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Wednesday, November 26, 2025

मानव दानव पशु में अंंतर

 मानवता की पहचान।

 एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक द्वारा स्वरचित भावाभिव्यक्ति रचना 

26-11-25

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मानव असल में पशु।

 पशु समान मानव को

 मानवता ही मनुष्य बनाता है।

 ज्ञान चक्षु प्राप्त  मानव में 

 सभी प्रकार के गुण होते हैं।

 मानव गुणों की तुलना,

 मानव से नहीं जानवरों से ही।

 मानव सर्वा हारी,

नरमाँस भी ग्राह्य।

 ऐसे मानव में मानवता 

इन्सानियत  ईश्वरीय गुण।

सत्य असत्य की पहचान,

 दया, परोपकार, देशप्रेम 

 असाधारण प्रतिभा।

 सिंह के मुख में सिर रखने का अभ्यास।

 हाथी को कठपुतली   बनाने की क्षमता।

 प्राकृतिक की सुविधाओं को कृत्रिम यंत्रों से 

 पाने की क्षमता।

 वातानुकूलित सुविधाएंँ 

 शत्रु को रोकने अस्त्र शस्त्र।

 सुरक्षित इमारतें बनवाना।

 वीर धीर गंभीर साहस कार्य।

 गोताखोर बनकर समुद्र की गहराई की खोज।

चंद्र यान पर उड़कर 

 अंतरिक्ष की खोज 

 मानवता की विलक्षण बुद्धि,

 साहित्यकार बनकर 

 समाज को जगाने की शक्ति।

 नेता बनकर नयी क्रांति 

 नये परिवर्तन।

इन सबके होने पर भी,


 दया,ममता, परोपकार,

 निस्वार्थ सेवा, दान शीलता, तटस्थता,भलमानसाहस,

 देश भक्ति, मातृभाषा प्रेम।  सत्य, अहिंसा,

दधिचि जैसे रीढ़ की हड्डी का दान।

 वही मनुष्य है 

जो परायों के लिए जिए और मरें।

आदि शंकराचार्य 

राजकुमार सिद्धार्थ, महावीर, शीर्डि साईं।

 दानवीर कर्ण।

तुलसीदास, सूरदास,

कबीर, रैदास, भक्त त्यागराज जैसे आदर्श कवि।

 मानव में ये गुण न तो

 मानवता नहीं है तो

 मानव और दानव में 

 मानव और खूँख्वार जानवरों में अंतर नहीं जान।



 

 


  




 

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