Thursday, January 3, 2019

तिरुप्पावै. 19,20

आंडाल रचित तिरुप्पावै. 19.
 भगवान होने पर
उनको भी लौकिक आनंद और नींद   जाने न देता.
आंडाल  कृष्ण के जगाती है...
 दीपस्तंभ  जल रहे हैं,
 हाथी दाँत के पलंग पर कोमल
 शय्या  पर
सो रहे हैं.
नप्पिननै के स्तनभार पर सिर रख लेटे हुए
प्रफुल्लित  छाती वाले कृष्ण  जागो.
 काजल लगाई नप्पिननै!  कब तक अपने पति को
सोने दोगी.पल पर भी कृष्ण  के संग से हटना न चाहती.
यह धर्म नहीं है. सहक्रिया भी नहीं है.
उनको  जगाने दो. हमको  भी दर्शन करने दो .

तिरुप्पावै  आंडाल 20
श्री  कृष्ण!  तुम कलियुग के देव हो.  तीन  तीस करोड दोनों के होम पर भी भक्तों के दुख दूर करने त्वरत गति से आकर रहनेवाले हरी!  जल्दी जागो.
तुम सशक्त हो., नेक हों, शतृको भयभीत करनेवाले हो, पवित्र हो. जाहो. स्वर्ण कलश सम स्तन, पतली कमर, मँगाया रंग के ओंठवाली नप्पिन्नै! तुम लक्ष्मी सम हो. तुमभी जागो.
  तुम हमें  चूडियाँ, पंखा, दर्पण आदि देकर तुम्हारे पति कृष्ण तो भी देकर, अनुग्रह  की वर्षा करो.
 पति पत्नी दोनों को प्रशंसा कर जगाना आँडाल की चतुराई भक्ति श्रद्धा स्तुत्य है

Wednesday, January 2, 2019

तिरुप्पावै.. 16, 17

तिरुप्पावै... 16.17

आंडाल अपनी  सभी सखियों को जगाने  के बाद  स्नान करके 
नंद के महल पहुँची. 
द्वार पालक से महल में प्रवेश  करने की  प्रार्थना  करती हैं. 
सुंदर तोरण वाले महल के द्वार रक्षक! 
हम ग्वाल बालिकाओं के लिए दरवाजा खोलो.

श्यामवर्ण के कृष्ण  ने हमें छोटा ढोल देने का वचन दिया है. उसे लेने के लिए  स्नान करके आयी हैं. उनको जगाने गीत गानेवाली  हैं. हमें अंदर जाने से मना न करना. महल का द्वार खेलकर हमें अंदर जाने दो.
आंडाल तिरुप्पावै.. 17.

पंद्रह गीत तक आंडाल 
सखियों को जगाती रही. 
सब नही चुकी हैं. 
श्री कृष्ण से मिलने महल के द्वार 
पहुँचकर नंद, यशोधा,श्री कृष्ण 
आदि को जगाती है... 
हमारे दानशील, नेता नंद जी! जागिए.
आपको वस्त्र, खाना, नीर आदि को 
दूसरों को इतना देते हैं, सब का मन संतोष हो जाता है.  आप उठाए. 
लता  सी कमर वाली 
हमारी  नेत्री यशोधाजी, 
मंगलदायक दीप सा उज़्ज़्वल  सूरतवाली  !आप उठिए! 
 आकाश फाड़कर  जग नापे 
देवों के नेता  श्री कृष्ण जागो.
स्वर्ण घुंघुरु पहने लक्ष्मी 
पुत्र बलराम जागो. 
तुम और  तुम्हारा  भाई  दोनों उठकर

हमको दर्शन दीजिए.

Monday, December 31, 2018

अलविदा 2018(मु )

सब को  नमस्कार!
आज 2018 साल का अंतिम दिन.
 हमारे देश में ही नहीं
विश्व भर मनाने तैयार
2019 का नव वर्ष.
 तैयारियाँ सितारे होटल में,
अनुशासन, चरित्र  निभाना है,
चरित्र निर्माण  करना है तो सही.
पर मधुशाला का लाभ  बढाना,
अर्द्ध  नग्न नाच, अश्लील गाने
बलात्कार नशामग्न इतना ताज़ी खबरें
नव साल नहीं नरक समाज का स्वागत करना.
मनाइए,पर  अनुशासन. चरित्र,
अभिभावक वंदना, बडों से आशीषें
ऐसी भारतीयकरण याद रखिए.
ईश्वरीय वंदना कीजिए.
बोतल से दूर रहना.

Saturday, December 29, 2018

आण्डाल रचित तिरुप्पावै --१५

  सबको  नमस्कार

आण्डाळ रचित तिरुप्पावै -१५,

मार्गशीर्ष महीने की सर्दी में तड़के उठकर नहाना ,
भगवान का यशोगान करना स्वाथ्य और ज्ञानार्जन का मुख्य नियम है.

आज पन्द्रहवाँ दिन.
तिरुप्पावै --१५.

सो रही सखी को जगाने आयी सखियाँ ,
आज कटु शब्दों से गाने लगी ------
उठो ! आज बहुत देर सो रही हो ,यह सही नहीं है.
सखी कहती है --अभी आयी .
अन्य सखियाँ चिढ चिढ़ाती है --
बिस्तर से उठती हुयी सखी कहती हैं कि
आप तो वाक्पटु रहिये ; मुझे ठगी ही मान लीजिये।
सखियों ने कहा--सब के सब आ गयीं ;तुम ही सो रही हो ;
ऐसी निद्र्रा क्यों ?हमें पहले ही जागकर तुम्हारी प्रतीक्षा में
खड़ी हैं ;तुम क्या बड़ी हो हम से ?ऐसी क्या विशेषता है तुममें ?
सखी ने अंदर से पूछा -क्या मैं ही सो रही हूँ ?
क्या सब के सब आ गयी हैं ?
सखियों ने जोर से कहा -उठो ,बाहर आओ ;
सब के सब आ गयीं ;
गिनकर देखो।
कुवलय पीठ हाथी के वधिक ,
दुष्ट -संहारक माया कृष्ण की प्रार्थना करने
यशो गान करने जल्दी आओ।

Friday, December 28, 2018

आंडाल तिरुप्पावै.. 14

आंडाल  रचित तिरुप्पावै.. 14.

