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Tuesday, November 11, 2025

युद्ध शांति

 युद्ध और शांति 

 एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।


 युद्ध क्या है?

 क्यों है? निर्दयता क्यों है?

 युद्ध के बाद शांति है क्या?

 कुरुक्षेत्र धर्मक्षेत्र नहीं।

 षडयंत्र की विजय।

 क्या विजय के बाद पांडव 

 शांति और संतोष  में  थे क्या?

‌रामायण में रावण विजय के बाद भी

 राम को भी शांति नहीं है,

सीता को शांति नहीं।

 वीरगाथाकाल काल की वीरता 

धिक्कार है,देश की भलाई के लिए नहीं,

 राजकुमारी के मोह में 

 व्यक्तिगत सुख के लिए 

 हजारों सिपाहियों की मौत।

 उनके बच्चे अनाथ।

 राजा की खुशी ।

 वह वीरता धिक्कार है।

 अशोक को युद्ध में आनंद।

 युद्ध क्षेत्र के शवों को देख 

  मानसिक परिवर्तन ।

अशोक हत्यारा,

 सेवा धर्म अपनाकर 

 महान अशोक बना।

 अहंकारी, आतंकी, लोभी,

 कामी के आक्रमण,

 परिणाम हजारों की मृत्यु।

  सिकंदर के आक्रमण से

 उसका विश्वविजयी स्वप्न 

 दांड्यायन के त्याग मय जीवन 

से परिवर्तन।

 माया  मरी नश्वर मिथ्या जगत।

 मानसिक  युद्ध संघर्ष शांति

 कहीं भी नहीं, 

 युद्ध शांति के लिए।

 तब हज़ारों की मृत्यु,

 महा नाश,  घाटा।

 शांति कहाँ?

 प्रतिशोध की भावना।

एक दिन दावानल बनेगा।।

 कभी युद्ध और शांति 

का  रिश्ता छत्तीस का ही।

एस. अनंत कृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक द्वारा स्वरचित भावाभिव्यक्ति रचना 







 

 

 

  

 


 







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