपको अपने बारे में 

   सोचना चाहिए। 

 अपनी योग्यता के बारे में 

 सोचना चाहिए।

 सुरीली आवाज़ के सुंदर गायक

 कोयल सा, प्रयत्न करो, पर

 ईर्ष्या से लाभ होता नहीं।

 चित्रकार बड़े विद्वान जन्म से अमीर।

 तुमको अपने से दुर्बल लोगों  से तुलना करो,

 मन को संतुष्ट कर लो।

नेला सब के सब बन नहीं सकते।

 तुम्हारी बात तुम्हारी पत्नी ही न मानेगी ।

 तुम्हारा बेटा नहीं मानेगा।

 आजकल के बच्चे चित्रपट का संवाद 

यह मैंने सुना,

 समाज बिगाड़ने शैतान की बात।

 ढ़ाई लाख की गाड़ी, संतान की इच्छा।

 पूरी न करेगा तो बच्चे का जन्म क्यों?

  मन चंचल।

 यह सोचो,

 गधे का स्वर कोयल नहीं पा सकता।

 भगवान की देन। भाग्य का फल।

 ईश्वर को मानो, जप करो।

 अपने दायरे में नाम मिलें।

प्रयत्न , प्रार्थना  जीवन।

सुख-दुख ईश्वर पर निर्भर।

 देव जेल में, असुर शासक।

 यही भारत के ईश्वरवाद।

 ईसाई, मुहम्मद के दुख।

 भले ही आज पूजनीय।

 जीवन काल।

 सब को मृत्यु निश्चित।

 एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु 

 

 मृत्यु निश्चित।

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