Friday, January 10, 2014

संघ साहित्य तमिल में धर्म --अकम/ पुरम अन्तरंग-बहिरंग साहित्य

तोल्काप्पियम   जो "पोरुलिलक्कणम"   अर्थविचार  के व्याकरणिक ग्रन्थ है,वह लोगों के जीवन  व्याकरण बतानेवाला श्रेष्ठ ग्रन्थ है.
तोल्काप्पियम  लोगों के जीवन को दो भागों में  विभाजित  करता है. एक  आतंरिक जीवन ,दूसरा बाह्य जीवन.
मिलकर रहना अक वाल्वु  अर्थात आतंरिक जिन्दगी.इसी आधार पर गृहस्थ  का महत्त्व है; आतंरिक जिंदगी को चोरी,  अनघता , संयम शुद्धता (chastity)  नामक दो रूप में तोल्काप्पियम विभाजित करता है.चोरी गुप्त र्रोप में वैवाहिक सम्बन्ध , जिसे उच्चतम न्यायालय भी मन चूका है,मिलकर रहना  .दूसरा खुला गृहस्थ जीवन.
आतंरिक जीवन पाँच क्षेत्र  कुरिंज्ची,पालै,मुल्लै,मरुदम ,नेयतल आदि के लिए सामान्य मान नियम है.
अज्ञात  गुप्त  जीवन में भी संयम शुद्धता पर  जोर दिया जाता है.तोल्काप्पियम में संयम शुद्धता  पुरुष और स्त्री दोनों को समान मानता है.
संयम शुद्धता पर तोल्काप्पियम :-
कर्पेनप  पडूवतु  करनमोडू पुनरक
कोलर्कुरी  मरबिर किलवन किलात्तियै
कोडैक्कुरी मरबिनोर  कोडुप्पक कोल्वातुवे.

नायक-नायिका एक दुसरे को माकर सम्भोग करना.
 तोल्काप्पियम  में बाह्य और अंतः क्षेत्र  के सम्बन्ध को भी व्याख्या मिलता है.
बाह्य क्षेत्र --आतंरिक क्षेत्र
वेट्ची         *  कुरिंज्ची
वंचि           *  मुल्लै
उलिग्नै       *  मरुतम
वाकै           *    पालै
कांची          *  पेरुन्तिनै
पाटाण        *   कैक्किलै
  आतंरिक जिन्दगी का विकास ही बाह्य जीवन माना गया है.
वेट्ची  क्षेत्र --- वेट्चि  क्षेत्र   के वीर राजा शातू देश की गायों को कब्ज़ा कर लाते थे.वे वेट्चि  नामक फूलमाला पहनकर जाते थे. ये गायें लाना भी धर्म ही है ; क्योंकि इस वीरता का उद्देश्य गायों को सुरक्षित रखना.
आनिरै कवर्तल अरत्तिन पोरुट ट न्रू    गायों को चोरी करके ले जाना ,उनको छुड़ाने आदि  में उनको कोई कष्ट न होना चाहिए.  उसीको  नोयिनरी वुयित्तल  कहते हैं. जो गायें चुराकर ले आते हैं ,उनको राजा या सेनापति अपने लिए न रखकर धर्मानुसार  वे सार्वजनिक संपत्ति हैं ,उन्हें  दूसरों को भी बांटकर दिया करते थे. इसीको "पातीडु" कहते थे.
वंजी क्षेत्र :- दूसरो की भूमि पर  के लालची राजा  और उसको रोकनेवाले राजा दोनों की लड़ाई का धर्म बताना वंजी क्षेत्र है.भूमि के लोभ में लड़ना अधर्म युद्ध और भूमि की रक्षा में लड़ना धर्म युद्ध है.यह युद्ध-नीति तमिल लोगों के ऊंचे विचार के लिए प्रशंसनीय है.
उलिग्न्यैत तिनै:---दुश्मनों के दुर्ग को घेरना,कब्ज़ा करना  ,नाश करना, यह क्षेत्र राजा की विशेषता है.इस क्षेत्र  के धर्म है:--दुखी दिली,निःसंतानी ,विधुर , सैनिक हीन ,कायर,अपने  असं का वीर आदि से लड़ना,मारना आदि अधर्म है.यह रदूसरों की भूलें सह्नेवाले ण-धर्म है.
तुम्बै तिनै ;--बलवान राजा का सामना करना हराना वही श्रेष्ठता मानना तुम्बै तिनै.
 व्यक्तिगत लाभ के लिए अपने बल दिखाने लड़ना अधर्म युद्ध है. आम लोगों की भलाई के लिए लड़ना धर्म युद्ध है. तुम्बै युद्ध धर्म के आधार पर होगा.
वाकैत्तिनै:--युद्ध की अंतिम स्थिति "जीत".वाकै  का अर्थ है विजय. यह विजय दुखप्रद न हो. विजय धर्म   में धर्म मार्ग के सज्जन,चरित्रवान ,दूसरों की भूलें सह्नेवाले ,सत्य ज्ञान के ज्ञाता , आदि लोगों के धर्म पर वाकैत तिनै बताते हैं.
कुरिन्जित तिनै ;--कांची क्षेत्र  अशाश्वत संसार के दशा को जिक्र करके शाश्वत दिशा की  ओर  खोज करने का मार्ग दिखाता है.रण-क्षेत्र में घायल वीरों .मृत वीरों की दुर्दशा पर ध्यान खींचता है.नायक की  मृत्यु पर असहनीय दुःख से मरनेवाली नायिका,पति के साथ मरी नायिका की प्रशंसा,,प्रेमी के बिछुड़ने पर दुखी प्रेमिका,प्रेमिका से बिछड़े प्रेमी ,गृहस्थ जीवन की विषमताएं  आदि धर्म  और कर्तव्य की व्याख्या इस क्षेत्र में मिलते  है.

