Saturday, July 21, 2012



सैनिक  महत्व  को अंग्रेजी  में "warriors " कहा गया  है।
only warriors with the right potential   energy will be able to fight courageously under  dire  conditions.

g.u.pope:-ancient  army  can alone  have  the valour  which makes it stand  by its king at the time of defeat  fearless of wounds and unmindful   of  its reduced strength.

एक सैनिक शक्ति को परेड  ही ही दूसरों को डराता  है;सेना का अग्रसर  लोगों को डराता  है।एक वीर सेना की  निशानी उसके परेड  और अग्रसर होने में  ही है।

सेना की सुन्दर  बनावट    और सजावट को देखने मात्र  से  ही  शत्रु   काँपने लगेगा।सेना में शत्रु को हारने का बल  न होने पर भी दिखावट शत्रु  (  सजावट और  दिखावट का अपना विशेष महत्त्व होता  ही है। कम से कम वह   शत्रु   के मन में भय उत्पन्न  करेगा ही। ।  

कुरल:-अडल   तकैयूम   आत्रलुम इल एनिनुम  तानै    पडैत्तकैयाल  पाडू पेरुम।

सुसज्जित सेना गंभीर  और वीरता  के लक्षण होता  है।सुसज्जित रथ सेना,मुख-पट लगाए गज-सेना,सज्जित अश्व- सेना  छाता,झंडा,पताकाएं,धोल्नागादा की गूँज  आदि शत्रु -पक्ष में भय उत्पन्न  करेगा ही। 
आजकल  जब शहरों में  दंगा ,  कानून्  व्यवस्थता  का भंग,  आतंकवादी यों और शत्रुवों का छेड़-छाड़ होता  है,तब सेना या पुलिस विभाग का परेड होता है।यह सजतज  का जुलुस  आम लोगों में भय दूर करके शांति का विशवास पैदा  करता है।  
वल्लुवर ने  सेना के लक्षण  और महत्व   का अधिकारम  इसी के लिए  लिखा है।
ratnakumaar:-
EVEN  IF AN ARMY IS NOT POWERFUL,IT IS IMPORTANT THAT IT PARTS ON A SHOE TO PSYCHOLOGICALLY     WEAKEN THE ENEMY.


G.U.POPE;--
THOUGH  DESTITUTE  OF COURAGE TO FIGHT AND STRENGTH (TO ENDURE)AN ARMY MAY YET GAIN RENOWN BY THE SPLENDOUR OF ITS APPEARANCE.


  आगे  वल्लुवर ने बताया है कि  बड़ों  को सहायक  बना लेना राजा के लिए अत्यंत  आवश्यक है। यह केवल राजा  के लिए मात्र   नहीं ,बल्कि  सब केलिए लागू होगा। 
राजा  को  अपने लिए  बड़े  मनुष्य को मंत्री बना लेना चाहिए। मंत्री को   उम्र  में  और अनुभव में ,बुद्धि बल में,
चतुराई  में,    कार्य-कौशल में अति सूक्ष्म  होना  चाहिए।ऐसे बड़े मंत्री के मिलने के बाद  राजा को उनकी सलाह माननी चाहिए।


एक राजा केलिए योग्य  मंत्री मिलना अति दुर्लभ  होता है। अव्वैयार  ने कहा कि  मनुष्य जन्म  दुर्लभ है।


वल्लुवर दुर्लभों  से  दुर्लभ  कहा  है।  


एक को चतुर  और आवश्यक है , कहने  का   मतलब  यह नहीं कि  बाकी महत्वहीन है।इन सब का पालन  और अनुसरण  करने की  प्रेरणा  देने  के लिए  ही वल्लुवर ने एक-एक  विषय   पर जोर दिया  है। कहते हैं कि  
यह कवियों  का  रूढिगत स्वभाव है।  


कुरल;- अरियवटरुल   एल्लाम  अरिते  पेरियारैप   पेणित  तमराक कोलल।


एक   सुयोग्य  मंत्री  मिलना  भाग्य  की बात है।
रत्ना कुमार  ने अंग्रेजी  में कहा है कि  'SUPPORT OF MATURE PEOPLE.
  EARNING THE RESPECT AND SUPPORT OF MATURE PEOPLE IS A RARE OPPORTUNITY  NOT BE MISSED.
वल्लुवर ने जोर  देकर  कहा  कि  एक सद्गुणी बड़े आदमी का समर्थन छोड़ना  कई शत्रुवों  से दस गुना बड़ा खतरनाक है।  


कुरल:--पल्लार  पकै  कोललिन  पत्तडु त्त  तीमैत्ते    नाल्लर तोडर  कै  विडल।


रत्नकुमार:--BREAKING OFF THE FRIENDSHIP WITH A MATURE PERSON IS WORSE THAN CREATING  MANY ENEMIES.
G.U.POPE:-- IT  IS  TENFOLD  MORE  INJURIOUS  TO  ABANDON  THE  FRIENDSHIP  OF THE GOOD, THAN TO INCUR THE HATRED OF THE MANY.












