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Tuesday, November 4, 2025

भ्रम

 राजा का भ्रम।

 एस. अनंत कृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु 

5-11-25

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भारत देश में ही नहीं,

 सारे विश्व में एक भ्रम है

 राजा ईश्वर तुल्य है।

 शासक प्रजातंत्र में भी

 भ्रमवश गलत चुने जाते हैं।

 चुनाव जीतने के बाद 

 ईद के चाँद हो जाते हैं।

 प्रजा के सपना मृग मरीचिका हो जाता है।

 दशरथ महाराज के 

 भ्रम जंगली जानवर।

 परिणाम शब्द भेदी बाण।

 पुत्र शोक के पाप का शाप।

 राजा के भ्रम से 

 देश की हानी।

 अज्ञातवास में 

 पांडवों के भ्रम में 

 हर घटना।

 चापलूसी  सभा

 सदों के भ्रम।

भ्रम के कारण,

निरपराध को दंड।

 तमिल काव्य शिलप्पधिकारम् में 

 निरपराध का कथानक को

 चोर के भ्रम होने से

 राजा ने मृत्यू दंड दे दिया।

 जब कोवलन की पत्नी ने

 राजा के फैसले को 

 गलत प्रमाणित  किया 

 राजा स्वयं मर गये।

साँप को रस्सी मानना,

 रस्सी को साँप मानना,

 भ्रम में पड़ना।

 कभी कभी विपरीत हो जाता।

भ्रम  में पड़ना 

 मानव जीवन में 

 अति संकट दुविधा 

परेशानियों के कारण।

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