पाडाण तिनै:--राजा के आवश्यक धर्म  सिखाते हैं.इसमें वायुरै,सेवियरिउ हैं वायुरै -मौखिक  है  इसमें बिना कठोर वचन के मार्ग दिखाना वायुरै  है.यह कार्य करना फलदायक बताना.
सेवियरिऊ  बिना क्रोध दिखाए अपराधियों के अपराध सहकर धर्म की  बातें बताना.
   संघ साहित्य  में बाह्य धर्म सागर में चंद बिंदु इसमें दर्शाए गए है.

आतंरिक जीवन  "अकम" में प्रेम करना, रहस्य (चोरी)इन सब में  ,शादी ,दाम्पत्य -गृहस्थ जीवन आदि  धर्म पर व्याख्या करता है .  प्रेम चोरी गुप्त शादी धर्म पर आधारित है.
इसमें चरित्र प्रधान है.




बाह्य जीवन में रण- नीति  -धर्म पर  व्याख्या तोल्काप्पियम में मिलता है.



संघ साहित्य में अन्तः -बाह्य धर्म

    साहित्य जो है ,मनुष्य जीवन और समाज से सम्बंधित है. वह मनुष्य के आतंरिक विचार धारा और जीवन और समाजगत मर्यादित जीवन और बहिरंग बातों को ध्यान से अध्ययन करके अपने विचार और चिंतन मंथन के द्वारा ज्यों के त्यों यथार्थ और आदर्श रूप में प्रकट करता है. इसीको साहित्य समाज का दर्पण ,साहित्य समाज की प्रति लिपि,साहित्य समाज का प्रतिपिम्ब ,साहित्य का आधार मनुष्य जीवन,मनुष्य जीवन को अनुशासित  रखने का धर्म आदि  के शीर्षकों से संक्षिप्त विशेषता  के रूप में प्रकट करते हैं.