  वल्लुवर  सुमंत्री के लक्षण और उनके कर्तव्य  और जिम्मेदारियों   के महत्व बताने के बाद  उनके अधीन के कर्मचारी   सेनापति  के लक्षण  का जिक्र  करते हैं।
उनके कुरल -ग्रन्थ  में सैनिक-महत्व्  के अधिकारं  सतहत्तरवाँ  है।  सत्तास्वाँ   अधिकारं है  शत्रु-लक्षण।
इन दोनों अधिकारमों के भेद  पर पहले जान्ने का बाद  सैनिक -महत्व्  पर विचार  करेंगे।

 बेवकूफी,मित्रता  न  निभाना, रिश्ता छोड़ना,निस्सहायता  आदि कमी-पेशियों से शत्रुता के लक्षण बताना  शत्रु-का महत्व  अधिकारं है। थोड़े  में कहें तो  शत्रु-पर आक्रमण करके  शत्रु-नाश करना शत्रु-विशेषता है।
सैनिक महत्व्    तो चढाई के बाद  जान को तुच्छ  मानकर  अंत  तक लड़-मरना।

राजा के सुमार्ग की कमाई  की सुरक्षा  करना  और दुश्मनों से देश को बचाना  सैनिक-विशेषता होती है।

इस अधिकारं  में एक कुरल को छोड़कर  बाकी  नौ  , कुरलों  में "पडै "(सेना) शब्द  का प्रयोग हुआ है।यही कुरल की विशेषता  है।

एक राजा की रक्षा के लिए  अंत तक  लड़कर , पीठ  न दिखाकर वीर गति प्राप्त करने की सेना  मूल-सेना है।
क्या सेना में भी भेद हैं?  हाँ, सेनायें  छे  प्रकार की होती  हैं।1.कूली सेना,देश सेना,जंगली सेना,सहायक सेना,दुश्मनी-सेना आदि। इनमें  मूल-सेना का ही महत्व  अधिक है। युद्ध  काल में ही जो सेना तैयार  की जाती है,वह कुली सेना है।दुश्मनों से किसी मानसिक-कटुता के कारण आ मिले हैं,व शत्रु-सेना है।




Friday, July 20, 2012

राजा के पदाधिकारियों में  मुख्यमंत्री  की जिम्मेदारी  सर्वाधिक होती है।


  कुरल:  वारिप  पेरुक्की वलं  पदुत्तु  उट्रवै   आराय्वान  सेयक  विनै .


छान-बीनकर  चुने  मंत्री  को खोज करने का दिलचस्प  चाहिए।
उनका प्रधान कार्य  है  आय बढ़ाना।  
आय बढाने  के लिए   कर वसूल करना,दंड-शुल्क वसूल करना,गाढे हुए धन-दौलत का पता  लगाना,कृषी  बढ़ाना,कुटिर -उद्योग ,व्यापार  आदि  के द्वारा  आय बढ़ाना   मुख्य-मंत्री  का  काम होता है।
इसके अलावा बढती आमदनी सदुपयोग  करना चाहिए।दौलत का खर्च  राजा और प्रजा के सुख-सुविधा केलिए  करना चाहिए।
देश की  प्रगति की बाधाओं को  हटाना चाहिए। 
राजनीतिज्ञ ,राजा के रिश्ते-नाते,दुश्मन,चोर-डाकू आदि देश की शांति और तरक्की में अडचनें करेंगे।उनसे राजा  और राज्य  को बचने का काम भी मंत्री के जिम्मे में है।
प्राकृतिक -कोप,जंगली जानवर,कीड़े-मकोड़े आदि के कारण होनेवाली हानियों से भी लोगों को रक्षा करने का भार  और  क्षति -पूर्ती  करने का दायित्व भी है।
प्राकृतिक दुःख हैं बाढ़,आंधी-तूफान, संक्रामक रोग,अकाल  आदि।


इन सब का सामना करने की शक्ति और कौशल   जिसमें है,वही मंत्री है।


अंग्रेजी विद्वानों ने इस अधिकारं का  नाम "delegation " रखा है।
one who knows how to increase revenue reduce costs and over come constraints is the right person to be delegated with authority.
g.u.pope:-
let him do (the kings)work who can enlarge the sources (of revenue)increase wealth and considerately prevent the accidents (which would destroy it).

