मातृभूमि का कर्ज।
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एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक
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जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी।
आज़ादी से जीने,
मन चाहा धंधा करने
घर बनवाने
आ सेतु हिमाचल
जहाँ चाहें, रहने
मन चाहा स्नातकोत्तर बनने,
सभी प्रकार के मूल अधिकार,
प्राप्त सुखप्रद
मातृभूमि के प्रति
कर्ज चुकाना,
इसकी सेवा,
सर्वांगीण विकास में
मन लगाना,
हर एक देशवासी का
कर्तव्य है।
देश के प्रति जागरूक रहना, रिहाना
जागना जगाना,
हमारा फर्ज है।
देश की सुरक्षा में लगना
जय जवान जय किसान का नारा लगाना,
पालन करना हर भारतीय का फ़र्ज़ होता है।
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