   तमिल संघ साहित्य मनुष्य जीवन  में   धर्म  को  ही   प्रधान  मानता है.ये धर्म  व्यापक अर्थ  अभिव्यक्त करते हैं.धर्म  का तमिल शब्द अरम  है.  इस धर्म का फल अज्ञानान्धकार दूर  करना. इस  अज्ञानता ही  सभी अमंग्लता का जड़  हो जाता है. सब से श्रेष्ठ धर्म  मन को पवित्र रखना. तमिल शब्द अरम  अरु से निकला है .मतलब है काटना . अरम का मतलब है कटी बात.  आराम का मतलब तमिल में पंद्रह  अर्थ प्रकट करते हैं जो धर्म  का पर्यायवाची शब्द है. वे हैं १,सुकर्म २.भिक्षा ३.गरीबों को मुफ्त में बाँटना ४.रोगियों को मुफ्त चिकित्सा  ,दवा  देना ५.कल्याण करना,६,सुख ७.योग्यता ८.व्रत ९.पतिव्रत/पत्नीव्रत १० पुण्य  ११ मत ,सम्प्रदाय १२.ज्ञान १३ धर्मशाला १४.धर्म देवता १५.तटस्थ धर्म रक्षक. अरु तमिल का मूल  का मतलब है मिटाकर चल,मार्ग बनाओ,खंडित करो अलग करो  अरम अर्थात धर्म का मतलब सभी दुष्कर्म ,दुर्मार्ग मिटाकर अनुशान का मार्ग दिखाओ.आराम  न्याय के अर्थ में भी प्रयोग होता है.कर्तव्य निभाना भी आराम .धर्म है.
அறநெறி  முதற்றே அரசின்  கொற்றம்.  அறநனி  சிறக்க  ,
பிறர் நோயும் தன்நோய்  போல்  போற்றி  அறனறிதல்
சான்றவர்க்கெல்லாங் கடனானால் .
सुकर्म के फल  से प्राप्त पुण्य भी अरम अर्थात धर्म के अंतर्गत
अरन्तलैपपिरियातोलुकल
अरनुमन्रे आक्कामुम।    ऐसे व्यापक अर्थ अरम धर्म के लिए तमिल संघ साहित्य की बड़ी विशिष्टता है.
तमिल कवयित्री अव्वैयार "ईतल अरम" देना भी धर्म कहती है.
 संघ साहित्य में धर्म  के अर्थ असीमित है.
धर्म का अर्थ अकेला आदमी दूसरों के संपर्क में आने  के लिए अनुशासित आम धर्म बोलता है.
अव्वैयार की आज्ञा है --सुकर्म चाह;
वल्लुवर सत्य ,मानसिक सत्य ,शारीरिक सत्य तीनो पर जोर देते हैं.
उल्लत्तार पोय्या तोलुकिन उलकत्तार  उल्लत्तुल  एल्लाम उलन.
मानसीक निर्मलता पर जोर देते है.
सोच,वचन,कर्म तीनों धर्म के  लिए  आवश्यक है. मनसा,वाचा,कर्मणा  धर्म की सुरक्षा से ही जीवन सार्थक होगा.
वल्लुवर  धर्म की विशेषता को यों बताते हैं--
धर्म से जो मिलता है वही सुख;अधर्म के सुख को हटाना ही धर्म है.
 "अरत्तान वरुवते इन्बम मटर एल्लाम  पुरत्त पुकालुम इल.
वल्लुवर सभी सुकर कर्तव्य   बताते हैं.
कटनेंन्ब नल्लवै एल्लाम  कडनरिन्तु ,
  सान्रान्मै मेर्कोल्पवर्क्कू।
तमिल संघ साहित्य में धर्म,अर्थ,काम,मोक्ष में धर्म को ही श्रेष्ठ स्थान दिया गया है.
व्याकरणिक ग्रन्थ तोल्काप्पियम  में  धर,अर्थ,काम तीनों की स्थितियों का जिक्र करता है.
"अन्निलै  मरुन्गिन अर मुतलाकिय  ,मुम्मुतर पोरुट कुम उरियवेंन्ब।
अरनुम पोरुलुम इन्बमुम  मूंरुम आट्रूम  पेरुम नीं सेलवम.
    जो भी कमाते हैं ,धर्म मार्ग पर ही  कमाना हैं वही सुखप्रद होगा.
वल्लुवर --अरनीनुम इन्बमुम ईनुम  थिरनरिन्तु  तीतिनरी  वन्त  पोरुल।

 संघ साहित्य एक महा सागर है.धर्म के बारे में चंद बूंदे हैं ये.
अंत में अव्वैयार  की एक छंद
और नाच्चिनार्क्किनियर के वाक्य दोनों में धर्म अर्थ काम मोक्ष आदि पर  उल्लेख करना इस सन्दर्भ में
अनिवार्य आवश्यक है,जिनसे स्पष्ट होगा  तमिल संघ साहिय की खूबियाँ.
 अव्वैयार :-
ईतल  अरम तीविनै विट्टू  ईट टल  एग्न्यान्रुम
कातालिरुवर करुत्तोरुमित --तातरवू
पट ट ते यिन्बम परनै निनैन्तु  इम्मून्रुम
वित् टते  पेरिन्ब वीडु।

बुराई छोड़ कमाने में ही सुख ,संतोष और आनंद है.धर्म,अर्थ.काम तीनों को तजना मोक्ष है.