इस अधिकारं  के सभी कुरल  खोज  की योग्यता रखता है।


रजा को मंत्री की नियुक्ति  कौशल देख-जानकर करना है,जो दुखों को सहकर कार्य करा रहें।  प्रेम में वशीबूत  होकर   एक  अयोग्य  व्यक्ति  की नियुक्ति करने  पर  विनाश ही होगा।
कुरल:-


अरिंदु  आट्री  सेय्किर्पार्कू  अल्लाल विनैतान   सिरंतान  एन्रु  एवार्पाट्रंरु।
अंग्रेजी अनुवाद :

authority must be delegated only to people who have the right knowledge and skills;delegation should not be done on the basis of 
whim and fancy. 

G.U.POPE:
(A KINGS) WORK CAN THEY BE ACCOMPLISHED BY A MAN  OF WISDOM AND PATIENT ENDURANCE;IT IS NOT A NATURE TO BE GIVEN TO ONE FROM MORE PERSONAL ATTACHMENT




















राजा  के  लिए अत्यंत  आवश्यक  कौशलों  में एक है   जानकर स्पष्ट  निर्णय लेना।जानकर   और  जानकारी  दोनों  में  स्पष्ट  शब्द को वल्लुवर जोर  देते  हैं।अपने इस अधिकारं में  सात कुरलों में वल्लुवर  ने
स्पष्ट  शब्द  का प्रयोग किया  है।

एक राजा अपने सुशासन के लिए सभी कार्यों को सुचारू  रूप से करने के लिए मंत्री,सेनापति,दूत  आदि

पदाधिकारियों की नियुक्ति  करता हैं।उनकी नियुक्ति में उनके सम्बन्ध  की जानकारी मात्र काफी नहीं है;पदाधिकारियों की कुलीनता,ज्ञान,कार्य-कौशल  आदि का दृश्य ,सैंद्धांतिक  पक्ष की खोज  करके स्पष्ट निर्णय लेना है।इन सब की नियुक्ति में कोई कमी हो जाए  तो राज पद खतरे में पड  जाएगा।  

कुरल:  अरियकटरू   आसू अटरार   कन्नुम तेरियुन्ग्काल    इनमै   अरिते  वेलिरू।

 अच्छे   ग्रंथों  के ज्ञाता  में भी कोई न कोई    अज्ञानता  तिल पर भी हो सकता है।अतः  वल्लुवर महोदय चेतावनी देते  है कि  किसीको अपनाना है तो अन्वेषण-अनुशीलन  की आवश्यकता है।

तेरिन्तु   तेलितल    अर्थात  जानकर स्पष्ट  होना   शब्द   को खूब  समझकर  रत्ना कुमार  ने  उसका अंग्रेजी 

अनुवाद  किया है  "an executive"(कार्यकारी)

 even a person who is acknowledged  as being learned  may not be  completely  free of ignorance.

G.U.POPE:-

WHEN EVEN  MEN , WHO  HAVE STUDIED THE MOST DIFFICULT WORKS  AND WHO ARE  FREE FROM  FAULTS ARE EXAMINED  IT IS A RARE  THING TO FIND THEM WITHOUT  IGNORANCE.

और  खूब-जान पहचान  और छान-बीन  करके  नियुक्ति करने के बाद    उन पर भरोसा ही रखना  चाहिए;यदि राजा  उसपर शक करें  तो  आजीवन दुःख ही झेलना  पडेगा।

कुरल:  तेरान  तेलिवुम  तेलिन्थान कण ऐयुरवुम    तीरा  इदुम्बाई तरुम।

इसकी आलोचना और व्याख्या इसी अधिकारं के सातवें कुरल में  मिलती  है।

वह कुरल है----कातंमै  कंता  अरिवु  अरियार्ट तेरुतल  बेदमै  एल्लम  तरुम।

जानकर स्पष्ट  होना  एक राजा के दिल और दिमाग  को काम देने का अधिकारं है।क्रिया किस्म  जानकर,फिर एक स्पष्ट निर्णय पर पहुंचकर  कार्य रूप देना एक राजा की बडी  जिम्मेदारी होती है।

तीसरा अधिकार है एक व्यक्ति की योग्यता और क्षमता जानकार उनसे काम लेना।

  



शासकों की जिम्मेदारियाँ    असीम  होती  हैं।उनकी सेवायें सब  आम जनता  केलिए हैं। उनके कर्तव्य  निभाने के लिए  वल्लुवर ने तीन अधिकारं लिखे हैं।उनमें  तीस  कुरल हैं।
वे हैं--1.सोच-समझकर  कार्य करना,2.जानकर  स्पष्ट  होना 3.जानकर  कार्रवाई लेना।
वल्लुवर ने जानका शब्द का प्रयोग किया है।यहाँ जानने का मतलब ज़रा  गहरा है।खोजकर जानना।
जानकर कार्य करने का अर्थ है :

कुरल:  अलिवतुवुम  आवतुवुम  आकिवालिपयक्कुम   ऊतियामुम सूल्न्तु सेयल .

