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Thursday, August 1, 2024

तन्हाई

 नमस्ते वणक्कम्।

 तन्हाई।

 

तन और मन उतावला तन्हाई में।

लौकिक विचार वालों में।

अलौकिक आध्यात्मिक तपस्वियों  को तो

तन्हाई तन सुध-बुध भूल,

बंद  मन का झूला ।,

 चंचलता दूर , ध्यान में एकाग्रता।

 बन गये आदी कवि वाल्मीकि।

 बन गये शशि तुलसीदास।

 बुद्धि बन गये आसिया ज्योति।

 अंधेरी गुफा में पैगंबर बने।

 अकेले कैद कमरे में गीता रहस्य 

 बालगंगाधर तिलक की देन।

 तन्हाई  तन भूल मन भूल

 आत्मा परमात्मा बन।

 अहं ब्रह्मासमी।

 न भेदाभिन्न भाव अद्वैत सिद्धांत।

 एस.अनंतकृष्णन, तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

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