नच्चिनार्क्किनियर -- अकत्तिनैक  कण  इन्बमुम पुरत्तिनैक कण  ओलिंत मून्रु पोरुलुम उनर्त्तुब "

   तमिल संघ साहित्य "अरम" धर्म पर  अनुशासित जीवन पर जोर देता है,
 थोड़े में कहें तो धर्म  सहज प्रेरणार्थक  स्थिति.,रूढ़ीअनुशासित स्थिति ,मानसिक साक्षी की स्थिति आदि पर
ध्यान देकर धर्म पथ पर चलना  तमिल संघ साहित्य की धार्मिक व्याख्या है.
धर्म सुखप्रद, धार्मिक मार्ग सुख प्रद, धार्मिक जीवन बिताना सुखप्रद, धार्मिक कमाई सुखप्रद,धार्मिक अनुशासन अनुसरण आनंद और संतोष प्रद ,धर्म,अर्थ,काम  पुरुषार्थ  आदि पर तमिल संघ साहित्य मार्गदर्शक हैं.


Monday, September 16, 2013

बुढापा

बुढ़ापा  है तन का शिथिल;मनका चंचल;
हमारे शान -मान में कमी का महसूस;
सादर बोलने पर भी अनादर ध्वनी सा लगता;
निरादार की दृष्टि ही बूढों पर पड़ता;लगता हमें
हमारी दुनिया अलग;सब हैं नयी दुनिया में;
खाने का स्वाद बदल गया;अब जो खाते उसमें हैं नया स्वाद;
वहीं रोटी सब्जी,पर वह सुगंध नहीं,वही फल वह मिठास नहीं;
बस जीना हैं जी रहे हैं;जवानी की सार्थकता बुढापे में हो गया निरर्थक;
रस युक्त जीवन ,माया-मोह में फँसे जीवन हो गया रसहीन.
३०० रूपये का मजेदार श्री गणेश   जीवन,पहली तारीख की प्रतीक्षा;
अब बीस हज़ार पेंशन में नहीं वह आनंद;बुढापा है भार रूप;
बच्चों के व्यवाहर में नहीं कमी;
वे रोटी,कपडा,दवा में हमें संतुष्ट रखना चाहते;
हम देना चाहते अपनी सलाह;
वे भी मानना चाहते;पता चलता है उसे परिवर्तित परिस्थिति के नाहीं अनुकूल;
वास्तविक बातें हैं जो हमें भाती नहीं;
बच्चों का जिद बुढापे में;यह तो उचित नहीं;



Monday, September 2, 2013

You
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You:  आपसी लड़ाई बंदर और बिल्लियों की कहानी बचपन में पढी होगी;मिल्लत नहीं ,फिर सोनिया का पलड़ा भारी होगी;तो इसका पूरा श्रेय आडवाणी ,सुषमा की ही होगी; मतलब आप भी सोनिया से मनमोहनसिंह से गुप्त समझौता कर ली; मनमोहनसिंह अकेले मिलकर अपने पक्ष को मज़बूत करने में समर्था रहें हैं;मूक साधना में नरसीहराव के बड़े भाई हैं; सावधान.
22 minutes ago

Sunday, September 1, 2013

यह फैसला क्रूरता बढाने का फ़ैंसला है; 16-17 के बालक-बालिकाएं आगे अपराध के लिये हिचकिचाएंगे नहीं;सोलह साल की लड़की माँ बन सकती हैं;17 साल पिता बन सकते हैं ;पर दंड का भागी नहीं;अपराध पर ध्यान देना है ,उमर पर नहीं; 17 साल का लड़का बलात्कार करने काबिल है कि नहीन.काबिल है सो दंड मिलना ही चाहिये; कानून को बदलना चाहिये;


 कल्की अवतार,शिव अवतार ,कृष्णावतार,एक पुलिस अफसर भी कृष्णावतार;यहाँ एक साधु खुद अपने ऊपर दुग्धाभिषेक कर रहे हैं;हर गाँव में ईश्वर का अवतार हैं; लेकिन भ्रष्टाचारियों को दंड देना फिर सत्ताधारी बनाना सब हो रहा हैं; गोपिकाओं के साथ काशाय वेशधारी सब खेल सकते हैं,जब तक कोई शिकायत न हो; समझ में आ रहा है आप मज़ाक कर रहे हैं; लेकिन नौ असहमत हैं ,जल्द में में भी नौ में एक हूँ .भूल हो गयी; बढिया जोक.