 एक कार्य करके पूरा  करने केलिए उस समय  का   खर्च,   उत्पत्ति , फिर  काम पूरा होने के बाद होनेवाले लाभ  आदि  तीनों  को  छान-बीन  करके समझकर ही  कार्य करना चाहिए।आमदनी कम,खर्च ज्यादा ऐसी योजना से राजा का नाम  बद नाम   हो जाएगा।
ACT ONLY  AFTER KNOWING THE BENEFITS AND COSTS OF YOUR ACTION.--RATNAKUMAR..  THINKING BEFORE ACTING.

G.U.POPE:- ACTING AFTER DUE CONSIDERATION.
LET A MAN REFLECT ON WHAT WILL BE LOST WHAT WILL  BE  ACQUIRED  AND (FROM THESE)  WHAT WILL BE HIS ULTIMATE GAIN AND ACT.

KURAL:   सेय्तक्क  अल्ला सेयाक्केदुम ;  सेय्तक्क   सेय्यामै  यानुम केदुम।

जो करने नालायक है उसे करने से सब कुछ बिगड़  जाएगा।  जो करना है ,उसे न करने से सब कुछ बिगड़ जाएगा।
जो करना है उसे करना चाहिए; जो न  करना है ,उसे छोड़ देना चाहिए।नहीं तो अर्थ विनाश के कारण जीवन अर्थहीन हो जाएगा।ज्ञान,पौरुष,बड़प्पन तीनो मिट जायेंगे और दुश्मन आसानी से पराजित कर लेगा।
 RATNA KUMAR;   failing to do what is right is as ruinous as doing  the wrong thing.

G.U.POPE:-HE WILL PERISH  WHO DOES NOT WHAT IS NOT FIT TO DO;
AND HE ALSO WILL PERISH WHO DOES NOT DO WHAT IT IS FIT TO DO.

FORT

एक  शासक  के कार्य  
दुर्ग (सुरक्षा)  अधिकार का  पहला अधिकार है देश।देश का एक अंग है दुर्ग।

कुरल:-  इरु पुनलुम   वाय न्त  मलैयुम  वरुपुनलुम   वल्लारनुम    नाट्टीर्क्कुरुपपू ।

एक देश के अंग  दुर्ग  की  अत्यंत आवश्यकता  को ध्यान में रखकर
वल्लुवर ने  "दुर्ग" संबंधी  एक  अध्याय  लिखा  है।
ज्ञान   अध्याय के दस कुरलों में ज्ञान शब्द का प्रयोग है।
वैसे  ही "दुर्ग" सम्बन्धी  दस कुरलों  में 

दुर्ग (अरण) शब्द का प्रयोग है।

इससे ही पता लगेगा  कि  "अरण" का कितना महत्त्व है।

कुरल:  उयर्वु   अकलम  तिनमै  अरुमै  इन्नान्गिन  अमैवु  अरण एन्रू उरैक्कुम नूल।

उपर्युक्त  कुरल से   वल्लुवर  महोदय की  महानता  का पता चलता  है।

इस कुरल में उन्होंने जो कुछ दुर्ग के बारे में बताया है,
वह अन्य ग्रांटों से मिला ज्ञान है।
उन्होंने अपना  न कहकर अन्य ग्रन्थों   के शब्द का प्रयोग किया है।
उनकी महानता का द्योधक  है यह कुरल।

दुर्ग  की चौडाई और ऊंचाई ,
पत्थर और ईंटों से बनी दीवार  दुश्मन  के लिए
 प्रवेश करना  दुश्वार है।
किले की टिकाऊ  अति मज़बूत  है,
उसे  कोई औजार तोड़ नहीं सकता।
इस कुरल  में  तमिल के प्रसिद्ध   ग्रन्थ  कलिथथोकै ,
जीवक चिन्तामनी ,पुरानानूरू, कंबरामायण
शिलाप्पधिकरम आदि  में वर्णित  दुर्गों -सा
वल्लुवर ने किले  की  बनावट का जिक्र किया है।

तमिल के अति प्राचीन कुरल में
जो कुछ  किले के बारे में उल्लिखित है,
उसके बाद में रचित  ग्रंथों में 
उसी प्रकार का उल्लेख
 वल्लुवर  की कीर्ति पर चार चाँद लगा देते हैं।

भारतीदासन  ने कहा है  कि
वल्लुवर ने ईख  का रस निचोड़कर दिया है।
उसे  पीने केलिए भी  कष्ट का अनुभव 
करना  उचित है  क्या?