 सखियाँ   तडकें जाग चुकीं.
आज जाने की बारी की सखी
मीठी नींद में हैं.
उनको जाती हुई गाती है:-
 तुमने अपना वादा पूरा नहीं किया.
हमारे जागने के पहले तुमको जागकर
हमें जगाने की बारी  है और वादा है.
तुम कोअपना  वादा न निभाने केलिए
शर्मिंदा होना चाहिए.  बेशरम सो रहे हो.  तुम्हारे घर के पीछे के तालाब में
फूल  खिल गए.
गेरुआ कपडे  पहने साधुसंत
नारायण का भजन करते करते जा रहे हैं.
तुम तो ऐसा सो रही हो.
अनसुनी नींद से जागो.
शंख चक्रधारी, कमल नयन भगवान को भूलकर
सोना सही नहीं है.

नव वर्ष (मु )

आज  का विषय नव वर्ष.
नव वर्ष    की चर्चा
भारतीयों  के लिए
 नव वर्ष कब?
चैत महीना,
मुगल वर्ष
जनवरी
सनातन धर्म विश्वासी
वसुदेव कुटुंबकम्
 सर्वे जना सुखाने भवंतु
आदर्श सिद्धांतवादी,
अगजग को भाई बहन समझनेवाले
अहिंसा के महान बुद्ध,
विश्व के दिया प्रेम सेवा संदेश.
महावीर का अहिंसा
 कपडे तक त्यागा
मोर पुच्छ  से
  चींटी के प्राण तक
बचाकर चलना,
कितना  उदार भारतीय.
विदेशी आये मंदिर तोडे.
विदेशी आये, भाषा बदली.
विदेशी आये पहनावा बदली
विदेशी आये अभिवादन
शैलियाँ बदलीं.
मधुशाला बढी,
तलाक /डैवर्स शबद,
बहिरंग आलिंगन चुंबन
बहिरंग चुंबन के लिए
जुलुस-आंदोलन.
अर्द्ध  खुले अंग-वस्त्र.
शिक्षा  महाविद्यालय में
प्रेम प्रधान, संयम नहीं,
गुरु शिष्य के प्रेम लीला,
नव वर्ष के नाम अर्द्ध  रात्रि में
नशा चढाकर नाच.
ज़रा  विचार करके देखो,
भारतीय  चिंतन, विचार  बदले,
अनुशासन में भंग, चरित्रहीनता,
भारतीय बनो, नव वर्ष  सनातन भारतीय ढंग से मनाओ.
भारतीय बनो, भारतीय  भाषाओं  को
जीविकोपार्जन  का साधन बनाओ.
जितेंद्र  बनो,अजयी बनो.
 सोचो समझो,
भारतीय नव वर्ष मनाओ.
संयम सीखो,, अग जग का विजयी बनो.
 स्वचिंतक:यस.अनंतकृष्णन द्वारा  स्वरचित


Thursday, December 27, 2018

आण्डाल कृत तिरुप्पावै --१३

आण्डाल कृत  तिरुप्पावै -१३.

    आंडाल  दक्षिण की मीरा।

मार्गशीर्षः महीने की सर्दी में
अपनी सखी को जगाने ,
विष्णु भगवान के यशोगान करने
तड़के उठकर
 अपनी  सखियों सहित
  नहाने जाती हैं।
सोनेवाली सखियों को जगाने के लिए
 ये गीत गाती  हैं।
      आज के गीत में
 गोपियाँ कृष्ण को ही चाहती हैं ,
पर आज विवाद शुरू हो गया --
श्री कृष्ण बड़े हैं या राम ?
*****
 आइये !१३ वां  गीत के भाव पर ध्यान देंगी :-
     मनको मधुर श्री कृष्ण है  या राम
     सुनिए !आण्डाल  का विवाद :-
 कृष्ण के पक्ष में एक दल  :-
देखो! बगुले के आकार के
बगुलासुर के मुख फोड़कर
श्री कृष्ण ने  वध किया है.
राम के पक्ष में गाया --
  दुष्ट राक्षस रावण के सर को
घास की तरह उखाड़ फेंका  है   राम ।
     इनके बीच एक सखी सोती हुई  सखी को
जगाने अंदर गयी , और कहा , जागो !चन्द्रास्त होकर सूर्योदय के पहले ही  कुछ सखियाँ  उठकर व्रत रखने चली गयीं।
तब सोती सखी ने विवाद किया कि  इनको कैसे मालूम  ----
गुरु ,शुक्र ग्रहों का अस्त होना ?
तब सखी ने कहा -
क्या तुम्हें पक्षियों का कलरव्
सुनायी नहीं पड़ा?
फिर उसको छूकर जगाने अंदर जाती है।
सखी इसके आते देख
 और गहरी नींद का अभिनय करती हैं.
सखी उसको जगाती हुयी कहती हैं -
सखी !उठो!
अभी सूर्य नहीं निकला ;
 शीतल पानी में नहाना आनंद प्रद  है।
यही सुसमय है!
तेरी नींद का अभिनय छोडो।
यह तो नींद चोरी नींद।  जागो !
जगन्नाथ के यशोगान में
सखियों सहित लग जाओ।