Saturday, August 31, 2013

'चोर' पर राज्य सभा में PM से उलझे

You:  केवल 100 रुपये से 2500 रुपये तक चुरानेवाले चोर है;10,000/से 25000 तक घूस लेनेवाले अधिकारी चोर है;99 लाख तक घूस लेनेवाले सांसद,विधायक,मंत्री तो भ्रष्टाचारी नहीं हैं; करोड़ों के अनाचार स्वामीजी भ्रष्टाचारी हैं,अपराधी हैं ,पर ज्मानत में आकर सुखी जेवन बीता सकता है; पियक्कड कार चालाक अपराधी है,यदि वह गरीब हो; या आमीर का ड्राइवर हो; पियक्कड आमीर के बेटे तो कार चलाते कयी लोगों के प्राण लेते तो भी आराम से बाहर;करोड़ों के काले धन और बदमाशी सांसद या मंत्री;जो जनता से दूर अभिनेता या अभिनेत्री सांसद हैं ,जिनको सांसद के बारे में कुछ भी मालून नहीं,वे जनता द्वारा चुने गये सांसद; जीतने के बाद वे भूल जाते कि संसद भवन कहाँ हैं?भूल जाते कि वे जनता के प्रतिनिधि;ऐसे देश में जहाँ मतदाता अपनी जिम्मेदारी नहीं समझते और सुशासन नहीं चाहते ,अपने-जान पहचान के व्यक्ति को अपने प्रतिनिधि नहीं बनाते चुने हुये प्रतिनिधियों में एक तिहाई अपराधी हैं उनको कानूनन सज़ा देना माना हैं, वह देश भारत हैं;
1 day ago

बादशाह ने 13 साल की उमर में चढाई की;


You:  नाबालिगों को दंड न देने पर समाज में बालापराध बढेगा; ऐसे बालकों को प्रशिक्षण अपराध ,चोरी,डाका डालने के लिये समाज के अपराधी कर रहे हैं;महादेवी वर्मा की कहानी चीनीबाई में बालकों को चोरी का प्रशिक्षण दिया जाता हैं ;उनको रोने की कला सिखाई जाती हैं ;मैने सुना चन्द रुपयों का लालच दिखाकर नाबालिगों को खून करने का,चोरी करने का प्रोत्साहन देते हैं ;पुलिस  लाचार हो जाती है;अकबर बादशाह ने  13 साल की उमर में चढाई की; ऐसी हालत में नाबालिगों को ऐसी हल्की सज़ा बालापराधों को बढायेगा' पंद्रह साल -सोलह साल के लड़के में बच्चे पैदा करने की शक्ति है या नहीं,

 लेखक और कवि की वाणी कभी झूठ नहीं होती; पाण्डेय बेचन शर्मा 'उग्र" ने रुपये की आत्मकहानी में लिखी है,में रुपया हूम.सप्त स्वरों से में मधुर हूँ. गीता के पाठकों,मेरे शरण में आओ;डमरू,वीणा,मुरली जो ईश्वर के वाद्य हैं वह एक ओर,पास रुपये की आवाज़; किसकी चलेगी; सभी कुकर्म करो;लूटो;बलात्कार करो ;पहले रूये जोड़ लो; लक्ष्मी पति के शंख ध्वनी से मेरे शक्ति बढ़ी है;मामेकं शरणम व्रज़; यह सत्य निकला;

 न जाने भारत में अमीर अपराधियों की तबीयत बिगड़ जाती हैं और ए.सी. रूम में लेट जाते हैं; बचने और सुखी जीवन का आसान रास्ता; जय हो भारतीय कानून;गरीब अपराधी को कठोर दंड; करोड़पति को करुणा; जय हिन्द.