दुर्ग  सम्बन्धी   अंग्रेजी अनुवाद:-a fort must be tall  broad  and unique to ward off enemies.
G.U.POPE:-
THE LEARNED SAY THAT A FORTRESS  IS AN ENCLOSURE HAVING  THESE FOUR VIZ; BREADTH,HEIGHT,STRENGTH  AND IN ACCESSIBILITY..

एक दुर्ग की पक्की इमारत की सुरक्षा  मात्र काफी  नहीं है;
पर्याप्त  विश्वसनीय लोगों की भी ज़रुरत  है।
जो वीर  राजा के हैं ,वे  लोहे के दुर्ग  के समान
 राजा की रक्षा  के लिए दृढ़  रहना है तो
उनके दिल में राजा के प्रति प्यार होना चाहिए।
 इस केलिए  राजा  का व्यवहार
देशप्रेम से  भरे रहने की जरूरत है।
किले के अन्दर  लोगों के लिए आवश्यक  खाद्य -पदार्थ ,
सुवीरों की भीड़,मान-मर्यादा  की रक्षा का जोश  आदि होने  से  ही
किले की रक्षा  कर सकते हैं।
तभी वह किला सुरक्षित कहा जा सकता है।
अंग्रेजी अनुवाद:- A  fort must be self contained with  all essentials  and safe-guarded by a strong garrison.
G.U.POP:-  A FORT IS THAT WHICH HAS ALL (NEEDFUL) THINGS AND EXCELLENT HEROES THAT CAN HELP IT AGAINST DESTRUCTION  (BY FOES).





VINAMRATA

"
                                                                                     नम्रता "

   नम्रता   और    कुलीनता  :-

    कुरल   : आट्रूवार   आट्रल  पनितल;   अतु  सान्रोर  माटरारै   माट्रुम  पडै ।
             
                एल्लोरुक्कुम नन्राम पनितल ; अवरुल्लुम   सेल्वर्क्के   सेलवम  तकैत्तु .

                   
उपर्युक्त   दोनों कुरल  तमिल में तुलना करने पर साहित्यानंद  मिलेगा। जो विनम्र है,वे दूसरों के गुणों को

बदल देंगे।  सब   के  लिए  आवश्यक गुण  ही विनम्रता  है। यह विनम्रता  धान्यों का धनी है।दुश्मनों को  भी

दोस्ती  में  परिवरतित  करने की शक्ति  विनम्रता में हैं।  विनम्रता असंभव  को संभव बना देगा।

अंग्रेजी  अनुवाद :_-   HUMILITY  IS A CHARACTERISTIC  OF ALL ABLE   PEOPLE  IT IS ALSO
A NOBLE  MEANS  TO TRANSFORM ENMITY INTO FRIENDSHIP.

G.U.POPE:--   STOOPING (TO INFERIORS )  IS THE STRENGTH  OF THOSE  WHO CAN ACCOMPLISH  (AN UNDERTAKING )  AND THAT  IS  THE WEAPON WITH WHICH THE GREAT  AVERT    THEIR  FOES.

विनम्रता  और कुलीनता  के सम्बन्ध  बताने  का बाद  वल्लुवर ने  दरिद्रता  और कुलीनता  के बारे में कहते

 हैं।  जिसमें  कुलीनता  होती है ,उसको  धन का अभाव नहीं है  और धन  का भी।

कुरल:-इन्मैयोरुवर्कू  इलिवु  अन्रू;  सल्बू  एनुम  तिनमै  उन्डाकप्पेरिन।

राजा  के   कुलीन होने  पर  ,उसको  धन,ज्ञान,और  गुण  का अभाव  नहीं  होगा।

उत्कृष्ट  लोगों का बल  यही  है कि  दरिद्रता उसका अपराध नहीं  होगा।गरीबी में भी वह अपना आदर्श निभाएगा।

अंग्रेजी  अनुवाद:POVERTY  IS NO DISGRACE TO A NOBLE PERSON.

G.U.POPE;--POVERTY IS NO DISGRACE TO ONE WHO ABOUNDS IN GOOD QUALITIES.