Tuesday, August 27, 2024

संतान और भाग्य

 नमस्ते वणक्कम्।

परवरिश  संतान और भाग्य 

 विधा --अपनी हिंदी अपने विचार अपनी स्वतंत्र शैली।

  परवरिश मानव के लिए आवश्यक।

   कम से कम  सोलह साल की उम्र तक।

  अनाथ बच्चे, माता द्वारा फेंके अवैध बच्चे।

 अनाथालय में पले बच्चे।

 कर्ण महाभारत में तो सीता रामायण में।

 खंडाला पड़ी मिली नंदन में।

 सबका परवरिश तो भाग्य वश।

 जनक महाराज की बेटी बनी सीता।

 सारथी का बेटा बना कर्ण।

ईसाई, साईं बाबा का जन्म रहस्य।

 राम , लक्ष्मण, भरत शत्रुघ्न के पिता रहस्य।

 पांडु के पुत्र नाम मात्र के

 पिता भिन्न भिन्न।

  वर्षा की बूँदों में सीपी बनना भाग्य।

 दत्त पुत्रों के भाग्य अलग।

 चुराये बच्चे, रत्नाकर जैसे डाकुओं से

  आकर्षित बच्चे,

 अशुभ नक्षत्र से अलग रहे तुलसीदास।

 परवरिश भी भाग्य के बल ही।

 ईश्वरीय अनुग्रह की देन।

 एस. अनंत कृष्णन चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक

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